'वे अपराधी बनकर पैदा नहीं हुए...', बॉयफ्रेंड संग मिलकर मंगेतर की हत्या करने वाली महिला को SC ने दी राहत

सुप्रीम कोर्ट ने एक चर्चित मामले में सगाई के बाद मंगेतर की हत्या करने वाली महिला और उसके प्रेमी समेत चार दोषियों की सजा को बरकरार रखा, लेकिन सुधारात्मक न्याय को ध्यान में रखते हुए उन्हें कर्नाटक के राज्यपाल के पास माफी की याचिका दाखिल करने का मौका दिया है. इसके साथ ही कोर्ट ने उन्हें 8 सप्ताह की राहत दी है.

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कोर्ट ने महिला द्वारा मंगेतर की हत्या को “Wild Romanticism” बताया है. (Photo: Reuters) कोर्ट ने महिला द्वारा मंगेतर की हत्या को “Wild Romanticism” बताया है. (Photo: Reuters)

नलिनी शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 15 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 2:51 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक मामले में अहम फैसला दिया है, जिसमें एक महिला ने अपने प्रेमी और दो अन्य साथियों की मदद से अपने मंगेतर की हत्या कर दी थी. कोर्ट ने चारों दोषियों की सजा को बरकरार रखा, लेकिन उन्हें माफी की याचिका दाखिल करने के लिए 8 सप्ताह की राहत दी.

यह मामला 3 दिसंबर 2003 का है, जब बेंगलुरु के सॉफ्टवेयर इंजीनियर बीवी गिरीश की हत्या एयर व्यू पॉइंट पर कर दी गई. उनकी मंगेतर शुभा, जो लॉ स्टूडेंट थी, भी उनके साथ थी. दोनों की सगाई 30 नवंबर को हुई थी. जांच के दौरान पता चला कि शुभा ने अपने प्रेमी अरुण वर्मा, उसके चचेरे भाई दिनेश और साथी वेंकटेश के साथ मिलकर साजिश रची थी. हत्या के पीछे शुभा की अरेंज मैरिज से असहमति और अरुण के साथ प्रेम संबंध बताया गया.

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कोर्ट ने कॉल रिकॉर्ड्स को माना अहम सबूत

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कॉल रिकॉर्ड्स को अहम सबूत माना, जिसमें शुभा और अरुण के बीच हत्या से पहले दिन में 56 बार और घटना वाले दिन 54 बार बातचीत हुई थी. कोर्ट ने इसे ‘रीयल-टाइम अपडेट’ करार दिया, जिससे साजिश की पुष्टि हुई, लेकिन फैसले को खास बनाता है कोर्ट का मानवीय नजरिया.

कोर्ट ने कहा कि शुभा एक महत्वाकांक्षी युवती थी, जिसे पारिवारिक दबाव में सगाई करनी पड़ी और मानसिक उथल-पुथल में उसने यह अपराध किया. कोर्ट ने कहा कि सजा सिर्फ दंड नहीं, बल्कि सुधार का माध्यम भी होनी चाहिए.

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'वे अपराधी बनकर पैदा नहीं हुए थे...'

जस्टिस एमएम सुंदरेश और अरविंद कुमार की बेंच ने कहा, "वे अपराधी बनकर पैदा नहीं हुए थे, यह बस एक खतरनाक गलती थी." कोर्ट ने उन्हें कर्नाटक के राज्यपाल के पास अनुच्छेद 161 के तहत क्षमा याचिका दाखिल करने की अनुमति दी और उनकी सजा को 8 सप्ताह के लिए निलंबित कर दिया.

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