उपभोक्ता अदालतों में खाली पड़े पदों पर लंबित नियुक्तियों को पूरा न करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को नाराजगी जताई है. कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को इस मामले में लापरवाही बरतने पर फटकार भी लगाई. कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि लोगों की उम्मीदों को डुबोइए मत. लोगों को उम्मीद रहती है कि उनकी समस्याओं का समाधान होगा.
सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी भरे लहजे में पूछा, ''राज्य सरकारों को इस बाबत कदम उठाने के लिए भी क्या कोई शुभ मुहूर्त चाहिए?'' अदालत ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को जिला और राज्य आयोगों में सालों से खाली पड़े पदों पर 8 हफ्ते में नियुक्तियां करने का आदेश दिया.
कोर्ट ने चेतावनी दी कि अगर आदेशों का पालन नहीं हुआ तो वह चीफ सेकेट्री को अदालत में बुलाने के लिए मजबूर होगा. अदालत ने राष्ट्रीय आयोग में नियुक्तियों के लिए केंद्र और और समय देने से साफ इनकार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि 8 हफ्ते में ही राज्यों की तरह केंद्र भी उपभोक्ता अदालतों के खाली पड़े पदों पर नियुक्ति करनी होगी.
जस्टिस संजय किशन कौल की अगुवाई वाली बेंच ने सुनवाई करते हुए कहा कि हम सिर्फ सभी खाली पदों पर नियुक्तियां चाहते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोगों के कल्याण के लिए बनाए गए कानूनों को राज्य पराजित कर रहे हैं. कोर्ट ने पूछा कि पद बनाने और उन्हें संचालित करने का उद्देश्य क्या है? सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने बिहार-महाराष्ट्र समेत कई राज्यों को फटकार लगाई.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इस साल फरवरी में कोर्ट द्वारा शुरू की गई स्वतः संज्ञान कार्यवाही के तहत देशभर में जिला और राज्य उपभोक्ता निवारण आयोगों में लंबित रिक्तियों के संबंध में जानकारी प्रदान करने के लिए जुलाई में भारत सरकार और राज्यों को दो सप्ताह का समय दिया था.
संजय शर्मा