ताजमहल केस : 'पहले एमए-पीएचडी कीजिए...', हाई कोर्ट से फटकार सुनने वाले कौन हैं डॉक्टर रजनीश सिंह

Taj Mahal case : ताजमहल के 22 कमरों को खोलने की याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है. अब इस मामले को याचिकाकर्ता डॉक्टर रजनीश सिंह सुप्रीम कोर्ट ले जाने की तैयारी कर रहे हैं.

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Taj Mahal case में याचिकार्ता हैं डॉक्टर रजनीश सिंह Taj Mahal case में याचिकार्ता हैं डॉक्टर रजनीश सिंह

सत्यम मिश्रा / संतोष शर्मा

  • लखनऊ,
  • 12 मई 2022,
  • अपडेटेड 5:43 PM IST
  • ताजमहल केस में HC ने की याचिका खारिज
  • याचिकाकर्ता डॉक्टर रजनीश को लगाई फटकार

ताजमहल के 22 कमरे खुलवाने पहुंचे याचिकाकर्ता डॉक्टर रजनीश को कड़ी फटकार सुननी पड़ी है. हाईकोर्ट ने आज उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि कल को आप कहेंगे कि माननीय जज के चैंबर में जाना है. जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की बेंच ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि क्या आप मानते हैं कि ताजमहल को शाहजहां ने नहीं बनाया है? क्या हम यहां कोई फैसला सुनाने आए हैं? जैसे कि इसे किसने बनवाया या ताजमहल की उम्र क्या है?

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हाईकोर्ट ने कहा कि आपको जिस टॉपिक के बारे में पता नहीं है, उस पर रिसर्च कीजिए, एमए-पीएचडी कीजिए, अगर आपको कोई संस्थान रिसर्च नहीं करने देता है तो हमारे पास आइए. साथ ही सवाल किया आपने 22 कमरों के बारे में जानकारी किससे मांगी है. इसके साथ ही कोर्ट ने पूछा कि बंद कमरों की जानकारी मांगने वाले आप कौन हैं. फिलहाल इस हाईकोर्ट से यह याचिका खारिज कर दी है.

कौन हैं डॉक्टर रजनीश सिंह
याचिकाकर्ता डॉक्टर रजनीश सिंह ने बैचलर ऑफ डेंटल साइंस(BDS) की पढ़ाई लखनऊ के सरदार पटेल डेंटल कॉलेज से की है. रजनीश अयोध्या के रहने वाले हैं और पिछले 2 सालों से बीजेपी जिला मीडिया प्रभारी हैं. याचिकाकर्ता रजनीश सिंह का कहना है कि अब वह सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा अब खटखटाएंगे. उनका कहना है कि मैंने सिर्फ यह याचिका डाली थी कि जो 22 कमरे में बंद है उसको खोल दिया जाए ताकि जो भ्रांतियां हैं वह सामने आ सकें और जो विवाद है वह हमेशा के लिए खत्म हो जाए.

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आज तक से बातचीत में रजनीश ने कहा कि न्याय पाना हर नागरिक का अधिकार है. हाईकोर्ट ने जो कहा वह शिरोधार्य, लेकिन हम सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ अपील करेंगे.  उससे पहले संबंधित विभागों से भी इस मामले में जानकारी मांगी जाएगी. 

क्या है मामला
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में एक मामला दर्ज किया गया था, जिसमें कहा गया कि ताजमहल के 22 कमरे खोले जाएं ताकि मालूम चल सके कि उसके भीतर देवी-देवताओं की मूर्तियां और शिलालेख हैं या नहीं.

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