निजी कोचिंग सेंटर हों या स्कूल कॉलेज, पूरे भारत के सभी शैक्षणिक संस्थानों में छात्रों के बीच तनाव और अन्य संस्थागत कारणों से लगातार बढ़ती आत्महत्या कीे प्रवृत्ति को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 15 बिंदुओं वाली गई लाइन जारी की है. किसी भी वजह से तनावग्रस्त छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य सुरक्षा उपायों, अनिवार्य काउंसलिंग , शिकायत निवारण तंत्र और नियामक ढांचों को अनिवार्य बनाने हेतु व्यापक उपाय बताए गए हैं.
ये राष्ट्रव्यापी दिशानिर्देश NCRB की रिपोर्ट को भी ध्यान में रखते हुए बनाए गए हैं जो बताती है कि 2022 में 13 हजार छात्रों ने खुदकुशी की. रिपोर्ट के मुताबिक 2022 में देश भर में कुल 1 लाख 70 हजार 924 लोगों ने आत्महत्या की. उनमें से 13,044 तो छात्र ही थे, जबकि बीस साल पहले 2001 में स्टूडेंट्स की मौत के आंकड़े 5,425 थे.
NCRB की रिपोर्ट के मुताबिक, 100 आत्महत्याओं में करीब 8 छात्र शामिल थे. इनमें से 2,248 छात्रों ने सिर्फ इसलिए जान दे दी, क्योंकि वे परीक्षा में फेल हो गए थे. इस रिपोर्ट की रोशनी में कोर्ट ने कहा कि जब युवा बच्चे पढ़ाई के बोझ, समाज के तानों, मानसिक तनाव और स्कूल-कॉलेज की बेरुखी जैसी वजहों से अपनी जान दे रहे हैं तो यह साफ दिखाता है कि हमारी पूरी व्यवस्था कहीं न कहीं फेल हो रही है.
आंध्र प्रदेश में NEET अभ्यर्थी की मौत की सीबीआई जांच के निर्देश देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ये बड़ा कदम उठाया है. सुप्रीम कोर्ट का ये प्रभावी निर्णय निजी कोचिंग सेंटरों से लेकर स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों, प्रशिक्षण अकादमियों और छात्रावासों में छात्रों की आत्महत्या की बढ़ती संख्या के मद्देनजर आया है.
जस्टिस विक्रमनाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि यह स्थिति प्रणालीगत विफलता है. इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. छात्रों को मनोवैज्ञानिक द्वंद्व, शैक्षणिक बोझ और संस्थागत असंवेदनशीलता से बचाने के लिए तत्काल संस्थागत सुरक्षा उपाय अनिवार्य करने होंगे. पीठ ने अपने निर्णय में कहा है कि संकट की गंभीरता को देखते हुए संवैधानिक हस्तक्षेप आवश्यक है. इसमें मौलिक अधिकारों को लागू करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत कोर्ट को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग किया गया है.
संविधान के अनुच्छेद 141 के तहत दिए गए निर्णय को देश का कानून माना गया है. पीठ ने घोषणा की कि उसके दिशानिर्देश तब तक लागू रहेंगे जब तक संसद या राज्य विधानसभाएं एक उपयुक्त नियामक ढांचा लागू नहीं कर देती. ये निर्देश छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं पर राष्ट्रीय कार्यबल के चल रहे कार्यों के पूरक और समर्थन के लिए तैयार किए गए हैं, जिसका गठन पिछले साल सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जज जस्टिस रवींद्र एस भट्ट की अध्यक्षता में किया गया था.
यह निर्णय एक ऐसे मामले में आया है, जो 17 वर्षीय NEET अभ्यर्थी, की दुखद और अप्राकृतिक मृत्यु से उत्पन्न हुआ था. वह आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम स्थित आकाश बायजू संस्थान में मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रही थी.
14 जुलाई, 2023 को वह लड़की छात्रावास में रह रही थी. उसके पिता ने जांच कार्य स्थानीय पुलिस की से कराने के बजाय केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपने की मांग की थी, लेकिन आंध्र प्रदेश हाइकोर्ट ने 14 फरवरी, 2024 को उनकी याचिका खारिज कर दी. इस आदेश को पीड़ित पिता ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को लड़की की मौत से जुड़ी परिस्थितियों की जांच अपने हाथ में लेने का आदेश दे दिया है.
संजय शर्मा