यह बहस इस बात पर केंद्रित है कि कथावाचक कौन हो सकता है. एक पक्ष का मानना है कि वेद और प्राचीन स्मृतियों के अनुसार ब्राह्मण ही कथावाचक हो सकते हैं, जबकि दूसरा पक्ष कहता है कि देश संविधान से चलता है और जिसके पास ज्ञान है, वही कथा कह सकता है.