आज से संसद का मानसून सत्र शुरू हो रहा है, जो 21 जुलाई से 21 अगस्त तक चलेगा. इस सत्र के हंगामेदार होने के पूरे आसार हैं. सरकार ने सभी दलों से सहयोग मांगा है, लेकिन विपक्षी दलों के तेवर सख्त नजर आ रहे हैं. संसदीय कार्यमंत्री ने कहा है कि विपक्षी सांसदों ने जो भी मुद्दे उठाए हैं, उन पर नियमों के तहत ही चर्चा होगी. विपक्ष पहलगाम हमले, ऑपरेशन सिंदूर और अमेरिकी राष्ट्रपति के ट्रेड की धमकी देकर सीजफायर कराने के दावे पर प्रधानमंत्री के बयान की मांग कर रहा है. इसके अलावा, बिहार वोटों पुनरीक्षण और अहमदाबाद विमान हादसे पर भी सरकार से सवाल-जवाब होंगे. सरकार की ओर से इस सत्र में कुल 15 विधेयक पेश किए जा सकते हैं, जिनमें मणिपुर को लेकर वित्त विधेयक और मणिपुर में राष्ट्रपति शासन बढ़ाने वाला प्रस्ताव भी शामिल है. उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति ने लोकतंत्र में दूसरे पक्ष के विचारों की वकालत करते हुए कहा है कि “आप खुलकर अपना विचार व्यक्त कीजिए पर अपने विचार में इतना विश्वास मत रखिए कि मेरा विचार अंतिम विचार है।”