क्या होता है Robot Tax जो स्वदेशी जागरण मंच बजट में लगाने की मांग कर रहा है?

देश में क्या रोबोट टैक्स आ सकता है? इस बात की चर्चा इसलिए तेज हो गई है, क्योंकि वित्त मंत्री के साथ परामर्श बैठक में RSS के सहयोगी संगठन स्वदेशी जागरण मंच ने इस टैक्स को लागू करने की सलाह दी है. माना जा रहा है कि सरकार में बजट में नया नियम ला सकती है. इस टैक्स को लागू करने का मकसद यही है कि AI के रोजगार पर प्रभाव को कम किया जा सके.

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केंद्रीय बजट से पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अर्थशास्त्रियों के साथ बैठक कर रही हैं. केंद्रीय बजट से पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अर्थशास्त्रियों के साथ बैठक कर रही हैं.

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 12 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 2:24 PM IST

अमेरिकी बिजनेसमैन और माइक्रोसॉफ्ट के को-फाउंडर बिल गेट्स ने सात साल पहले एक बयान में कहा था कि जो रोबोट इंसानों की नौकरियां छीन रहे हैं, उन्हें टैक्स देना चाहिए. सरकारों को रोबोट (AI समेत आधुनिक तकनीकि) के उपयोग के लिए कंपनियों पर टैक्स लगाना चाहिए, ताकि अन्य तरह के रोजगार के लिए धन जुटाया जा सके. भारत में भी इस सुझाव का असर देखने को मिल रहा है. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सहयोगी संगठन स्वदेशी जागरण मंच ने मांग उठाई है कि जो कंपनियां रोबोट का इस्तेमाल कर रही हैं, सरकार को उनसे टैक्स वसूलना चाहिए ताकि AI से जिन लोगों की नौकरियां जा रही हैं, उन लोगों को फिर से स्किल सिखाने में मदद मिल सकेगी.

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केंद्रीय बजट 23 जुलाई को पेश हो सकता है. संसद का बजट सत्र 22 जुलाई से शुरू होगा और 12 अगस्त तक समाप्त हो सकता है. केंद्रीय बजट को लेकर स्वदेशी जागरण मंच ने सरकार के सामने कई सुझाव रखे हैं. इसमें 'रोबोट टैक्स' के विचार का सुझाव भी शामिल है. SJM का कहना है कि जो कंपनियां आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) को अपना रही हैं और उसके कारण कर्मचारियों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ रही है, ऐसी कंपनियों से सरकार को रोबोट टैक्स वसूलना चाहिए और नौकरी गंवाने वाले कर्मचारियों को मदद पहुंचाना चाहिए. SJM ने यह भी मांग की है कि ज्यादा रोजगार पैदा करने वाले उद्योगों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए.

रोजगार पैदा करने के लिए टैक्स प्रोत्साहन

अंग्रेजी बेवसाइट The Hindi के अनुसार, पिछले महीने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट को लेकर अर्थशास्त्रियों के साथ परामर्श बैठक की थी. इस बैठक में अर्थशास्त्री और SJM के राष्ट्रीय सह-संयोजक अश्विनी महाजन भी शामिल हुए. उन्होंने कहा कि AI की मानवीय लागत से निपटने के लिए आर्थिक उपायों की जरूरत है. महाजन का कहना था कि हम एआई समेत अत्याधुनिक तकनीक को अपनाने के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन यह एक फैक्ट है कि इससे कर्मचारियों के कुछ वर्गों के बीच रोजगार का नुकसान होगा और 'रोबोट टैक्स' का उपयोग एक फंड बनाने के लिए किया जा सकता है जो इन श्रमिकों का कौशल बढ़ाने और नई तकनीकों को अपनाने में मदद करेगा. 

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श्रमिकों का कौशल बढ़ाने के लिए फंड जुटाया जाए

उन्होंने कहा, इस तरह के टैक्स पर कई अन्य देशों में विचार किया जा रहा है. एआई अधिकांश अर्थव्यवस्थाओं को प्रभावित कर रहा है. इससे पहले अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) भी रोबोट टैक्स पर सहमति जता चुका है. IMF का मानना है कि AI की वजह से लोगों की नौकरी पर फर्क पड़ेगा. IMF ने यह तर्क भी दिया है कि एआई को लेकर सभी अर्थव्यवस्थाओं के लिए राजकोषीय प्रोत्साहन और मजबूत सामाजिक ताने-बाने की जरूरत होगी. पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी लोगों को AI के संबंध में गलत सूचना और फर्जी खबरों के खतरों के बारे में आगाह किया था. हालांकि, लोगों के जॉब मार्केट से बाहर होने और उनकी जगह रोबोट द्वारा लिए जाने का सवाल चिंता का विषय है.

आरएसएस से जुड़े सहयोगी संगठन भारतीय किसान संघ (BKS), ट्रेड यूनियन भारतीय मजदूर संघ (BMS), लघु उद्योग भारती (जो सूक्ष्म और लघु उद्योगों के लिए काम करता है) और स्वदेशी जागरण मंच (SJM) ने बजट को लेकर कई मांगें उठाई हैं. SJM आर्थिक और नीतिगत मुद्दों पर काम करता है.

SJM ने और क्या-क्या सुझाव दिए...

- रोबोट टैक्स से नौकरी गंवाने वाले श्रमिकों के कौशल विकास के लिए फंडिंग किया जा सकता है. 'खाली जमीन' के मालिकों पर संपत्ति टैक्स लिया जाना चाहिए.
- चुनावी अभियान के दौरान बेरोजगारी एक प्रमुख मुद्दा रहा. ऐसे में उद्योगों को ज्यादा रोजगार सृजित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. सरकार को रोजगार पैदा करने पर ध्यान देना चाहिए. 
- खाद्य मुद्रास्फीति के संबंध में छोटे किसानों को सूक्ष्म सिंचाई परियोजनाओं के लिए सब्सिडी दी जानी चाहिए, जिन्हें वे अपनी जमीन पर शुरू कर सकें और उत्पादकता बढ़ाने में मदद कर सकें. 
- सूक्ष्म सिंचाई परियोजनाओं को कंपनी अधिनियम, 2013 की अनुसूची VII में जोड़कर कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (सीएसआर निधि) के जरिए फंडिंग के लिए पात्र बनाया जाना चाहिए.
- सभी के लिए आवास विषय पर SJM ने सुझाव दिया कि खाली जमीन रखने वालों पर संपत्ति टैक्स लगाया जाना चाहिए, ताकि भविष्य की जरूरतों के बहाने अनावश्यक भूमि रखने वालों की संख्या कम हो.

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रोबोट टैक्स के बारे में जानिए...

रोबोट टैक्स एक ऐसी रणनीति है, जिसका उद्देश्य श्रमिकों की जगह मशीनों से काम कराए जाने के प्रयासों को कम करना है. जॉब गंवाने वाले लोगों के लिए सामाजिक सुरक्षा के ताने-बाने को मजबूत करना है. जबकि औद्योगिक क्रांति से पहले ही मैन्युअल तरीके से काम कराए जाने पर विचार किया जाता रहा है. मशीन लर्निंग जैसे नए विकास के कारण 21वीं सदी में इस मुद्दे पर ज्यादा चर्चा हुई है.

एक स्टडी में पाया गया है कि संयुक्त राज्य अमेरिका में 47% वर्कफोस ऑटोमेटेबल है. दूसरी स्टडी में पाया गया है कि 21 OECD देशों में यह आंकड़ा 9% है. रोबोट तैनात करने के लिए कंपनियों पर टैक्स लगाने का सुझाव विवादास्पद है. इसके पीछे एक तर्क यह भी दिया जाता है कि इस तरह के उपाय इनोवेशन को रोकेंगे और आर्थिक विकास को बाधित करेंगे. समर्थक करने वाले लोग इनकम पोलराइजेशन का दावा करते हैं. रोबोट टैक्स लगाने के समर्थक कहते हैं कि इससे कम आय वाले श्रमिकों की नौकरियां खतरे में हैं. ऐसे लोगों के पास हाई डिमांड वाले नॉलेज के क्षेत्रों में जाने के साधन नहीं हैं.

6 अगस्त 2017 को राष्ट्रपति मून के नेतृत्व में दक्षिण कोरिया ने पहला रोबोट टैक्स पारित किया था. संस्थाओं पर सीधे टैक्स लगाने के बजाय यह कानून उन टैक्स छूटों को कम करता है जो पहले रोबोटिक्स में निवेश के लिए दी जाती थीं. रोबोट टैक्स पहले मैडी डेलवॉक्स के बिल का हिस्सा था, जो यूरोपीय संघ में रोबोट के लिए नैतिक मानकों को लागू करता था. हालांकि, यूरोपीय संसद ने कानून पर मतदान करते समय इस पहलू को खारिज कर दिया था.

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