इंसानों की जगह नेताओं ने मवेशियों के सामने दिया भाषण, इस राज्य में अनोखा राजनीतिक सम्मेलन

तमिलनाडु के मदुरै में एक अनोखा सम्मेलन आयोजित किया, जिसमें सैकड़ों मवेशियों को 'मेइचल निलम एंगल उरिमै' (चारागाह हमारी ज़मीन) अभियान के तहत शामिल किया गया. पार्टी प्रमुख ने गायों, बैलों और भैंसों के सामने भाषण देते हुए 15 मांगें रखीं और वन विभाग द्वारा जानवरों के चारागाह के तौर पर इस्तेमाल होने वाली जमीन पर रोक लगाए जाने का विरोध किया. यह राज्य का पहला ऐसा सम्मेलन रहा जिसमें नेता ने पशुओं को संबोधित किया.

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मवेशियों के सामने दिया भाषण (तस्वीर - ITG) मवेशियों के सामने दिया भाषण (तस्वीर - ITG)

प्रमोद माधव

  • चेन्नई,
  • 10 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 10:53 PM IST

तमिलनाडु की राजनीति में एक अनोखा सियासी सम्मेलन हुआ जिसकी तस्वीर पहले शायद ही आपने देखी होगी. Naam Thamizhar Katchi ने मदुरै के विराधानूर क्षेत्र में सैकड़ों मवेशियों के साथ एक सम्मेलन आयोजित किया. इस सम्मेलन का नाम रखा गया था ‘मेइचल निलम एंगल उरिमै’ यानी की चरागाह हमारी ज़मीन है. इस आयोजन में सैकड़ों गायें, बैल, सांड और भैंसें शामिल की गईं जिन्हें प्रतीकात्मक रूप से सभा में आमंत्रित किया गया था.

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इंसानों की जगह मवेशियों के सामने भाषण

रिपोर्ट के मुताबिक इस कार्यक्रम की खास बात यह रही कि तमिल पार्टी प्रमुख और जाने-माने नेता सीमान ने मवेशियों के सामने भाषण दिया और किसानों और पशुपालकों की समस्याओं को उठाया. उन्होंने कहा कि वन विभाग द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के कारण पशुपालक चरागाहों का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं, जिससे उनकी आजीविका पर संकट खड़ा हो गया है. सीमान ने इस मुद्दे पर सरकार के सामने 15  मांगें रखी हैं.

उन्होंने कहा, 'गिनती का अविष्कार भी तब हुआ जब हमें मवेशियों को गिनने की ज़रूरत पड़ी, यहां तक कि तिरुक्कुरल में भी इसका उल्लेख है, जो दर्शाता है कि भाषा के जन्म के पहले चरवाहे ही पहले गणना करने वाले थे. सीमान ने यह भी कहा कि मवेशी तमिल संस्कृति और किसानों की आजीविका का आधार हैं और उनके अधिकारों की रक्षा करना अत्यंत आवश्यक है.

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सरकार के सामने रखी 15 मांगें

पार्टी की मांगों में चराई के लिए आरक्षित भूमि को फिर से बहाल करने, वन विभाग द्वारा की जा रही सख्ती पर रोक लगाने और पशुपालकों को संरक्षण देने जैसी बातें प्रमुख रहीं. यह पहला अवसर था जब किसी राजनीतिक नेता ने इंसानों के बजाय मवेशियों को संबोधित करते हुए राजनीतिक मांगें रखीं. पार्टी के इस अनोखे अंदाज को लेकर सोशल मीडिया पर भी चर्चा तेज हो गई है और इसे पशुपालकों के मुद्दों को गंभीरता से उठाने की कोशिश माना जा रहा है.
 

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