केरल की जिस वायनाड सीट से जीतकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी संसद पहुंचे थे, अब उस सीट पर लेफ्ट और कांग्रेस पार्टियां आमने-सामने आ गई हैं. हाल ही में हुई I.N.D.I.A गठबंधन की सदस्य सीपीआई की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में राहुल गांधी को वायनाड से चुनाव नहीं लड़ने का सुझाव दिया गया. सीपीआई के इस सुझाव से कांग्रेस की केरल यूनिट में नाराजगी है.
सीपीआई के राज्यसभा सांसद पी. संदोश कुमार ने 19 सितंबर को कहा कि 2019 के बाद देश के बदले हुए राजनीतिक हालात को देखते हुए अगर राहुल गांधी 2024 में भी वायनाड से चुनाव लड़ते हैं तो इसे कमजोरी के तौर पर देखा जा सकता है.
कांग्रेस महासचिव (संगठन) के.सी. वेणुगोपाल ने इस सुझाव को खारिज करते हुए कहा कि उम्मीदवारी पर फैसला करना पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति का विशेषाधिकार है और इस पर किसी और को राय रखने की जरूरत नहीं है. वहीं केरल कांग्रेस चीफ के सुधाकरन ने इस सुझाव को अनुचित बताया और जोर देकर कहा कि केरल इकाई चाहती है कि राहुल गांधी फिर वायनाड से ही चुनाव लड़ें.
केरल की राजनीति, नॉर्थ इंडिया से अलग
दरअसल केरल में राजनीतिक हालात पूरी तरह से अलग हैं. राज्य में I.N.D.I.A गठबंधन में शामिल दोनों दलों की सीधी लड़ाई है. यहां बीजेपी लड़ाई में नहीं है. इसलिए यहां सीटों का बंटवारा बहुत जटिल हो सकता है.
'उत्तर भारत की किसी सीट से चुनाव लड़ें राहुल'
सूत्रों की मानें तो सीपीआई सांसद ने तर्क दिया था कि राहुल गांधी कोई सामान्य उम्मीदवार नहीं थे और कई लोग उन्हें गठबंधन के नेता के रूप में देखते हैं. खासकर चार हजार किलोमीटर लंबी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान उन्हें मिले समर्थन के बाद. उन्होंने सुझाव दिया था कि कांग्रेस नेता को वायनाड के बजाय हिंदी भाषी राज्यों में से किसी सीट पर चुनाव लड़ना चाहिए और बीजेपी से मुकाबला करना चाहिए.
सीपीआई सांसद ने क्या कहा?
हालांकि बाद में सीपीआई सांसद ने अपनी इस टिप्पणी पर कोई बयान देने से इनकार कर दिया, लेकिन 'द हिंदू' से बात करते हुए उन्होंने कहा, "यह सलाह दी गई कि राहुल गांधी लेफ्ट के खिलाफ चुनाव न लडें, जो I.N.D.I.A गठबंधन का एक हिस्सा है."
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