हिंद महासागर में भारत की नौसेना हमेशा चीन पर भारी, नेवी चीफ ने बताया कैसी है तैयारी

समुद्री रास्ते से घुसपैठ और समुद्री कैबल के बारे में बात करते हुए एडिमरल त्रिपाठी ने कहा कि वाकई में यह एक बड़ी चुनौती है क्योंकि डेटा आज के दौर में सबसे अहम है जो कि क्लाउड में नहीं बल्कि समंदर में स्टोर होता है, इसी वजह से उसकी सुरक्षा भी अहम हो जाती है.

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नेवी चीफ एडमिरल दिनेश त्रिपाठी नेवी चीफ एडमिरल दिनेश त्रिपाठी

aajtak.in

  • नई दिल्ली ,
  • 08 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 2:32 PM IST

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2025 के दूसरे दिन नेवी चीफ एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी ने कार्यक्रम में शिरकत की. उन्होंने चर्चा के दौरान नेवी की तैयारियों और चुनौतियों के बारे में बताया. साथ ही आज के वक्त में जंग के दौरान टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि नेवी खुद को आधुनिक बनाने के लिए हर नई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रही है और अपने प्रतिद्वंदी से किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं है.

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जंग में आंकड़े मायने नहीं रखते 

चीन की नौसेना के मुकाबले इंडियन नेवी कहां ठहरती है? इसके जवाब में एडमिरल त्रिपाठी ने कहा कि पिछले एक दशक में चीन ने संख्या के हिसाब से पूरी एक भारतीय नौसेना खड़ी कर दी है जो कि हमारे लिए गुड न्यूज नहीं है. उन्होंने कहा कि नंबर के अपने अलग फायदे और नुकसान हैं, इसलिए हम आंकड़ों पर गौर नहीं करते. जंग के मैदान में आंकड़ों से ज्यादा रणनीति और क्षमता अहम होती है. हमारे लिए अपने प्रतिद्वंदी की क्षमता को आंकना जरूरी है क्योंकि उसी के हिसाब से रणनीति तैयार की जाती है.

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उन्होंने कहा कि जंग के समय भौगोलिक स्थिति सबसे ज्यादा अहम हो जाती है. एडमिरल त्रिपाठी ने कहा कि हमारा सौभाग्य है कि भौगोलिक दृष्टिकोण से हम हमेशा हिंद महासागर के क्षेत्र में चीन पर भारी हैं. चीन के पास संख्या कितनी भी क्यों न हो, उन्हें हिंद महासागर के रास्ते ही हमसे मुकाबला करना है. उनके जंगी जहाज या एयरक्राफ्ट कहीं से भी हिंद महासागर की तरफ आएंगे तो हमारे पास उन्हें ट्रैक करने और जवाब देने की पर्याप्त क्षमता है.

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नेवी में AI का अहम रोल

अगर चीन ने पाकिस्तान की तरह 1971 की जंग जैसी साजिश की तो क्या भारत उसी तरह माकूल जवाब दे सकता है? इसके जवाब में एडमिरल त्रिपाठी ने कहा कि कोई भी पाकिस्तानी एयरक्राफ्ट कैरियर हमारे क्षेत्र में कहीं से भी 300 किमी के अंदर तक नहीं आ सकता क्योंकि नेवी की निगरानी काफी मजबूत है और ऐसे में उन्हें पहले ही रोक दिया जाएगा. समुद्री रास्ते से घुसपैठ और समुद्री कैबल के बारे में बात करते हुए एडिमरल त्रिपाठी ने कहा कि वाकई में यह एक बड़ी चुनौती है क्योंकि डेटा आज के दौर में सबसे अहम है जो कि क्लाउड में नहीं बल्कि समंदर में स्टोर होता है. इसकी जरूरत एक आम मोबाइल इंटरनेट से लेकर हर एक बड़े सॉफ्टवेयर को पड़ती है और इसकी सुरक्षा उतनी ही अहम हो जाती है.

नेवी में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल को लेकर नेवी चीफ ने कहा कि हम फैसले लेने से लेकर, रणनीति बनाने और कैंपेन प्लानिंग में इसका उपयोग कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि हमने नेवी में AI लैब बनाई है और इंडस्ट्री से सीख रहे हैं. एडमिरल त्रिपाठी ने कहा कि काफी टेक्नोलॉजी अब कमर्शियल हो चुकी हैं और नेवी खुद को आधुनिक बनाने में उनका इस्तेमाल कर रही है. उन्होंने कहा कि पीएसयू से लेकर प्राइवेट सेक्टर की हर वो टेक्नोलॉजी जो हमारे काम आ सकती है, उसका हम इस्तेमाल कर रहे हैं.

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