पत्नी को खर्च का हिसाब रखने को कहना या माता-पिता को पैसे भेजना क्रूरता नहीं: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि पति द्वारा अपने माता-पिता और भाई को पैसे भेजना या पत्नी से घर के खर्च का हिसाब रखने को कहना, आईपीसी की धारा 498A के तहत 'क्रूरता' नहीं माना जा सकता. अदालत ने इसे वैवाहिक जीवन की सामान्य स्थितियों से जोड़ते हुए पति के खिलाफ दर्ज क्रूरता और दहेज उत्पीड़न का मामला रद्द कर दिया.

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सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में पति को राहत दी. (File Photo) सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में पति को राहत दी. (File Photo)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 23 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 9:29 AM IST

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि पति का अपने परिवार की आर्थिक मदद करना या पत्नी से घरेलू खर्च का लेखा-जोखा रखने को कहना, अपने-आप में आपराधिक क्रूरता नहीं है. जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने कहा कि ऐसे आरोपों के आधार पर आपराधिक मुकदमा नहीं चलाया जा सकता, खासकर तब जब किसी तरह की ठोस मानसिक या शारीरिक क्षति का प्रमाण मौजूद न हो.

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बेंच ने टिप्पणी की कि यह स्थिति भारतीय समाज की उस सच्चाई को दर्शाती है, जहां कई बार पुरुष परिवार के वित्तीय मामलों पर नियंत्रण रखने की कोशिश करते हैं. लेकिन अदालत ने यह भी साफ किया कि "आपराधिक मुकदमे निजी रंजिश निकालने या हिसाब चुकता करने का औजार नहीं बन सकते."

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अदालत ने कहा, "आरोपी-अपीलकर्ता (पति) द्वारा अपने परिवार के सदस्यों को पैसे भेजने की कार्रवाई को इस तरह नहीं देखा जा सकता कि वह आपराधिक अभियोजन का आधार बन जाए. वहीं पत्नी से खर्चों का एक्सेल शीट में हिसाब रखने को कहना, यदि आरोप को उसके सर्वोच्च रूप में भी मान लिया जाए, तो भी यह क्रूरता की परिभाषा में नहीं आता."

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सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा?

19 दिसंबर को दिए गए फैसले में बेंच ने कहा कि शिकायतकर्ता पत्नी द्वारा लगाए गए 'आर्थिक और वित्तीय दबदबे' के आरोप, क्रूरता नहीं माने जा सकते, खासकर जब किसी प्रत्यक्ष मानसिक या शारीरिक नुकसान का कोई सबूत सामने नहीं है.

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क्या है पूरा मामला?

मामले के अनुसार, पत्नी ने अपने पति और उसके परिवार के पांच सदस्यों के खिलाफ आईपीसी की धारा 498A और दहेज निषेध अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज कराई थी. दोनों की शादी दिसंबर 2016 में हुई थी. पति-पत्नी दोनों सॉफ्टवेयर इंजीनियर थे और अमेरिका के मिशिगन में रहते थे. अप्रैल 2019 में उनके बेटे का जन्म हुआ. वैवाहिक विवाद के बाद पत्नी अगस्त 2019 में बच्चे के साथ भारत लौट आई.

जनवरी 2022 में पति ने दांपत्य अधिकारों की बहाली के लिए कानूनी नोटिस भेजा, जिसके कुछ ही दिनों बाद पत्नी ने एफआईआर दर्ज कराई. तेलंगाना हाईकोर्ट ने पहले एफआईआर रद्द करने से इनकार कर दिया था.

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