राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू न करने वाले तीन राज्यों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल, केंद्र की नीति को बाध्यकारी बनाने की मांग

एडवोकेट जीएस मणि द्वारा दाखिल याचिका में कहा गया है कि निःशुल्क शिक्षा संविधान द्वारा दिया गया मौलिक अधिकार है. इस योजना को स्वीकार करने से इनकार करके राज्य सरकार संबंधित स्कूली बच्चों को निःशुल्क शिक्षा के मौलिक अधिकार से वंचित कर रही हैं. लिहाजा सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप कर तीनों राज्य सरकारों को केंद्र सरकार की राष्ट्रीय शिक्षा नीति, त्रिभाषी पाठ्यक्रम को तुरंत लागू करने का आदेश जारी करना चाहिए.

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NEP लागू न करने वाले राज्यों के खिलाफ SC में याचिका दाखिल की गई है NEP लागू न करने वाले राज्यों के खिलाफ SC में याचिका दाखिल की गई है

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 06 मई 2025,
  • अपडेटेड 8:49 PM IST

केंद्र सरकार की राष्ट्रीय शिक्षा नीति (National Education Policy) को लागू न करने वाले तीन राज्यों में इसे लागू कराने का आदेश देने की गुहार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है.

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई जनहित याचिका में तमिलनाडु, केरल और पश्चिम बंगाल को केंद्र सरकार की सबसे महत्वपूर्ण राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू कराए जाने का आदेश देने की मांग की गई है.

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एडवोकेट जीएस मणि द्वारा दाखिल याचिका में कहा गया है कि निःशुल्क शिक्षा संविधान द्वारा दिया गया मौलिक अधिकार है. इस योजना को स्वीकार करने से इनकार करके राज्य सरकार संबंधित स्कूली बच्चों को निःशुल्क शिक्षा के मौलिक अधिकार से वंचित कर रही हैं. लिहाजा सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप कर तीनों राज्य सरकारों को केंद्र सरकार की राष्ट्रीय शिक्षा नीति, त्रिभाषी पाठ्यक्रम को तुरंत लागू करने का आदेश जारी करना चाहिए.

याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार के कानून, योजनाएं और नीतियां सभी राज्य सरकारों पर लागू होती हैं. ऐसी नीति को लागू करना राज्य सरकार का कर्तव्य है. यह संविधान में दिया गया मौलिक कर्तव्य और अधिकार है.

याचिका में ये भी कहा गया है कि तमिलनाडु, केरल और पश्चिम बंगाल की राज्य सरकारें इस नीति को हिंदी थोपने का झूठा कारण बताकर राजनीतिक वजहों से इस योजना को लागू करने से इनकार कर रही हैं. वहीं तमिलनाडु, केरल और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्रियों ने लगातार केंद्र सरकार की राष्ट्रीय शिक्षा नीति का विरोध किया है. उन सरकारों ने कहा है कि वे इसे स्वीकार नहीं कर सकते. 

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