राजस्थान में एक बार फिर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की राजनीतिक जादूगरी देखने को मिली. प्रदेश में बसपा के सभी छह विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए हैं, जिसके बाद बसपा का पूरी तरह से राजस्थान में सफाया हो गया है. इसी के साथ डिप्टी सीएम सचिन पायलट सहित तमाम कांग्रेस नेताओं के बीच चल रहे शह-मात के खेल में फिलहाल अशोक गहलोत का सियासी पलड़ा भारी नजर आ रहा.
बता दें कि बीएसपी के सभी विधायक पिछले काफी समय से सीएम गहलोत के संपर्क में थे. सोमवार को इन सभी 6 बसपा विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी को भी अपना विलय पत्र सौंपा. बसपा से कांग्रेस में आने वाले जोगेंद्र सिंह अवाना, लाखन मीणा, दीपचंद खेरिया, संदीप यादव, राजेंद्र सिंह गुढा और वाजिब अली का नाम शामिल है. इसी के साथ राजस्थान में कांग्रेस विधायकों की संख्या बहुमत के आंकड़े से काफी ज्यादा हो गई है.
दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस में आए सभी विधायकों ने सीएम अशोक गहलोत को अपना नेता बताया. साथ ही कहा कि प्रदेश की जनता को मजबूत सरकार देने के लिए हमने यह फैसला लिया. क्षेत्र के विकास और जनता के हित में सभी ने मिलकर कांग्रेस में शामिल होने का फैसला लिया है. इससे यह बात पूरी तरह से साफ होती है कि अशोक गहलोत का पलड़ा काफी भारी हो गया है.
2018 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को कुल 99 सीटें मिली थी. जबकि बीजेपी को 73 सीटों से ही संतोष करना पड़ा था. हालांकि इस चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी लेकिन पूर्ण बहुमत से एक सीट कम रह गई. कांग्रेस ने बीएसपी और निर्दलीय विधायकों की मदद से अपनी सरकार बनाई थी. राजस्थान में कांग्रेस के पास अभी तक 101 विधायक थे, यह आंकड़ा बहुमत से सिर्फ एक ज्यादा था.
नंबर गेम में मजबूत गहलोत सरकार
बीएसपी के सभी 6 विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने के बाद अब गहलोत सरकार अपने दम पर पूर्ण बहुमत वाली सरकार हो गई है. बसपा विधायकों को विलय के बाद विधानसभा में गहलोत सरकार का नंबर गेम मजबूत हुआ. इसके साथ कांग्रेस विधायकों की संख्या अब 106 हो गई है. इसके बाद आरएलडी से विधायक और गहलोत सरकार में मंत्री डॉ. सुभाष गर्ग का भी कांग्रेस में आना तय माना जा रहा है.
गहलोत का सियासी पलड़ा भारी
बसपा के विधायकों का कांग्रेस को इस विलय का उपचुनाव और निकाय चुनाव में जो राजनीतिक फायदा मिलना है तो वह मिलेगा ही, लेकिन इसके जरिए अशोक गहलोत ने भी अपना राजनीतिक ताकत को मजबूत किया है. राजस्थान में कांग्रेस सरकार बनने के बाद से अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच पावर सेंटर को लेकर शह-मात का खेल चल रहा है. ऐसे में गहलोत के इस दांव से पायलट ही नहीं बल्कि और भी बाकी नेताओं को सियायी मात देने में वह कामयाब रहे हैं.
2008 में हो चुका बसपा MLA का विलय
यह पहला मौका नहीं है जब प्रदेश में बसपा विधायकों का कांग्रेस में विलय हो रहा है. 2008 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश में गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी थी. उस समय गुढ़ा सहित 6 विधायक बसपा के टिकट पर विधानसभा में पहुंचे थे. गहलोत ने चुनाव के कुछ महीनों बाद बसपा विधायक दल का कांग्रेस में विलय कराते हुए सभी 6 विधायकों को मंत्री बनाया था.
कुबूल अहमद