राजस्थान में शादी में दूल्हे की जगह दुल्हन हुई घोड़ी पर सवार, वीडियो वायरल

हनुमानगढ़ जंक्शन के सेक्टर-6 में रहने वाले राजेंद्र नाथ खत्री की बेटी शिखा खत्री की 2 दिन बाद शादी होने वाली है. शादी की एक रस्म के दौरान बेटी को घोड़ी पर बिठा कर उसके पिता ने उसे महसूस कराया कि वह भी बेटों से कम नहीं है.

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घोड़ी पर दुल्हन हुई सवार घोड़ी पर दुल्हन हुई सवार

aajtak.in

  • हनुमानगढ़,
  • 30 नवंबर 2021,
  • अपडेटेड 11:44 PM IST
  • राजस्थान में दूल्हे की जगह दुल्हन हुई घोड़ी पर सवार
  • दुल्हन के पिता ने कहा- बेटे-बेटी में नहीं है कोई अंतर

आमतौर आपने अभी तक शादियों में दूल्हे को ही घोड़ी पर चढ़कर विवाह स्थल तक पहुंचते हुए देखा होगा लेकिन अब एक दुल्हन के घोड़ी चढ़ने की तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है.

राजस्थान के राजगढ़ में एक पिता ने अपनी बेटी को घोड़ी पर बिठाकर यह संदेश दिया है कि लड़के और लड़की में कोई अंतर नहीं होता है. 

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दरअसल हनुमानगढ़ जंक्शन के सेक्टर-6 में रहने वाले राजेंद्र नाथ खत्री की बेटी शिखा खत्री की 2 दिन बाद शादी होने वाली है. शादी की एक रस्म के दौरान बेटी को घोड़ी पर बिठाकर उसके पिता ने उसे महसूस कराया कि वह भी बेटों से कम नहीं है.

जैसे ही शिखा घोड़ी पर बैठी सब ने तालियां बजाकर उसका स्वागत किया. उसके पिता राजेंद्र नाथ खत्री ने बताया कि वह बेटों और बेटियों में कोई अंतर नहीं समझते हैं इसलिए उन्होंने अपनी बेटी के सारे सपने पूरे किए.

उन्होंने कहा, मैंने उसे पढ़ाया- लिखाया और शादी के समय में भी एहसास कराया कि वह बेटों से कम नहीं है. शिखा के पिता ने कहा की उनकी बेटी ने घोड़ी पर बैठकर बिंदोरे की रस्म पूरी की.

वहीं घोड़ी पर बैठने के बाद शिखा ने खुशी का इजहार करते हुए कहा कि वह अपने आप को किसी परी से कम नहीं समझ रही है. शिखा ने कहा वह चाहती है कि कोई भी मां बाप बेटा-बेटी में अंतर ना समझें और कन्या भ्रूण हत्या जैसे अपराध से बचें, बेटियों को भी पढ़ाया लिखाया जाए क्योंकि बेटियां भी बेटों से कम नहीं है आज हर क्षेत्र में बड़े-बड़े मुकाम हासिल कर रही है.

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वहीं शिखा के घोड़ी पर बैठने को लेकर पड़ोसी पंडित जसवीर शर्मा का कहना है कि आज समाज में बेटा और बेटी में कोई अंतर नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि बेटियां भी बेटों से कम नहीं है. उन्होंने कहा जहां बेटियों का सम्मान होता है उस समाज और देश की ख्याति में भी बढ़ोतरी होती है.

(इनपुट - गुलाम नबी)

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