पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में टीएमसी विधायक जीवन कृष्ण साहा को सीबीआई ने लंबी पूछताछ के बाद हिरासत में ले लिया. सोमवार की सुबह जांच टीम विधायक को बर्धमान में उनके आवास से लेकर कोलकाता सीबीआई मुख्यालय के लिए निकल गई. सीबीआई की टीम शुक्रवार की दोपहर 12 बजे से टीएमसी नेता से पूछताछ कर रही थी.
सीबीआई की टीम को देखकर जीवन कृष्ण साहा ने अपने दोनों मोबाइल पास के ही तालाब में फेंक दिए थे. टीम ने तालाब का पानी निकालकर एक मोबाइल को बरामद कर लिया है, जबकि दूसरे मोबाइल की तलाश जारी है. अधिकारी ने कहा कि बरामद किए गए मोबाइल को डेटा को प्राप्त करने के लिए एक्सपर्ट्स काम कर रहे हैं और हम दूसरे मोबाइल का पता लगाने में भी कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं.
अधिकारियों ने बताया कि साहा के आवास के पास एक कचरा डंपिंग साइट से दस्तावेजों से भरे कम से कम पांच बैग जब्त किए गए हैं. इसके अलावा 15 अप्रैल को सीबीआई अधिकारियों ने कोलकाता, पुरबा मेदिनीपुर और बीरभूम जिलों में बी.एड और डी.एल.एड कॉलेजों वाले एक ट्रस्ट के अध्यक्ष और एक अन्य व्यक्ति के परिसरों सहित छह स्थानों पर तलाशी ली थी. एक अन्य टीम ने 15 अप्रैल को ही बीरभूम जिले में टीएमसी के पूर्व ब्लॉक अध्यक्ष बिभास अधिकारी के घर पर शिक्षक भर्ती घोटाले में शामिल होने के आरोप को लेकर छापेमारी की.
हाई कोर्ट के निर्देश पर हो रही है जांच
कलकत्ता हाई कोर्ट के निर्देश पर केंद्रीय जांच एजेंसियां सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में भर्ती से संबंधित घोटाले की जांच कर रही हैं. सीबीआई की दो और टीमों ने पुरबा मेदिनीपुर जिले में एक अन्य आरोपी गोपाल दलपति के आवास पर छापेमारी की. उन्होंने कहा कि केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों ने कोलकाता के हरिदेवपुर इलाके में और हावड़ा जिले में भी उनकी पत्नी हैमोंटी गांगुली के फ्लैटों पर छापेमारी की.
अर्पिता के घर से 50 करोड़ कैश मिलने के बाद हुए थे अरेस्ट
पार्थ चटर्जी की करीबी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी के कई आवासों से लगभग 50 करोड़ रुपये नकद बरामद करने के बाद ईडी ने जुलाई में पार्थ चटर्जी को गिरफ्तार कर लिया था. इसके बाद पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने पार्थ चटर्जी को वाणिज्य और उद्योग सहित कई बड़े विभागों के प्रभारी मंत्री के रूप में उनके कर्तव्यों से मुक्त कर दिया था. पार्थ चटर्जी को तृणमूल कांग्रेस से भी निलंबित कर दिया गया था.
क्या है शिक्षा भर्ती घोटाला?
यह घोटाला 2014 का है. तब पश्चिम बंगाल स्कूल सर्विस कमिशन (SSC) ने पश्चिम बंगाल में सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती निकाली थी. यह भर्ती प्रक्रिया 2016 में शुरू हुई थी. उस वक्त पार्थ चटर्जी शिक्षा मंत्री थे. इस मामले में गड़बड़ी की कई शिकायतें कोलकाता हाईकोर्ट में दाखिल हुई थीं.
टीईटी परीक्षा में फेल उम्मीदवारों को भी मिल गई नौकरी
याचिकाकर्ताओं का आरोप था कि जिन उम्मीदवारों के नंबर कम थे उन्हें मेरिट लिस्ट में ऊपर स्थान मिला है. इतना ही नहीं कुछ शिकायतें ऐसी भी थीं, जिनमें कहा गया था कि कुछ उम्मीदवारों का मेरिट लिस्ट में नाम न होने पर भी उन्हें नौकरी दे दी गई. कुछ ऐसे भी उम्मीदवारों को नौकरी दी गई, जिन्होंने टीईटी परीक्षा भी पास नहीं की थी. इसी तरह से राज्य में 2016 में एसएससी द्वारा ग्रुप डी की 13000 भर्ती के मामले में शिकायतें मिली थीं.
हाईकोर्ट ने इन सभी याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सीबीआई जांच के आदेश दिए थे. इसके बाद ईडी ने शिक्षक भर्ती और कर्मचारियों की भर्ती के मालमे में मनी ट्रेल की जांच शुरू की थी. इस मामले में बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री और उनके सहयोगियों को भी हिरासत में लिया गया है.
अनुपम मिश्रा