लोकसभा में बुधवार को ग्रामीण रोजगार से जुड़े नए विधेयक ‘विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण)’ यानी VB-G RAM G बिल पर चर्चा शुरू हुई. केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विधेयक पेश करते हुए कहा कि यह कानून न सिर्फ ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार की गारंटी देगा, बल्कि महात्मा गांधी के आत्मनिर्भर गांवों के सपने को भी साकार करेगा.
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि 20 साल पुराने मनरेगा कानून की जगह लाने वाला यह नया बिल गांवों के सर्वांगीण विकास की दिशा में बड़ा कदम है. इसके जरिए गांवों को गरीबी से मुक्त किया जाएगा और उन्हें विकास की मुख्यधारा से जोड़ा जाएगा. उन्होंने कहा कि सरकार गांधी जी के विचारों और सिद्धांतों में विश्वास करती है और उन्हीं के अनुरूप यह कानून तैयार किया गया है.
कांग्रेस ने किया विरोध
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस सांसद जय प्रकाश ने बिल का विरोध किया. उन्होंने कहा कि विधेयक से महात्मा गांधी का नाम हटाया जाना सबसे बड़ा अपराध है. कांग्रेस सांसद ने आरोप लगाया कि यह प्रस्तावित कानून राज्यों पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ डालेगा और ग्राम सभाओं जैसे जमीनी स्तर के लोकतांत्रिक संस्थानों के अधिकारों को कमजोर करेगा. यह कानून गरीबों और दलितों के खिलाफ है और एक अमीर समर्थक सोच का परिणाम है.
जय प्रकाश ने यह भी कहा कि नए कानून के तहत कामों के चयन का अधिकार ग्राम सभाओं से छिन जाएगा, जिससे विकेंद्रीकरण की भावना को नुकसान पहुंचेगा.
गौरतलब है कि शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को ही इस बिल को लोकसभा में पेश किया था और कहा था कि सरकार महात्मा गांधी के आदर्शों पर चलने में विश्वास रखती है. विधेयक के प्रावधानों के अनुसार, हर ग्रामीण परिवार को, जो अकुशल श्रम करने के लिए स्वेच्छा से आगे आएगा, एक वित्तीय वर्ष में 125 दिनों के मजदूरी आधारित रोजगार की कानूनी गारंटी दी जाएगी.
बिल में यह भी प्रावधान है कि VB-G RAM G अधिनियम लागू होने के छह महीने के भीतर सभी राज्यों को इसके अनुरूप अपनी-अपनी योजनाएं बनानी होंगी.
मनरेगा स्कीम क्या है?
महात्मा गांधी नेशनल रूरल एम्प्लॉयमेंट गारंटी एक्ट (MGNREGA), एक इंडियन लेबर लॉ और सोशल सिक्योरिटी उपाय है, जिसका मकसद 'काम करने के अधिकार' की गारंटी देना है. इसे शुरू में नेशनल रूरल एम्प्लॉयमेंट गारंटी एक्ट 2005 कहा जाता था.
यह स्कीम एक फ्लैगशिप प्रोग्राम है, जिसका मकसद ग्रामीण परिवारों की रोजी-रोटी की सिक्योरिटी को बेहतर बनाना है. इसके लिए हर उस घर को एक फाइनेंशियल ईयर में कम से कम 100 दिन की गारंटी वाली नौकरी दी जाती है, जिसके बड़े सदस्य अपनी मर्ज़ी से अनस्किल्ड मैनुअल लेबर करते हैं.
MGNREGA दुनिया के सबसे बड़े वर्क गारंटी प्रोग्राम में से एक है, जिसे 2005 में ग्रामीण विकास मंत्रालय ने शुरू किया था. 2022-23 तक, MGNREGA के तहत 15.4 करोड़ एक्टिव वर्कर हैं. इस योजना का मकसद अधिकारों पर आधारित फ्रेमवर्क के ज़रिए पुरानी गरीबी की वजहों को दूर करना है. बेनिफिशियरी में कम से कम एक-तिहाई महिलाएं होनी चाहिए.
MGNREGA के डिज़ाइन का सबसे ज़रूरी हिस्सा यह है कि यह किसी भी ग्रामीण बड़े व्यक्ति को काम मांगने के 15 दिनों के अंदर काम दिलाने की कानूनी गारंटी देता है, और ऐसा न करने पर 'बेरोज़गारी भत्ता' दिया जाना चाहिए. इन कामों की प्लानिंग और उन्हें लागू करने में पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) को अहम भूमिका देकर डीसेंट्रलाइज़ेशन की प्रक्रिया को मज़बूत करने पर ज़ोर दिया गया. यह एक्ट ग्राम सभाओं को किए जाने वाले कामों की सिफारिश करने का अधिकार देता है और कम से कम 50% काम उन्हें ही करने होंगे.
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