सड़कों पर जन आक्रोश, सरकार का अल्टीमेटम... कोलकाता कांड के विरोध में आज भी प्रदर्शन

कोलकाता में मंगलवार को छात्रों के आक्रोश को रोकने के लिए बंगाल सरकार ने इतनी मेहनत की. प्रदर्शनकारियों को नबन्ना जाने से रोकने के लिए 7 रूट पर तीन लेयर में 6 हजार की फोर्स तैनात की गई. 19 पॉइंट्स पर बैरिकेंडिंग हुई.

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कोलकाता में 'नबन्ना अभियान' रैली के मद्देनजर हावड़ा ब्रिज पर पुलिसकर्मी तैनात किए गए. (फोटो-PTI) कोलकाता में 'नबन्ना अभियान' रैली के मद्देनजर हावड़ा ब्रिज पर पुलिसकर्मी तैनात किए गए. (फोटो-PTI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 27 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 10:52 AM IST

पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता छावनी में तब्दील हो रखी है. वजह है छात्रों का आंदोलन. आठ-नौ अगस्त की रात आर जी कर मेडिकल कॉलेज में महिला डॉक्टर के साथ हुई दरिंदगी के खिलाफ आज छात्रों और मजदूरों के संगठन ने ममता सरकार के सचिवालय तक विरोध प्रदर्शन निकाला. जिसे रोकने के लिए पश्चिम बंगाल में आज अभूतपूर्व किलेबंदी की गई. मानो महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दे पर ममता सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वाले प्रदर्शनकारी नहीं बल्कि दूसरे देश के घुसपैठिए हों. लेकिन आम लोगों का आक्रोश रोकने के लिए हर सरकारी मोर्चाबंदी के खिलाफ कोलकाता की सड़क पर ऐसा विरोध आज दिखा, जो शायद पिछले कई वर्षों में नहीं देखा गया.

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ऐसी चिंगारी जिसके सहारे आक्रोश की ज्वाला को रोकने की पश्चिम बंगाल में ठानी गई. लेकिन क्यों? लोहे को लोहा काटता है. लेकिन पश्चिम बंगाल में जनता के आक्रोश को रोकने के लिए सोमवार सुबह लोहे से लोहा जोड़ा जाता दिखा. लेकिन जब जनता का गुस्सा जमीन पर आता है तो लोहा जुड़ता नही टूट जाता है. यही सोमवार दोपहर कोलकाता की सड़कों पर हुआ.

जब नबन्ना यानी बंगाल सरकार के सचिवालय की तरफ ममता सरकार के खिलाफ आक्रोश में उबलती जनता प्रदर्शन करने उतरी. बैरिकेड को कागज के पन्ने की तरह खींचकर फेंक दिया. बता दिया कि जनता की नाराजगी के आगे कोई वेल्डिंग मशीन काम नहीं आती.

7 रूट पर तीन लेयर में 6 हजार की फोर्स तैनात

छात्रों के इसी आक्रोश को रोकने के लिए बंगाल सरकार ने इतनी मेहनत की. प्रदर्शनकारियों को नबन्ना जाने से रोकने के लिए 7 रूट पर तीन लेयर में 6 हजार की फोर्स तैनात की गई. 19 पॉइंट्स पर बैरिकेंडिंग हुई. 21 पॉइंट्स पर डीसीपी तैनात कर दिए गए. हावड़ा ब्रिज बंद कर दिया. निगरानी के लिए ड्रोन की मदद ली गई. राज्य सरकार का इतने से भी मन नहीं भरा तो जिनकी नीयत काला होने का जनता को शक है, वो सरकारी व्यवस्था आम लोगों के प्रदर्शन को रोकने के लिए बैरिकेड पर मोबिल ऑयल लगवाने लगी.

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नबन्ना अभियान में कोलकाता पुलिस ने कुल 126 गिरफ्तारियां [पुरुष 103+ महिला 23] कीं. इस दौरान 15 पुलिसकर्मी घायल भी हुए हैं. 

धरी रह गई सरकार की सारी प्लानिंग

लेकिन सारी रणनीतियां धरी की धरी रह गईं. जब कोलकाता में पश्चिम बंगाल छात्र समाज और संग्रामी जौथा मंच यानी छात्रों और मजदूरों के संगठन ने नबन्ना अभिजान मार्च यानी सरकार को घेरने वाले अभियान के तहत मार्च निकाला. उन्हीं बैरिकेड पर चढ़कर जनता ने हाथ में तिरंगा लेकर आक्रोश दिखाया. जिन पर चढ़ने से रोकने को मोबिल ऑयल कोलकाता पुलिस लगवाती रही.

क्या पश्चिम बंगाल में आज हर 100 में से छठा पुलिसकर्मी केवल कोलकाता में ममता सरकार के दफ्तर तक होने वाले प्रदर्शन को रोकने के लिए तैनात कर दिया गया था? इस आंकड़े से समझिए

राज्य की 6 फीसदी पुलिस सिर्फ छात्रों को रोकने के लिए लगा दीं

अक्टूबर 2022 तक पश्चिम बंगाल की कुल आबादी करीब 9 करोड़ 88 लाख थी. बंगाल पुलिस में कुल 99 हजार 997 जवान हैं. यानी कि बंगाल में एक पुलिस वाले पर 989 आम लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी है. आज छात्रों के प्रदर्शन को रोकने के लिए 6 हजार पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे. इन 6 हजार पुलिस वालों पर बंगाल के 59.34 लाख लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी है और ये 6 हजार पुलिस वाले पश्चिम बंगाल के कुल जवानों का 6 फीसदी है. यानी आज पश्चिम बंगाल के छह फीसदी पुलिसकर्मी राजधानी में केवल प्रदर्शन रोकने के लिए तैनात कर दिए गए.

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ऐसे में सवाल है कि आखिर जब मेडिकल कॉलेज रेप औऱ मर्डर केस में जांच सीबीआई कर रही तो फिर अब गुस्सा क्यों बंगाल सरकार के खिलाफ? इस सवाल का जवाब जानने के लिए सोमवार का दिन याद कीजिए. सोमवार को तीन घंटे के भीतर ना जाने कितने आंसू गैस के गोले छोड़े गए. कोलकाता में सोमवार दोपहर करीब तीन घंटे प्रदर्शन छात्रों का चलता रहा. जिसे देखने वाले कहते हैं कि किसी प्रदर्शन को रोकने में इतनी पुलिस और किलेबंदी नहीं देखी गई.

इसी पुलिस ने जनता के आक्रोश को रोकने के लिए क्या नहीं किया? इन्हें हिरासत में लेने के लिए जमीन पर घसीटा तक गया है. ऐसे घसीटा गया जैसे ये कोई उपद्रवी हैं. इनके हाथ में कोई हथियार नहीं. फिर भी ऐसे घसीटकर जमीन पर पुलिस ने लेटा दिया, जैसे ना जाने ये कितने बड़ा खतरा बन गए थे. कोलकाता में आम आदमी के गुस्से को यूं इसलिए घसीटा गया. क्योंकि कोलकाता पुलिस की कंटेनर वाली दीवार तक पार करके ये प्रदर्शनकारी आगे अपने आक्रोश के साथ बढ़ते गए. 

नबन्ना यानी ममता सरकार के मुख्य दफ्तर तक जाने वाली सड़क को ब्लॉक करने के लिए कैसे कंटेनर तक रखे गए. वो कंटेनर जो थ्री लेयर की सुरक्षा दीवार का हिस्सा बने. इस वीडियो में आप अच्छे से इसे समझ सकते हैं। जहां लोहे का बैरीकेड सबसे पहले आगे है. फिर बांस का बैरीकेड है और फिर वो कंटेनर है,जिसे पुलिस ने माना कि बंगाल के छात्र और मजदूर पार ही नहीं कर पाएंगे.

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खुद प्रदर्शन करने वाली ममता ने अन्य दलों को दिया अल्टीमेटम
 
ममता बनर्जी खुद तो प्रदर्शन कर लेती हैं. लेकिन जब दूसरे छात्र संगठन या राजनीतिक दल प्रदर्शन करने उतरते हैं तो या तो कलकत्ता हाईकोर्ट से जाकर इजाजत लानी पड़ती है या फिर शांति भंग की धारा अपने ऊपर झेलकर हिरासत में जाना पड़ता है. इसके बाद छात्रों पर हुई कार्रवाई के खिलाफ जब बीजेपी ने कल 12 घंटे के बंगाल बंद का एलान किया तो ममता सरकार का अल्टीमेटम आ गया है. 

बीजेपी के बंगाल बंद के खिलाफ ममता सरकार ने कहा कि कोई बंद नहीं रहेगा. पश्चिम बंगाल सरकार ने निर्देश दिया है कि राज्य सरकार के अपने दफ्तर और सरकार से अनुदान प्राप्त सभी दफ्तर कल खुले रहेंगे. संभव है कि आप कहेंगे कि ये बात तो सही ही है अगर कोई पार्टी बंद का एलान करती है तो क्यों राज्य सरकार उसका समर्थन करेगी. लेकिन अगला प्वाइंट अब देखिए जहां पश्चिम बंगाल सरकार कहती है कि कोई भी सरकारी कर्मचारी कल कैजुअल लीव नहीं ले सकता. ममता सरकार कहती है कि कल यानी 28 अगस्त को कोई भी सरकारी कर्मचारी पहले हाफ या सेकेंड हाफ किसी भी वक्त का हाफ डे भी नहीं ले सकता.

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कोई कर्मचारी नहीं लेगा छुट्टी

ममता सरकार का निर्देश आज ही आ गया है कि कुछ इमरजेंसी या मेडिकल वजह ना हो तो कल की कोई छुट्टी भी कर्मचारी नहीं पाएंगे. इसके आगे ये भी लिखा है कि जो कर्मचारी आज 27 अगस्त को छुट्टी पर थे, वो कल यानी 28 अगस्त को आकर ऑफिस में रिपोर्ट करेंगे. इसके अतिरिक्त बंगाल सरकार ने कहा है कि अगर कोई कर्मचारी कल छुट्टी लेता है तो फिर उसके खिलाफ कारण बताओ नोटिस संबंधित विभाग के अधिकारी जारी करेंगे. अगर कल की छुट्टी लेने पर कारण बताओ नोटिस का जवाब कर्मचारी ना दें, तो बंगाल सरकार कहती है कि उसके खिलाफ कार्रवाई होगी.

प्रदर्शनकारियों को गुंडा बता रही TMC

कभी महिलाओं के हित में आवाज में उठाने वाली ममता अब बंगाल में प्रदर्शनकारियों पर अंकुश लगाती दिखीं. टीएमसी की सांसद सयानी घोष ट्वीट करती हैं कि प्रदर्शनकारियों की शक्ल गुंडो जैसी है. उन्होंने लिखा कि वॉटर कैनन से नहाते हुए पिकनिक जैसा प्रदर्शन किया जा रहा है.

अब इस बंद का विरोध करना राज्य सरकार का काम है. लेकिन बंद के खिलाफ राज्य सरकार के कर्मचारियों को सख्त निर्देश दिया जाना क्या बताता है? बंगाल सरकार के कर्मचारी बुधवार को छुट्टी तक नहीं ले सकते हैं, क्योंकि बीजेपी ने बंद बुलाया है. और सरकार नहीं चाहती कि अब जो आक्रोश छात्रों की शक्ल में स़ड़क तक आया है. वो सरकारी दफ्तरों के भीतर तक भी पनपे.

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इतिहास गवाह है, आक्रोश कभी पुलिस की लाठी, पुलिस के बैरिकेड और आंसू गैस से संभाला नहीं जाता. आम आदमी शौक से सड़क पर नहीं उतरता. जनता चाहती है कि पुलिस अपनी जिम्मेदारी निभाए. कानून का इकबाल हो. FIR समय से दर्ज हो. जांच में लीपापोती कभी ना रहे. सरकारें न्याय दिलाने की सिर्फ बातें ना करती रहें, बल्कि न्याय दिलाने की कोशिश भी करती दिखें. लेकिन क्या ऐसा होता है? नहीं होता, तभी तो पता चला कि पश्चिम बंगाल में कुल 123 फास्टट्रैक कोर्ट शुरू किए गए, लेकिन उनमें अधिकतर बंद हैं. तो जरूरत आक्रोश को दबाने की नहीं बल्कि आक्रोश पैदा ही ना हो, इसके लिए कदम उठाने की है.

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