पंजाब: जगजीत डल्लेवाल का आमरण अनशन 17वें दिन भी जारी, किसानों की मांगों को लेकर PM को लिखा पत्र

किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने डल्लेवाल द्वारा प्रधानमंत्री को लिखा पत्र जारी किया, जिस पर उन्होंने अपने खून से हस्ताक्षर किए हैं. पत्र में डल्लेवाल ने उल्लेख किया कि विभिन्न मांगों के समर्थन में उनका आंदोलन 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच खनौरी और शंभू सीमा बिंदुओं पर चल रहा है.

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जगजीत सिंह डल्‍लेवाल आमरण अनशन पर बैठे हैं. (फाइल फोटो) जगजीत सिंह डल्‍लेवाल आमरण अनशन पर बैठे हैं. (फाइल फोटो)

अमन भारद्वाज

  • चंडीगढ़,
  • 12 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 7:47 PM IST

पंजाब के किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का आमरण अनशन गुरुवार को 17वें दिन में प्रवेश कर गया. अब उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा, जिसमें कहा गया कि प्रत्येक किसान को न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित करना जीने के मौलिक अधिकार की तरह है. डल्लेवाल 26 नवंबर से खनौरी सीमा पर आमरण अनशन पर हैं, ताकि केंद्र पर फसलों पर एमएसपी की कानूनी गारंटी सहित मांगों को स्वीकार करने का दबाव बनाया जा सके. 

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इस बीच, संयुक्त किसान मोर्चा के नेता राकेश टिकैत और हरिंदर सिंह लखोवाल शुक्रवार को डल्लेवाल से मिलने खनौरी सीमा पर जाएंगे. पंजाब विधानसभा के अध्यक्ष कुलतार सिंह संधवान ने केंद्र सरकार से किसानों के साथ सार्थक बातचीत शुरू करने का आग्रह किया ताकि उनके ज्वलंत मुद्दों को हल किया जा सके. खनौरी सीमा पर, डल्लेवाल की मेडिकल जांच करने वाले एक डॉक्टर ने कहा कि उनकी हालत बिगड़ रही है और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत है. डॉक्टर ने कहा कि लंबे समय तक अनशन के परिणामस्वरूप, वह कमजोर हो गए हैं. 

एक वीडियो संदेश में, डल्लेवाल ने कहा कि यह एमएसपी की लड़ाई है. उन्होंने कहा, "यह पंजाब के भविष्य और उसके पानी को बचाने की लड़ाई है. इस लड़ाई को जीतना महत्वपूर्ण है." 

उन्होंने लोगों से बड़ी संख्या में आंदोलन में शामिल होने की अपील भी की. उन्होंने कहा, "सरकार तब बातचीत के लिए आएगी जब उसे पता चलेगा कि उनका आंदोलन खत्म नहीं किया जा सकता और किसान नेताओं को धरना स्थल से नहीं हटाया जा सकता." 

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बाद में किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने डल्लेवाल द्वारा प्रधानमंत्री को लिखा पत्र जारी किया, जिस पर उन्होंने अपने खून से हस्ताक्षर किए हैं. पत्र में डल्लेवाल ने उल्लेख किया कि विभिन्न मांगों के समर्थन में उनका आंदोलन 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच खनौरी और शंभू सीमा बिंदुओं पर चल रहा है. 

पीएम को लिखे पत्र में की गई ये मांग 

पत्र में कहा गया है, "जिन मांगों को लेकर हमारा आंदोलन चल रहा है, वे सिर्फ हमारी मांगें नहीं हैं, बल्कि अलग-अलग समय पर सरकारों द्वारा किए गए वादे हैं." 

डल्लेवाल ने इस बात पर निराशा जताई कि केंद्र सरकार ने अभी तक स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार 'सी2 प्लस 50' प्रतिशत का फॉर्मूला लागू नहीं किया है. उन्होंने आगे लिखा कि 2020-21 में किसानों द्वारा आंदोलन किए जाने के बाद केंद्र ने हर किसान के लिए एमएसपी सुनिश्चित करने समेत कई वादे किए थे, लेकिन वे अभी तक पूरे नहीं हुए.

डल्लेवाल ने लिखा, "हर किसान को एमएसपी सुनिश्चित करना जीने के मौलिक अधिकार जैसा है. एमएसपी पर कानून न बनाकर केंद्र सरकार करोड़ों किसानों को गरीबी, कर्ज और मौत की ओर धकेल रही है. मैंने किसानों की मौत को रोकने के लिए अपनी जान कुर्बान करने का फैसला किया है. मुझे उम्मीद है कि मेरी मौत के बाद केंद्र सरकार अपनी नींद से जागेगी और एमएसपी पर कानून समेत हमारी 13 मांगों को पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ेगी."

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डल्लेवाल ने लिखा कि अगर उनकी मौत होती है तो इसकी जिम्मेदारी केंद्र सरकार की होगी.

13 फरवरी से शंभू और खनौरी बॉर्डर पर बैठे हैं किसान

बता दें कि संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले किसान 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी सीमा पर डेरा डाले हुए हैं, जब सुरक्षा बलों ने उनके दिल्ली मार्च को रोक दिया था. एसकेएम (गैर-राजनीतिक) और केएमएम के बैनर तले 101 किसानों के एक "जत्थे" ने 6 दिसंबर और 8 दिसंबर को पैदल दिल्ली में प्रवेश करने का दो प्रयास किया. हरियाणा में सुरक्षा कर्मियों ने किसानों को आगे बढ़ने नहीं दिया. अब वे 14 दिसंबर को मार्च करने का एक और प्रयास करेंगे.

किसानों ने पहले 13 फरवरी और 21 फरवरी को दिल्ली की ओर मार्च करने का प्रयास किया था, लेकिन राजधानी की सीमा पर तैनात सुरक्षा बलों ने उन्हें रोक दिया था. फसलों के लिए एमएसपी पर कानूनी गारंटी के अलावा, किसान कर्ज माफी, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, बिजली दरों में बढ़ोतरी नहीं, पुलिस मामलों की वापसी और 2021 के लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए "न्याय" की मांग कर रहे हैं. भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 की बहाली और 2020-21 में पिछले आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देना भी उनकी मांगों का हिस्सा है.

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