डायबिटीज पर रिसर्च, भारतीय सुपरफूड की ग्रोथ... स्पेस में 14 दिन में कौन-कौन से प्रयोग करेंगे शुभांशु

शुभांशु स्पेस में अपने 14 दिन के मिशन के दौरान कुछ खास साइंटिफिक एक्सपेरिमेंट्स भी कर रहे हैं. इन सभी प्रयोगों का मकसद अंतरिक्ष और पृथ्वी में जीवन के फर्क को समझना और फ्यूचर मिशनों को बेहतर बनाना है. आइए जानते हैं कि वो प्रयोग क्या हैं.

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Shubhanshu Shukla speaks after reaching space Shubhanshu Shukla speaks after reaching space

aajtak.in

  • नई दिल्ली ,
  • 26 जून 2025,
  • अपडेटेड 5:41 PM IST

भारत के युवा वैज्ञानिक शुभांशु शुक्ल इस वक्त एग्जियोम-4 मिशन के जरिए इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर हैं. लेकिन ये सिर्फ एक अंतरिक्ष यात्रा नहीं है. ये भारत के लिए आने वाले कई सालों की साइंस और टेक्नोलॉजी को दिशा देने वाला मिशन भी है. शुभांशु स्पेस में अपने 14 दिन के मिशन के दौरान ये खास साइंटिफिक एक्सपेरिमेंट्स भी कर रहे हैं. इन सभी प्रयोगों का मकसद अंतरिक्ष और पृथ्वी में जीवन के फर्क को समझना और फ्यूचर मिशनों को बेहतर बनाना है. 

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प्रयोग-1. फसलें उगेंगी आसमान में?

शुभांशु अपने साथ छह अलग-अलग फसलों के बीज लेकर गए हैं. जिसमें वो देखेंगे कि इन बीजों पर माइक्रोग्रैविटी का क्या असर होता है. अगर ये बीज अंतरिक्ष में भी अंकुरित हो जाते हैं तो भविष्य में स्पेस में फार्मिंग की संभावनाएं बन सकती हैं. वहां सुपर फूड का पूरा पर‍िदृश्य इससे स्पष्ट हो सकता है. 

प्रयोग-2. काई यानी माइक्रोएल्गी का कमाल

शुभांशु माइक्रोग्रैविटी में माइक्रोएल्गी (काई) के तीन अलग-अलग स्ट्रेन का परीक्षण कर रहे हैं. एल्गी का इस्तेमाल फूड, फ्यूल और ऑक्सीजन जनरेशन में किया जा सकता है. यानी एक ऐसा स्रोत जो लंबी स्पेस जर्नी में जिंदगी को सपोर्ट कर सके. 

प्रयोग-3. कौन से जीव अंतरिक्ष में सर्वाइव कर सकते हैं?

इस मिशन में टार्डीग्रेड्स नाम के एक सूक्ष्मजीव पर भी टेस्ट किया जाएगा. ये जीव बेहद खतरनाक माहौल में भी बचा रह सकता है. अगर ये अंतरिक्ष की चरम परिस्थितियों में भी सर्वाइव करता है तो इससे जीवन की सीमाएं फिर से परिभाषित होंगी. 

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प्रयोग-4. मसल लॉस को कैसे रोका जाए

अंतरिक्ष में लंबे समय बिताने से शरीर की मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं. शुभांशु ये जानने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या स्पेस में कुछ खास सप्लीमेंट्स देकर इस मसल एट्रोफी को रोका जा सकता है. 

प्रयोग-5. आंखों पर क्या असर डालता है स्पेस

शून्य गुरुत्वाकर्षण में आंखों की पुतलियों की मूवमेंट और विज़न पर क्या असर पड़ता है, ये एक और अहम रिसर्च है. इससे यह समझने में मदद मिलेगी कि लंबे मिशनों में अंतरिक्षयात्रियों का मानसिक संतुलन और सजगता कैसे प्रभावित होती है. 

प्रयोग-6. पोषण की ताकत – स्पेस बनाम धरती

कुछ फसलों को स्पेस में अंकुरित किया जाएगा और उनके पोषण मूल्य की तुलना पृथ्वी पर उगी फसलों से की जाएगी. अगर अंतरिक्ष में उगी फसलें भी उतनी ही पौष्टिक हों तो फ्यूचर मिशनों में फूड कैरी करने की जरूरत घटेगी. 

प्रयोग-7. यूरिया + सायनोबैक्टेरिया = खाना + ऑक्सीजन

शुभांशु का सबसे चुनौतीपूर्ण प्रयोग ये है ज‍िसमें तय होगा कि क्या यूरिया और नाइट्रेट के जरिए सायनोबैक्टेरिया से स्पेस में खाना और ऑक्सीजन एक साथ बनाया जा सकता है? अगर ये सफल हुआ तो ये स्पेस में सेल्फ-सस्टेनिंग लाइफ सिस्टम बनाने की दिशा में एक बड़ी छलांग होगी. 

गौरतलब है कि यह मिशन 14 दिनों का है, जिसमें 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोग किए जाएंगे, जिनमें 7 प्रयोग भारत के हैं. शुभांशु शुक्ला भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री होंगे, जो ISS पर पहुंचेंगे. भारत ने इस मिशन के लिए 550 करोड़ रुपये खर्च किए हैं, जो भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षा को दर्शाता है.

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