टक्कर मारकर भागना आसान नहीं... अब हिट एंड रन केस में हो सकती है 10 साल की सजा

अब अगर सड़क दुर्घटना के बाद किसी वाहन चालक ने मौके बाद फरार होने की बात सोची तो वह बच नहीं सकता है. किसी की लापरवाही से मौत होती है तो आरोपी के लिए छूटना इतना आसान नहीं होगा. भारतीय दंड संहिता ने किसी की "लापरवाही" के कारण होने वाली मौत की सजा में बढ़ोतरी कर दी है.

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टक्कर मारकर भागना अब नहीं होगा आसान (फाइल फोटो) टक्कर मारकर भागना अब नहीं होगा आसान (फाइल फोटो)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 12 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 7:34 AM IST

केंद्र सरकार ने भारतीय कानूनों में बदलाव का प्रस्ताव पेश किया है. इन्हीं प्रस्तावों के तहत अब सड़क दुर्घटना के बाद वाहन चालक हादसे के बाद मौके से फरार होकर बच नहीं सकता. नए प्रावधानों के मुताबिक वाहन चालक को पुलिस को सूचना देनी होगी. वरना पकड़े जाने पर कम से कम दस साल कैद हो सकती है.

सड़क हादसों को लेकर आम जनता में एक बात मशहूर है कि किसी को कुचल कर भी आरोपी चालक पुलिस थाने से ही जमानत पाकर छूट जाता है, लेकिन हादसे में घायल या  मृतक के परिजन इलाज कराने या शव लेने के लिए भी पुलिस और अस्पताल चक्कर काटते रह जाते हैं. कई मामलों में तो दोषी सिद्ध होने पर सिर्फ जुर्माना भरकर ही आरेपी छूट भी जाता है.
 
ये हैं कानून में बदलाव
आपराधिक कानून में बदलाव को लेकर प्रस्तावित भारतीय न्याय संहिता 2023 में अगर किसी की लापरवाही से किसी शख्स की मौत हो जाती है तो ऐसे में आरोपी के लिए छूटना आसान नहीं होगा. आईपीसी की धारा 104 के तहत लापरवाही से मौत या फिर जल्दबाजी या लापरवाही से हुई मौत के अपराध में पहले - 2 साल की कैद या जुर्माना या फिर दोनों का प्रावधान था,

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अब प्रस्तावित विधेयक में इसके लिए न्यूनतम सात साल कैद और जुर्माना भी देने का प्रावधान किया गया है. ऐसा अपराध जो गैर इरादतन हत्या की श्रेणी में नहीं आता है, इसमें आरोपी घटना स्थल से भाग जाता है या घटना के तुरंत बाद किसी पुलिस अधिकारी या मजिस्ट्रेट को घटना की रिपोर्ट नहीं करता है तो उसे दोनों प्रकार यानी कैद और नगद जुर्माना दोनों से दंडित किया जाएगा. इसकी अवधि दस वर्ष तक हो सकती है, और जुर्माना भी लगाया जा सकता है.

भारतीय दंड संहिता ने किसी की "लापरवाही" के कारण होने वाली मौत की सजा में बढ़ोतरी कर दी है. नए कोड की धारा 104 में कहा गया है, अगर किसी शख्स की लापरवाही से, किसी की मौत हो जाती है, तो इससे जुड़े नए की धारा 104 में दो बातें दर्ज की गई हैं. 

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(1) अगर किसी शख्स की लापरवाही से या गैर इरादतन हत्या में शामिल न होने वाले किसी जरिए से किसी की मौत का कारण बनता है तो उसे किसी तय समय के लिए जेल होगी, जिसे सात साल तक बढ़ाया जा सकता है, और जुर्माना भी लगाया जा सकता है. 

(2) जो कोई भी लापरवाही से या गैर इरादतन हत्या की श्रेणी में न आने वाला कार्य करके किसी व्यक्ति की मृत्यु का कारण बनता है और घटना स्थल से भाग जाता है या घटना के तुरंत बाद किसी पुलिस अधिकारी या मजिस्ट्रेट को घटना की रिपोर्ट नहीं करता है, उसे कारावास से दंडित किया जाएगा. उसे जेल हो सकती है, जिसे दस साल तक बढ़ाया जा सकता है, और जुर्माना भी लगाया जा सकता है. 

लापरवाहों पर कसेगा शिकंजा
अगर ये बिल संसद में लाए जाने के बाद पारित हो गए तो इसके बाद, यह उन लोगों के लिए मुश्किलें पैदा करेगा, जिनकी लापरवाही से किसी की मौत हो जाए या फिर किसी को गंभीर चोट लग जाए. इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि नागरिक अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता और सम्मान के साथ निभाएं, और शांति, व्यवस्था बनाए रखने और दुखद परिणामों का कारण बनने वाली परिहार्य दुर्घटनाओं को रोकने के न्याय प्रणाली के सिद्धांतों को पूरा करें.

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लोगों को मिल सकती है इतनी सजा
इस प्रस्तावित कानून का एक महत्वपूर्ण पहलू जवाबदेही में बदलाव है. यदि प्रावधान पारित हो जाता है, तो लोगों को उनकी लापरवाही के परिणामों के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा. इस व्यापक प्रावधान के गंभीर निहितार्थ हैं, जिनमें अस्पतालों, इंजीनियरिंग फर्मों और सार्वजनिक परिवहन जैसी पेशेवर सेटिंग्स सहित अन्य शामिल हैं. इस कानून के तहत, व्यक्तियों को अपने कर्तव्यों को पूरी लगन से निभाना चाहिए, यह जानते हुए कि एक चूक संभावित रूप से किसी की मृत्यु और भारी कानूनी परिणामों का कारण बन सकती है.


 

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