पंजाब में दशकों की सबसे भीषण बाढ़, 29 लोगों की मौत और लाखों विस्थापित, कृषि भूमि पर भी भारी असर

पंजाब में दशकों की सबसे भीषण बाढ़ ने तबाही मचा दी है. 12 जिलों में 29 लोगों की मौत हो चुकी है और 2.56 लाख लोग प्रभावित हुए हैं. 15,600 से अधिक को सुरक्षित निकाला गया. 1,043 गांव जलमग्न हैं और 94,000 हेक्टेयर से ज्यादा कृषि भूमि बर्बाद हुई.

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पंजाब में बाढ़ से 12 जिले सबसे ज्यादा प्रभावित (Photo: PTI) पंजाब में बाढ़ से 12 जिले सबसे ज्यादा प्रभावित (Photo: PTI)

शुभम सिंह

  • नई दिल्ली,
  • 04 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 2:21 AM IST

पंजाब दशकों की सबसे भीषण बाढ़ का सामना कर रहा है. बाढ़ का पानी राज्य को डुबो रहा है और अपने पीछे तबाही के निशान छोड़ रहा है. 1 अगस्त से 1 सितंबर के बीच, 12 जिलों में करीब 29 लोगों की जान जा चुकी है, लाखों लोग विस्थापित हुए हैं और बड़े पैमाने पर कृषि भूमि जलमग्न हो गई है.

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पंजाब सरकार द्वारा जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, बाढ़ से 2.56 लाख लोग प्रभावित हुए हैं, सबसे ज़्यादा प्रभावित गुरदासपुर में 1.45 लाख लोग हैं. 

इसके बाद अमृतसर में 35,000 लोग, जबकि फिरोज़पुर और फ़ज़िका में कुल मिलाकर 45,000 लोग प्रभावित हुए हैं. बरनाला और मानसा जैसे ज़िले में क्रमशः 163 और 59 लोग प्रभावित हुए हैं.

सबसे ज़्यादा मौतें (छह) पठानकोट में हुईं. अमृतसर, होशियारपुर, लुधियाना, बरनाला और मानसा में तीन-तीन लोगों की मौत हुई. पटियाला, बठिंडा, संगरूर और साहिबज़ादा अजीत सिंह नगर में एक-एक शख्स की मौत हुई.

बड़े पैमाने पर विस्थापन के कारण कई लोग बेघर हो गए हैं. करीब 15,600 लोगों को निकाला गया, जिनमें से गुरदासपुर में 5,549 लोगों की मौत हुई. फिरोजपुर और फाजिका में कुल 5,370 लोगों को निकाला गया. अमृतसर में 1700 लोगों को निकाला गया.

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बाढ़ का पानी 1,043 गांवों से होकर गुज़र रहा है. इनमें से करीब 321 गांव गुरदासपुर में हैं, इसके बाद कपूरथला (115), होशियारपुर (94), अमृतसर (88) और बरनाला (24) हैं.

भारत के खाद्यान्न भंडार के रूप में पंजाब की पहचान को भी गहरा धक्का लगा है. पंजाब के राजस्व मंत्री ने बताया कि बाढ़ से कृषि भूमि को भारी नुकसान हुआ है और तमाम जिलों में कुल 94,061 हेक्टेयर फसल क्षेत्र प्रभावित हुआ है. 

सबसे ज़्यादा प्रभावित जिलों में अमृतसर (23,000 हेक्टेयर), मानसा (17,005 हेक्टेयर), कपूरथला (14,934 हेक्टेयर) और तरनतारन (11,883 हेक्टेयर) शामिल हैं. खरीफ मौसम की प्रमुख फसलों में से एक धान के खेत सबसे ज़्यादा प्रभावित हुए हैं, जिससे खाद्य आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित हो सकती है.

 
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