सुप्रीम कोर्ट में एक जज की नियुक्ति की सिफारिश की प्रक्रिया पर एक संगठन, कैंपेन फॉर ज्यूडिशियल अकाउंटेबिलिटी एंड रिफॉर्म्स (CJAR) ने आपत्ति जताई है. संगठन का कहना है कि कॉलेजियम के बहुमत के फैसले से असहमति जताने वाला नोट वेबसाइट पर अपलोड नहीं किया गया है.
यह नोट जस्टिस बी.वी. नागरत्ना ने पटना हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस विपुल मनुभाई पंचोली को सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त करने की सिफारिश पर दर्ज कराया था.
25 अगस्त को हुई कॉलेजियम की बैठक में पटना हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस पंचोली की नियुक्ति पर 4:1 का विभाजित फैसला था. जस्टिस बी.वी. नागरत्ना ने एक मजबूत असहमति नोट दर्ज किया, जिसमें कहा गया कि जस्टिस पंचोली की नियुक्ति न्याय प्रशासन के लिए 'प्रतिकारक' यानी प्रभाव को खत्म करने वाली होगी और कॉलेजियम सिस्टम की विश्वसनीयता को खत्म कर देगी. यह पहली बार था जब जस्टिस नागरत्ना ने ऐसा नोट लिखा था.
वरिष्ठता और तबादले पर सवाल...
जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि जस्टिस पंचोली मौजूदा जजों की अखिल भारतीय वरिष्ठता सूची में 57वें नंबर पर हैं, और उनकी सिफारिश करते वक्त कई मेधावी और सीनियर जजों को नजरअंदाज किया गया. उन्होंने जस्टिस पंचोली के तबादले की प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए. उन्होंने यह भी कहा कि जस्टिस पंचोली का भविष्य में CJI बनना संस्थान के हित में नहीं होगा.
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पारदर्शिता पर सवाल...
CJAR ने सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड किए गए 25 अगस्त के कॉलेजियम बयान को निराशाजनक बताया है. संगठन ने कहा है कि इसमें उम्मीदवारों के बैकग्राउंड की डीटेल्स नहीं है, जैसा पहले हुआ करता था. इसमें कॉलेजियम कोरम का भी जिक्र नहीं है और न ही यह बताया गया है कि वरिष्ठता में नीचे होने के बावजूद जस्टिस पंचोली को वरीयता क्यों दी गई. CJAR ने जस्टिस नागरत्ना के नोट को पब्लिश करने की मांग की है, क्योंकि उन्होंने भी इसे प्रकाशित करने को कहा था.
संजय शर्मा