कर्नाटक के सीएम को लेकर चार दिन से जारी कयासों का दौर अभी थमा नहीं है. सिद्धारमैया या डीके शिवकुमार में से किसी एक को चुनने की प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हुई है. कांग्रेस के कर्नाटक प्रभारी रणदीप सुरजेवाला का कहना है कि अगले 48-72 घंटों में, हमारे पास कर्नाटक में एक नया मंत्रिमंडल होगा.
कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार अपने भाई और पार्टी सांसद डीके सुरेश के दिल्ली स्थित आवास पर पहुंचे. यहां मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि अफवाहों पर विश्वास न करें.
सूत्रों की मानें तो कांग्रेस पार्टी डीके शिवकुमार को राज्य का उपमुख्यमंत्री पद सौंपने को तैयार है, लेकिन वो इसके लिए राजी नहीं हैं. माना जा रहा है कि डीके शिवकुमार मामला सुलझने तक दिल्ली में ही रहेंगे.
कर्नाटक में जीत के बाद दिल्ली आए कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया ने राहुल गांधी से मुलाकात की है. यह दोनों ही नेता राज्य में सीएम पद की दावेदारी ठोंक रहे हैं. फिलहाल गेंद आलाकमान के पाले में है.
कांग्रेस के कर्नाटक प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने कहा है कि इस समय पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे विचार-विमर्श कर रहे हैं. जब भी कांग्रेस कोई फैसला करेगी हम सूचित करेंगे. अगले 48-72 घंटों में, हमारे पास कर्नाटक में एक नया मंत्रिमंडल होगा.
उधर, डीके शिवकुमार के समर्थक 10 जनपथ के बाहर जुट गए हैं. अभी शिवकुमार 10 जनपथ में ही मौजूद हैं और राहुल गांधी के साथ बैठक कर रहे हैं.
सिद्धारमैया के सीएम बनने की खबर सामने आते ही उनके समर्थक बेंगलुरु स्थिति आवास पर जुटना शुरू हो गए. समर्थकों ने उनके पोस्टर पर दूध भी चढ़ाया.
डीके शिवकुमार के भाई डीके सुरेश 10 जनपथ पहुंचे हैं. वे यहां राहुल गांधी से मुलाकात करेंगे.
बताया जा रहा है कि अधिकारियों से कल दोपहर 3:30 बजे कांटीरवा स्टेडियम में शपथ ग्रहण के लिए तैयारी करने के लिए कहा गया है.
- कांग्रेस के कर्नाटक में सबसे बड़े नेताओं में से एक हैं. उन्हें शुरुआत से ही सीएम पद के लिए डीके शिवकुमार से ज्यादा मजबूत दावेदार माना जा रहा था. सिद्धारमैया ने अपने राजनीतिक जीवन में 12 चुनाव लड़े, इनमें से 9 में जीत हासिल की.
- सिद्धारमैया सीएम रहे हैं. वे इससे पहले 1994 में जनता दल सरकार में कर्नाटक के उप-मुख्यमंत्री थे. उनकी प्रशासनिक पकड़ मानी जाती है. उनके खिलाफ भ्रष्टाचार का कोई मामला भी नहीं है. जबकि डीके शिवकुमार के खिलाफ कई मामले चल रहे हैं. वे जेल भी जा चुके हैं.
- सिद्धारमैया और डीके दोनों ही गांधी परिवार के करीबी माने जाते हैं. सिद्धारमैया को 2008 में जेडीएस से कांग्रेस में लाने में मल्लिकार्जुन खड़गे की अहम भूमिका मानी जाती है. ऐसे में वे खड़गे के काफी करीबी बताए जाते हैं.
- सिद्धारमैया 2013 से 2018 तक कर्नाटक के सीएम रहे. इस दौरान उन्होंने टीपू सुल्तान को कर्नाटक में नायक के तौर पर स्थापित करने की कोशिश की. ऐसे में मुस्लिम समुदाय में उनकी अच्छी पैठ मानी जाती है.
- सिद्धारमैया कुरुबा समुदाय (ओबीसी) से आते हैं. कर्नाटक में तीसरा बड़ा समुदाय है. इतना ही नहीं सिद्धारमैया राज्य के सबसे बड़े ओबीसी नेता माने जाते हैं. शिवकुमार की तुलना में सिद्धारमैया को ज्यादा बड़ा जननेता माना जाता है.
कर्नाटक के नए सीएम सिद्धारमैया होंगे. सूत्रों के मुताबिक, वे कल मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. वे अकेले ही शपथ लेंगे. कल विधायक दल की बैठक होगी.
सीएम पद की रेस में सबसे आगे चल रहे सिद्धारमैया आज राहुल गांधी से 11.30 बजे मुलाकात करेंगे. तो वहीं दूसरे दावेदार डीके शिवकुमार 12 बजे राहुल से मिलने पहुंचेंगे.
दिल्ली में बैठकों का दौर जारी है. कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल सोनिया गांधी से मिलने उनके आवास पर पहुंचे हैं. उधर, कर्नाटक में जीत हासिल करने वाले कुछ कांग्रेसी विधायक मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात करने उनके आवास पर पहुंचे हैं.
सूत्रों के मुताबिक, सिद्धारमैया सीएम की रेस में सबसे आगे हैं और उनका मुख्यमंत्री बनना लगभग तय है. वे 11.30 बजे राहुल गांधी से मुलाकात करेंगे. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे गुरुवार को उनके नाम का ऐलान कर सकते हैं. कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि शिवकुमार को गुमराह किया जा रहा है. लेकिन पार्टी आलाकमान उनसे बात करेगी और उनकी समस्याओं का समाधान करेगी. इतना ही नहीं पार्टी उनकी नाराजगी दूर करने के लिए नई सरकार में अहम मंत्रालय भी दे सकती है.
इससे पहले डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया ने मंगलवार को मल्लिकार्जुन खड़गे से अलग अलग मुलाकात की थी. इस दौरान उन्होंने पार्टी नेतृत्व को सिद्धारमैया की कमियां गिनाई थीं. सूत्रों के मुताबिक, शिवकुमार ने खड़गे को बताया था कि सिद्धारमैया का पिछला कार्यकाल अच्छा नहीं रहा था. लिंगायत समुदाय भी उनके खिलाफ है. उन्होंने कहा था, अगर सिद्धारमैया को पहले सीएम बनाया जा चुका है, तो अब किसी और को मौका क्यों नहीं मिलना चाहिए.
शिवकुमार ने खड़गे को बताया था कि 2019 में गठबंधन टूटने का कारण भी सिद्धारमैया थे. उन्होंने साफ शब्दों में कहा था, यह मेरे मुख्यमंत्री बनने का समय है और आलाकमान को मुझे मौका देना चाहिए. मैंने 2019 के बाद पार्टी को दोबारा खड़ा किया. यदि पार्टी मुझे मुख्यमंत्री पद देती है तो मैं इसे जिम्मेदारी के रूप में लूंगा जैसा मैंने प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर किया था, नहीं तो मैं सिर्फ एक विधायक बना रहूंगा.
इससे पहले मंगलवार को राहुल गांधी मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात करने उनके आवास पर पहुंचे थे. इस दौरान दोनों नेताओं के बीच 90 मिनट तक बैठक चली थी. इस बैठक में कर्नाटक के सीएम के नाम पर चर्चा हुई थी. इस बैठक में कांग्रेस के कर्नाटक प्रभारी रणदीप सुरजेवाला और महासचिव केसी वेणुगोपाल मौजूद थे. इसके बाद वेणुगोपाल ने राहुल गांधी के आवास पर जाकर भी उनसे मुलाकात की थी. बताया जा रहा है कि अंतिम फैसला लेने से पहले सोनिया गांधी से भी चर्चा की जाएगी.
- 13 मई को नतीजे आए. इसमें कांग्रेस ने 135 सीटों पर जीत हासिल की.
- 14 मई को बेंगलुरु के एक होटल में कांग्रेस विधायक दल की बैठक हुई. इस बैठक में केंद्र से भेजे गए तीन पर्यवेक्षक भी मौजूद थे. बैठक में एक लाइन का प्रस्ताव पास हुआ कि सीएम पर फैसला मल्लिकार्जुन खड़गे करें. हालांकि कुछ विधायकों ने इस दौरान अपनी निजी राय भी बताई.
- 15 मई को पर्यवेक्षक दिल्ली पहुंचे और मल्लिकार्जुन खड़गे को रिपोर्ट सौंपी. पार्टी ने दोनों नेताओं शिवकुमार और सिद्धारमैया को दिल्ली बुलाया. पार्टी आलाकमान की देर रात तक बैठक चली, इसमें सीएम के नाम पर चर्चा हुई, लेकिन सहमति नहीं बनी.
- सिद्धारमैया 15 मई को दोपहर में दिल्ली पहुंचे. शिवकुमार ने खराब तबीयत का हवाला देते हुए दिल्ली आने से इनकार कर दिया.
- डीके शिवकुमार 16 मई को दिल्ली पहुंचे. खड़गे के आवास पर बैठक हुई. राहुल गांधी भी इसमें मौजूद थे. इसके बाद खड़गे ने शिवकुमार और सिद्धारमैया के साथ अलग अलग बैठक की.
कर्नाटक में 13 मई को विधानसभा चुनाव के नतीजे आए थे. चुनाव में कांग्रेस ने प्रचंड जीत हासिल की और बीजेपी को सत्ता से बेदखल कर दिया. कांग्रेस ने चुनाव से पहले सीएम का चेहरा घोषित नहीं किया था. ऐसे में चुनाव के बाद पूर्व सीएम सिद्धारमैया और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने सीएम पद के लिए दावेदारी की थी. इसके बाद आलाकमान ने दोनों नेताओं को दिल्ली बुलाया था. चार दिन के मंथन और कई दौर की बातचीत के बाद भी नाम पर आम सहमित नहीं बन पाई.