राजीव गांधी ने क्यों खुलवाया था बाबरी मस्जिद का ताला? प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा ने किताब में खोले राज

प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा ने अपनी किताब में दावा किया गया है कि प्रणब मुखर्जी के मुताबिक बाबरी मस्जिद का डिमोलिशन आजादी के बाद देश के इतिहास का सबसे बड़ा टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ. 

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राजीव गांधी राजीव गांधी

कुमार कुणाल

  • नई दिल्ली,
  • 06 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 7:48 PM IST

दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी की आगामी किताब से राजनीतिक गलियारों में सुगबुगाहट तेज हो गई है. इस किताब में शर्मिष्ठा ने कई खुलासे किए हैं जो चर्चा में आ गए हैं. 

उन्होंने अपनी किताब 'In Pranab, My Father: A Daughter Remembers' में दावा किया  है कि जब साल 1992 में बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराया गया था. उस समय नरसिम्हा राव देश के प्रधानमंत्री थे और प्रणब मुखर्जी ने उनका बचाव करते हुए तमाम कांग्रेस नेताओं से कहा था कि यह प्रधानमंत्री की नहीं बल्कि सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है.

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किताब में दावा किया गया है कि प्रणब मुखर्जी के मुताबिक बाबरी मस्जिद का डिमोलिशन आजादी के बाद देश के इतिहास का सबसे बड़ा टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ. 

शर्मिष्ठा ने किताब में दावा किया है कि शाहबानो मामले पर कानून बनाने के बाद हिंदू मध्यम वर्ग में कांग्रेस की छवि को नुकसान हुआ था. इस छवि को ठीक करने के लिए ही पूर्व पीएम राजीव गांधी ने अयोध्या में राम जन्मभूमि का ताला खोला था. किताब में कहा गया है कि प्रणब मुखर्जी ने उस समय राजीव गांधी और अरुण नेहरू की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए थे.

दावा किया गया है कि प्रणब मुखर्जी मानते थे कि भारत के सबसे बेहतरीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू रहे लेकिन इंदिरा गांधी को वह अपना मेंटर मानते थे और यह कहते थे कि उनमें अपनी अलग विशेषताएं थी. प्रणब मुखर्जी ने एक बार बातचीत में यह भी कहा था कि अगर पंडित नेहरू की जगह इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री होती तो आज पूरा कश्मीर भारत का होता.

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राहुल गांधी को लेकर भी किताबे में किए हैं दावे

शर्मिष्ठा ने अपनी किताब में राहुल गांधी को लेकर भी कई दावे किए हैं. वह किताब में एक जगह कहती हैं कि एक बार उनके पिता प्रणब दा ने कहा था कि राहुल गांधी 'बहुत विनम्र' और 'सवालों से भरपूर' हैं. लेकिन उनका मानना था कि राहुल गांधी को 'अभी राजनीतिक रूप से परिपक्व होना बाकी है.

किताब में इस बात का जिक्र किया गया है कि राहुल गांधी राष्ट्रपति भवन में प्रणब दा से मुलाकात करते रहते थे. हालांकि इन मुलाकातों की संख्या ज्यादा नहीं है. प्रणब मुखर्जी ने उन्हें कैबिनेट में शामिल होने और सरकार में कुछ प्रत्यक्ष अनुभव हासिल करने की सलाह दी. लेकिन राहुल ने इस सलाह पर ध्यान नहीं दिया.

किताब में इस बात का भी जिक्र है कि 25 मार्च 2013 को एक दौरे पर प्रणब मुखर्जी ने कहा था कि राहुल गांधी की कई मामलों में रुचि है, लेकिन वे एक विषय से दूसरे विषय पर बहुत तेजी से आगे बढ़ते हैं. 

'वह मुझे पीएम नहीं बनाएंगी'

शर्मिष्ठा ने अपनी किताब में लिखा कि प्रणब मुखर्जी से 2004 में उनके प्रधानमंत्री बनने की संभावनाओं के बारे में पूछा, तो उन्होंने रहस्यमय तरीके से जवाब दिया कि 'नहीं, वह मुझे पीएम नहीं बनाएंगी.' 2021 में राजनीति से संन्यास लेने वाली पूर्व कांग्रेस प्रवक्ता शर्मिष्ठा ने अपनी किताब में अपने पिता के उल्लेखनीय जीवन की झलक पेश की है. शर्मिष्ठा इस बात पर जोर देती हैं कि प्रणब मुखर्जी के मन में उन्हें प्रधानमंत्री न चुने जाने को लेकर सोनिया गांधी के प्रति कोई नाराजगी नहीं थी. साथ ही मनमोहन सिंह के प्रति भी उनके मन में कोई शत्रुता नहीं थी.

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बता दें कि प्रणब मुखर्जी ने वित्त मंत्री के रूप में कार्य किया था. बाद में उन्होंने विदेश, रक्षा, वित्त और वाणिज्य जैसे प्रमुख विभाग भी संभाले.  2012 से 2017 तक वह भारत के 13वें राष्ट्रपति के पद पर रहे. कांग्रेस के दिग्गज नेता प्रणब मुखर्जी का 31 अगस्त 2020 को 84 वर्ष की आयु में निधन हो गया था.

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