विजय माल्या केस की सुनवाई शुरू, 14 हजार करोड़ वसूली का दावा, कोर्ट ने पूछा- क्या FEO नोटिस जारी है?

विजय माल्या से जुड़े करोड़ों रुपये के गबन मामले में अदालत ने सुनवाई फिर शुरू की है. माल्या के वकील ने दावा किया कि बैंकों का लगभग पूरा बकाया वसूल हो चुका है. कोर्ट ने फ्यूजिटिव इकोनॉमिक ऑफेंडर एक्ट के तहत जारी कार्रवाई पर भी विचार किया. माल्या ने 2016 में भारत छोड़ दिया था और उनके खिलाफ धोखाधड़ी, मनी लॉन्ड्रिंग जैसे आरोप हैं.

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वसूली के दावे के बीच माल्या केस में सुनवाई, कोर्ट का सवाल बरकरार वसूली के दावे के बीच माल्या केस में सुनवाई, कोर्ट का सवाल बरकरार

विद्या

  • मुंबई ,
  • 23 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 2:01 PM IST

भारत से करोड़ों रुपए का गबन करके भागने वाले शराब कारोबारी विजय माल्या से जुड़े मामले में एक बार फिर अदालत में सुनवाई शुरू हो गई है. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने माल्या की वापसी को लेकर पहले पूछे गए सवालों को दोहराया, जबकि माल्या के वकील ने दावा किया कि बैंकों का करीब पूरा बकाया अब वसूल हो चुका है. मामले में फ्यूजिटिव इकोनॉमिक ऑफेंडर एक्ट के तहत जारी कार्रवाई भी कोर्ट के सामने रखी गई.

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बता दें कि विजय माल्या से जुड़ी सुनवाई एक बार फिर शुरू हो गई है. सुनवाई के दौरान विजय माल्या के वकील ने हाईकोर्ट को उसके पहले पूछे गए अहम सवाल की याद दिलाई. कोर्ट ने पहले माल्या से पूछा था कि वो भारत कब लौटेंगे. मुख्य न्यायाधीश चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति गौतम ए. अंखढ़ की पीठ विजय माल्या की याचिका पर सुनवाई कर रही है. कोर्ट ने पूछा कि क्या आपके खिलाफ भगोड़ा आर्थिक अपराधी कानून (Fugitive Economic Offender Act) के तहत कोई नोटिस या आदेश जारी किया गया है.

माल्या की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी (देसाई) ने हां में जवाब दिया. इस पर कोर्ट ने कहा कि दोनों मामलों को एक साथ सुना जाना चाहिए था. माल्या के वकील ने आगे कहा कि इस बीच कई बड़े घटनाक्रम हुए हैं और अब तक 14 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की वसूली हो चुकी है. उन्होंने बताया कि शुरू में मामला करीब 6 हजार करोड़ रुपये का था, लेकिन ब्याज समेत लगभग पूरी रकम वसूल की जा चुकी है.

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क्या है पूरा मामला?

विजय माल्या, जो कभी देश के नामी शराब कारोबारी और अरबपतियों में शुमार थे, साल 2016 में भारत छोड़कर विदेश चले गए और उसके बाद वापस नहीं लौटे. इससे पहले, 2015 में सीबीआई ने उनके खिलाफ सिक्योरिटीज एंड फ्रॉड सेल के तहत एफआईआर दर्ज की थी. मामला आईडीबीआई बैंक से किंगफिशर एयरलाइंस को दिए गए करीब 900 करोड़ रुपये के कर्ज से जुड़ा था.

जांच में आरोप सामने आए कि किंगफिशर एयरलाइंस के चेयरमैन रहते हुए माल्या ने लोन हासिल करने के लिए नियमों का उल्लंघन किया और धोखाधड़ी की. बाद में एसबीआई के नेतृत्व वाले बैंक कंसोर्टियम ने भी माल्या के खिलाफ धोखाधड़ी की अलग शिकायत दर्ज कराई. जांच एजेंसियों ने इस मामले में आपराधिक साजिश, विश्वासघात और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे आरोप लगाए.

दो हफ्ते पहले क्या कहा था कोर्ट ने?

करीब दो हफ्ते पहले हुई सुनवाई में भी अदालत ने यही रुख अपनाया था. तब कोर्ट ने साफ कहा था कि जब तक विजय माल्या खुद अदालत के सामने पेश नहीं होते, तब तक उनकी याचिकाओं पर कोई राहत नहीं दी जा सकती. अदालत ने ये भी संकेत दिया था कि कानून से बचकर बाहर बैठे व्यक्ति को सुरक्षा देने का कोई आधार नहीं बनता.

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एफईओ एक्ट के तहत कार्रवाई

2018 में फ्यूजिटिव इकोनॉमिक ऑफेंडर (FEO) एक्ट लागू होने के बाद विजय माल्या के खिलाफ इसी कानून के तहत कार्रवाई शुरू की गई. इसके विरोध में माल्या ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी जिस पर सुनवाई चल रही है.

इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कोर्ट को बताया था कि माल्या जांच से बचने के लिए देश छोड़कर गए थे. ईडी ने कहा था कि माल्या के भारत लौटे बिना उन्हें किसी तरह की सुरक्षा या राहत देना उचित नहीं है. एजेंसी के मुताबिक, देश छोड़ने के बाद माल्या का पासपोर्ट रद्द किया गया और उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट भी जारी किया गया था.

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