'भरोसेमंद बनकर सामने आएं...', लद्दाख मुद्दे पर सोनम वांगचुक ने केंद्र से अपना वादा निभाने की गुजारिश की

एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक ने केंद्र सरकार से लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची के तहत लाने का अपना वादा निभाने की गुजारिश की है.

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सोनम वांगचुक Leh Apex Body और Kargil Democratic Alliance के सदस्यों के साथ (तस्वीर: ANI) सोनम वांगचुक Leh Apex Body और Kargil Democratic Alliance के सदस्यों के साथ (तस्वीर: ANI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 04 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 3:17 AM IST

क्लाइमेट एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक (Sonam Wangchuk) ने हिरासत से रिहा होने के बाद इंडिया टुडे से खास बातचीत में केंद्र सरकार से लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची के तहत लाने के अपने वादे को निभाने की गुजारिश की. उन्होंने केंद्र से यह भी गुजारिश किया कि वह ऐसा कुछ न करे जिससे सरकार का अपमान हो और देश के भरोसेमंद नेता के रूप में सामने आए. 

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सोनम वांगचुक ने कहा, "सरकार को ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए, जिससे सरकार का सम्मान न हो. मैं उन्हें सही करना चाहता हूं और ऐसा केवल सबसे अच्छे दोस्त ही करते हैं. मैं उनसे कहना चाहता हूं कि वे अपने वादे निभाएं और भरोसेमंद नेता के रूप में सामने आएं."

वांगचुक सहित लद्दाख के करीब 120 लोगों को सोमवार रात दिल्ली बॉर्डर पर पुलिस ने हिरासत में लिया, जब वे लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर राजधानी की ओर मार्च कर रहे थे.

छठी अनुसूची असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम सहित स्पेसिफिक पूर्वोत्तर राज्यों में आदिवासी इलाकों के शासन को संबोधित करती है, स्वदेशी समुदायों के अधिकारों की रक्षा के लिए 'स्वायत्त जिलों और स्वायत्त क्षेत्रों' की स्थापना करके. मार्च करने वालों का लक्ष्य लद्दाख के लिए भी इसी तरह की सुरक्षा हासिल करना है.

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लद्दाख के लिए अलग राज्य की मांग के बारे में पूछे जाने पर वांगचुक ने इस बात पर जोर दिया कि यह केवल केंद्र शासित प्रदेश के लोगों की इच्छा है, कोई मांग नहीं.

'मैं किसी पार्टी के खिलाफ...'

सोनम वांगचुक ने बताया, "राज्य का दर्जा कोई वादा नहीं है. कई लोग कहते हैं कि लद्दाख को राज्य का दर्जा देने का वादा केंद्र ने किया था, लेकिन यह सच नहीं है. यह लद्दाख के लोगों की तरफ से केवल एक अपील और मांग है कि उन्हें भारत के बाकी हिस्सों की तरह ही लोकतंत्र का लाभ मिलना चाहिए. हालांकि, छठी अनुसूची साफ तौर से एक वादा था. आप 2019 के लोकसभा चुनाव और 2020 के लद्दाख परिषद के घोषणापत्र देख सकते हैं. यह घोषणापत्र के टॉप एजेंडे में था कि लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल किया जाएगा."

वांगचुक ने पिछले पांच साल से मांग में देरी के पीछे की वजह पर भी सवाल उठाया. उन्होंने कहा, "मैं किसी पार्टी के खिलाफ या किसी पार्टी के पक्ष में नहीं हूं. मैं बस सरकार को उसके वादों की याद दिलाना चाहता हूं. गृह मंत्रालय ने मुझे आश्वासन दिया था कि ऐसा होगा और मैं अभी भी सरकार पर भरोसा कर रहा हूं."

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 'लद्दाख की आवाज सुननी होगी...'

वांगचुक एक महीने पहले लेह से शुरू हुई 'दिल्ली चलो पदयात्रा' का नेतृत्व कर रहे थे. राहुल गांधी सहित कई विपक्षी नेताओं ने उनको हिरासत में लिए जाने पर आलोचना की और इसे  'बहुत बुरा' और 'अस्वीकार्य' बताया.

राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, "पर्यावरण और संवैधानिक अधिकारों के लिए शांतिपूर्वक मार्च कर रहे सोनम वांगचुक जी और सैकड़ों लद्दाखियों को हिरासत में लेना अस्वीकार्य है. लद्दाख के भविष्य के लिए खड़े होने पर बुजुर्गों को दिल्ली के बॉर्डर पर क्यों हिरासत में लिया जा रहा है? मोदी जी, किसानों की तरह, यह 'चक्रव्यूह' भी टूटेगा और आपका अहंकार भी टूटेगा. आपको लद्दाख की आवाज सुननी होगी."

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