जम्मू-कश्मीर में जल्द शुरू होगी चुनाव की प्रक्रिया, गृहमंत्री अमित शाह ने दिए संकेत

गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर के दौरे पर कई विकास परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया. उन्होंने इस दौरान राजौरी और बारामुला में रैलियों को भी संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने पीडीपी, नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस पर जमकर हमला बोला. शाह ने घाटी में शांति बहाल करने के लिए बीजेपी सरकार के उठाए कदमों को भी गिनाया. उन्होंने जम्मू-कश्मीर में जल्द चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के भी संकेत दिए.

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अमित शाह ने राजौरी और बारामूला में रैली को संबोधित किया अमित शाह ने राजौरी और बारामूला में रैली को संबोधित किया

हिमांशु मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 06 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 9:42 AM IST

गृहमंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर के तीन दिवसीय दौरे में माता वैष्णो देवी के दर्शन के साथ-साथ सुरक्षा के मुद्दे और पार्टी संगठन से संबंधित कई महत्वपूर्ण बैठक की. उन्होंने राजौरी और बारामुला में दो बड़ी रैलियों को भी संबोधित किया. अमित शाह ने घाटी में कई शहीदों के परिवारों से मुलाकात भी की. 

चुनावी दृष्टि से अमित शाह ने राजौरी में घोषणा की है कि घाटी के पहाड़ी समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) के तहत आरक्षण दिया जाएगा. इस दौरान उन्होंने विपक्ष पर आरोप लगाया कि पहाड़ी समुदाय को एसटी का दर्जे के तहत आरक्षण देने पर गुज्जर और बकरवाल समुदाय को यह कहकर भड़काया जा रहा है कि उनका आरक्षण काटकर पहाड़ी समुदाय को आरक्षण दिया जाएगा. अमित शाह ने साफ किया कि गुज्जर समाज और बकरवाल समुदाय के आरक्षण में कमी किए बिना पहाड़ी समुदाय को आरक्षण दिया जाएगा.

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'फारूक और महबूबा ने सिर्फ अपने परिवारों को बढ़ाया'

अमित शाह ने दोनों रैलियों में फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के परिवारों पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने पिछले 70 सालों में जम्मू-कश्मीर में विकास नाम मात्र का किया और जो किया उसमें भ्रष्टाचार किया. पीएम मोदी ने 2014 से जम्मू-कश्मीर में जो विकास कार्य किए हैं, वे जमीन पर आम जनता तक पहुंच गए हैं.

शाह ने कहा कि दो परिवारों ने जम्मू-कश्मीर में जम्हूरियत को मजबूत करने के नाम पर अपने परिवारों बढ़ाने का काम किया और अनुच्छेद 370 हटाने कारण जम्मू-कश्मीर में जम्हूरियत जमीन तक दिखने लगी है. इसका उदाहरण है डीडीसी में महिलाओं का चुनकर आना.

श्रीनगर के गुरुद्वारा छेंवी पातशाही में गृहमंत्री ने मत्था टेका.

'कश्मीर के बच्चों के हाथों में गुपकार गैंग ने थमाई बंदूक'

अमित शाह ने अपनी रैली में गुपकार गठबंधन को आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा कि गुपकार गैंग ने कश्मीर के बच्चों के हाथों में पत्थर और बंदूक दी. हमने कश्मीर के युवा के हाथ में किताब देने का फैसला लिया है. शाह ने आगे कहा कि आज जम्मू और घाटी में आईआईटी, आईआईएम और मेडिकल कॉलेज खुल रहे हैं. अब कश्मीर का युवा पत्थरबाज नहीं, डॉक्टर, इंजीनियर बन रहा है. यह अंतर है हमारी और गुपकार गैंग की सोच में.

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चुनाव प्रक्रिया बहाल करने की जमीन तैयार

जम्मू कश्मीर में राजनीति प्रक्रिया बहाल करने के लिए जमीन तैयार हो गई है. गृह मंत्री अमित शाह के तीन दिन के दौरे में राज्य के सुधरे हालात दिखाई दिए. बारामूला में शाह ने बड़ी रैली की, जिसमें हजारों की संख्या में लोग नजर आए. किसी भी कैबिनेट मंत्री की बारामूला में 35 साल में पहली रैली है. 

शाह ने की सुरक्षा हालात की समीक्षा

इस दौरान अमित शाह ने राज्य के सुरक्षा हालात की भी समीक्षा की. इसमें आतंकवाद, आतंकवादियों और उसके समर्थकों के तंत्र को जड़ से खत्म करने का निर्देश दिया. आतंकवादियों के हाथों शहीद हुए पुलिसवाले की कब्र पर श्रद्धांजलि देने के लिए 1200 फ़ीट चढ़कर गए. इस बीच मतदाता सूची को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया अंतिम चरण में पहुंच गई है. अगले एक महीने तक ये पूरी हो सकती है. 

ऐसी होगी जम्मू-कश्मीर की वोटर लिस्ट

जम्मू-कश्मीर के मतदाता चार श्रेणियों में बंटे हुए हैं. पश्चिमी पाकिस्तान से आने वाले एक लाख 46 हजार, जम्मू कश्मीर से देश भर में जाकर बसे चार लाख 44 हजार, पीओके से आए एक लाख 86 हजार और जम्मू-कश्मीर में 15 साल से रह रहे मतदाता शामिल होंगे.
 

जम्मू-कश्मीर में संगठन का हर फैसला शाह ही लेंगे

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सूत्रों की मानें तों जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव में पार्टी के संगठन की दृष्टि से अमित शाह की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण रहने वाली हैं यानी बंगाल की तरह जम्मू-कश्मीर में भी संगठन का हर छोटा-बड़ा फैसला वही लेंगे.

जम्मू पुलिस के शहीद जवान मुदासिर अहमद शेख के परिजनों से मिले अमित शाह.

क्या बीजेपी छोटे दलों के साथ करेगी गठबंधन?

बिखरे हुए विपक्ष का फायदा कैसे उठाया जाए, इसकी रणनीति बनाने में अमित शाह माहिर खिलाड़ी हैं. जम्मू-कश्मीर में पीडीपी, नैशनल कॉन्फ्रेंस से कई नेता अलग हो गए हैं, कई छोटे दल बन गए हैं, गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस से अलग होकर डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी बना ली यानी आज नैशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी और कोंग्रेस पहले जितने मजबूत नहीं रहे. हालांकि यह बात भी किसी से छुपी नहीं है कि बीजेपी की जो स्थिति जम्मू में है, वह घाटी में नहीं है.

अब देखना यह है कि क्या जम्मू कश्मीर में बीजेपी गुलाम नबी आजाद की डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी या किसी अन्य दल के साथ गठबंधन करके चुनावी मैदान में उतरेगी या फिर अकेले ही चुनाव में दम भरेगी.

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