हाल ही में एक कथावाचक की यादव के तौर पर पहचान होने के बाद उनका सिर मुंडवाकर उन्हें अपमानित किया गया. इस घटना ने एक बड़ी बहस छेड़ दी है कि क्या कथावाचन का अधिकार केवल ब्राह्मणों तक सीमित है. चर्चा के दौरान, वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि पहचान छिपाकर कथा करना अनुचित है.