बिहार के सिमरिया गंगा घाट में आयोजित होने वाले प्रसिद्ध तुलार्क महाकुंभ का मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को उद्घाटन किया. इस दौरान नीतीश कुमार ने कहा कि सिमरिया धाम के बारे में मैं बचपन से सुनता रहा हूं, जिसमें लोगों की काफी आस्था है. नीतीश कुमार ने आगे कहा कि कुम्भ सेवा समिति को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने इस कुम्भ में मुझे आमन्त्रित किया.
आपको बता दें कि इस कुंभ मेले में पहले से ही सिमरिया के उत्तरायणी गंगा तट पर हो रहे कल्पवास मेले में धर्म व अध्यात्म की रसधारा बह रही है.सीएम के आगमन को लेकर सिमरिया गंगा घाट में एक माह तक झोंपड़ी बनाकर रह रहे हजारों कल्पवासियों, अन्य श्रद्धालुओं के साथ-साथ वहां मौजूद लोगों में उत्साह दिखा.
नीतीश ने सिमरिया धाम की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सिमरिया धाम, मुक्तिधाम के रूप में सदियों से प्रचलित है. महीने भर तक इस स्थान पर रहकर लोग मुक्ति की प्रार्थना करते हैं. सिमरिया धाम को लोग स्वर्गधाम भी मानते हैं. यह स्थान पहले से ही प्रतिष्ठित रहा है.
मुख्यमंत्री ने कहा की 2011 में सिमरिया धाम में पहली बार अर्धकुम्भ लगा था. इसे लेकर उस समय धार्मिक जगत में विवाद हुआ था कि यह कोई कुंभ का जगह नहीं है. तब मैंने एक बैठक बुलाई और लोगों से उस बैठक में कहा था कि जब यहां के लोग संकल्पित हैं और यह उनकी आस्था है तो फिर बहस का कोई मतलब नहीं है. नीतीश कुमार ने कहा कि 2011 में अर्द्ध कुम्भ का आयोजन अच्छी तरह से हुआ. 6 साल बाद एक बार फिर कुम्भ की शुरुआत हुई है, लोगों का सहयोग मिल रहा है. मिथिला, मगध, अंग का यही केंद्र बिंदु रहा है. यह बहुत ही अद्भुत जगह है, मैं इस धरती को नमन करता हूं.
बाल-विवाह और दहेज प्रथा के खिलाफ बोलते हुए नीतीश ने कहा कि संत समाज का आशीर्वाद और आम लोगों का सहयोग मिले तो इसमें भी पूरी सफलता मिलेगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि यह समाज सुधार का काम है, इसका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है. अब 21 जनवरी 2018 को मानव श्रृंखला बनाकर बाल विवाह और दहेज प्रथा के खिलाफ लोगों को जागरूक कर, व्यापक रूप से लोगों के बीच संदेश पहुंचाया जाएगा.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सिमरिया कुंभ आयोजन समिति द्वारा पाग, अंगवस्त्र, प्रतीक चिह्न, मखाना का माला पहनाकर स्वागत किया गया. इस अवसर पर श्रम संसाधन मंत्री और बेगूसराय के प्रभारी मंत्री विजय कुमार सिन्हा, समाज कल्याण मंत्री कुमारी मंजू वर्मा, विधान पार्षद और कुंभ आयोजन समिति के संयोजक रजनीश कुमार, विधायक रामदेव राय, नारायण यादव, वीरेन्द्र महतो, उपेन्द्र पासवान, विधान पार्षद दिलीप चौधरी, नीरज कुमार, मेयर बेगूसराय उपेन्द्र प्रसाद सिंह मौजूद थे.
आपको बता दें कि धार्मिक कुंभ मेले को दुनिया में आस्था के सबसे बड़े आयोजन के रूप में देखा जाता है. अगर देखें तो वैदिक साहित्य में देश में चार स्थानों पर कुंभ के आयोजन की बात कही गई हैः प्रयाग (इलाहाबाद), हरिद्वार, उज्जैन और नासिक. यह तो सबको पता है कि इन स्थानों पर नियमित अंतराल में कुंभ का आयोजन होता है. एक अन्य तर्क यह भी दिया जाता है कि वैदिक काल में देश के 12 स्थानों पर कुंभ लगता था. इसी तरह बिहार के बेगूसराय जिले के सिमरिया में आयोजित अर्द्ध कुंभ को लुप्त हो चुके 8 कुंभ पर्वों को फिर से पुनर्स्थापित करने की शुरुआत बताया जा रहा है. ऐसे में दूसरी बार हो रहे इस तुलार्क कुम्भ से बिहार से निश्चित ही एक नई परंपरा की शुरुआत हो चुकी है.