पंजाब में कांग्रेस की सरकार है लेकिन पार्टी अंतर्कलह की गंभीर बीमारी से बुरी तरह जूझ रही है. पिछले करीब 8 महीने से पंजाब कैबिनेट से इस्तीफा देकर खामोशी से बैठे नवजोत सिंह सिद्धू ने एक बार फिर से पंजाब कांग्रेस में खलबली मचा दी है. गुरुवार को उन्होंने एक प्रेस रिलीज जारी किया है, जिसमें उन्होंने बताया है कि दो दिन पहले उन्होंने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और एक दिन पहले कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की है. इतना ही नहीं, इस मुलाकात के दौरान सिद्धू ने पंजाब को बेहतर बनाने के लिए तैयार रोडमैप भी उन्हें सौंपा है.
इस प्रेस नोट में उन्होंने दोनों नेताओं के साथ अपनी फोटो भी शेयर की है. उन्होंने लिखा, 'मुझे कांग्रेस पार्टी हाईकमान द्वारा दिल्ली तलब किया गया था. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी जी 25 फरवरी 2020 को अपने आवास पर 40 मिनट के लिए मुझसे मिलीं. अगले दिन 26 फरवरी 2020 को 10 जनपथ पर कांग्रेस अध्यक्षा और महासचिव एक घंटे से अधिक समय तक मुझसे मिली. दोनों नेताओं ने बहुत धैर्य के साथ मेरी बात सुनी. मैंने उन्हें पंजाब के मौजूदा हालात से अवगत कराया और पंजाब के पुनरुत्थान और आत्मनिर्भर बनाने का एक रोडमैप उनके साथ साझा किया, जिस पर चलकर हम पुनः पंजाब का गौरव स्थापित कर सकते हैं.'
उन्होंने रोडमैप पर अपनी स्थिति साफ करते हुए कहा, 'यह वही रोडमैप है जिसको मैंने कैबिनेट में मंत्री के तौर पर कार्य करते हुए और अपने सार्वजनिक जीवन में, पिछले कई वर्षों से दृढ़ विश्वास के साथ लोगो के समक्ष रखा है.'
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सिद्धू के इस प्रेस नोट के बाद पंजाब कांग्रेस में खलबली मच गई. दरअसल पिछले आठ महीने से खामोश रहने की वजह से यह माना जा रहा था कि पंजाब में कांग्रेस मतलब कैप्टन अमरिंदर सिंह, लेकिन नवजोत सिंह सिद्धू ने पार्टी के आलाकमान के साथ अपनी फोटो डालकर यह साबित करने की कोशिश की है कि वो दिल्ली से सीधे संपर्क में हैं.
वहीं कांग्रेस सांसद रवनीत सिंह बिट्टू और पंजाब सरकार में कैबिनेट मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने नवजोत सिंह सिद्धू पर निशाना साधते हुए कहा है कि उनके पास पंजाब के उत्थान के लिए कोई रोडमैप नहीं है. अगर ऐसा कुछ था तो उन्होंने मंत्री पद पर रहते हुए इसे लागू करने की कोशिश क्यों नहीं की?
उन्होंने आगे कहा कि अगर सिद्धू के पास कोई रोडमैप था भी तो उन्हें यह कैप्टन अमरिंदर सिंह को सौंपना चाहिए था, बजाए कि सीधे आलाकमान के पास जाएं. पंजाब कांग्रेस का मतलब कैप्टन अमरिंदर सिंह है और जब तक वो हैं, तब तक पंजाब में कांग्रेस का मुख्यमंत्री चेहरा कैप्टन अमरिंदर सिंह ही होंगे.
जाहिर है नवजोत सिंह सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर सिंह के बीच पहले भी मनमुटाव की खबरें आती रही है लेकिन पिछले आठ महीने से उनकी खामोशी को पार्टी छोड़ने की शुरुआत बतायी जा रही थी. कई राजनीतिक पंडितों का मानना था कि नवजोत, कांग्रेस छोड़कर आम आदमी पार्टी (AAP) में शामिल हो सकते हैं. इतना ही नहीं वो पार्टी का मुख्यमंत्री चेहरा भी हो सकते हैं. हालांकि ताजा घटना को लेकर आम आदमी पार्टी भी उनपर हमलावर दिख रही है.
AAP नेता हरपाल चीमा ने कहा कि अगर नवजोत सिंह सिद्धू के पास कोई ऐसा रोड मैप है तो वो कम-से-कम विधानसभा में आकर विधायकों को और पूरे सदन को इस रोडमैप के बारे में बता सकते थे. लेकिन हैरानी की बात ये है कि जनता के चुने नुमाइंदे होने के बावजूद, नवजोत सिंह सिद्धू, ना तो विधानसभा आते हैं और ना ही सरकार की किसी गतिविधि में शामिल होते हैं. तो वो आखिरकार किस रोडमैप की बात कर रहे हैं.
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वहीं सिद्धू के आम आदमी पार्टी में शामिल होने की किसी भी संभावना से भी चीमा ने इनकार किया. अकाली दल ने पार्टी में फूट का भरपूर फायदा उठाते हुए कहा कि नवजोत सिंह सिद्धू कह रहे हैं कि उनके पास पंजाब के लिए अलग से कोई रोड मैप है. नवजोत सिंह सिद्धू पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि अगर उनके पास कोई ऐसा रोडमैप था तो उन्होंने बिजली मंत्री का पद ग्रहण क्यों नहीं किया. उससे पहले भी लोकल बॉडी में मंत्री रहते हुए उन्होंने रोडमैप लागू क्यों नहीं किया?
सतेंदर चौहान