प्रधान पति, सरपंच पति और मुखिया पतियों पर दंड लगाने की तैयारी, सरकार की बनाई समिति ने की ये सिफारिशें

पंचायतों में प्रधान पति, सरपंच पति और मुखिया पति की संस्कृति को लेकर सरकार अब सख्त सजा का प्रावधान करने की तैयारी में है. इसे लेकर पंचायती राज मंत्रालय की ओर से गठित कमेटी ने अपनी रिपोर्ट मंत्रालय को सौंप दी है.

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Panchayat Elections (Photo: PTI file) Panchayat Elections (Photo: PTI file)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 27 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 3:16 PM IST

यूपी हो या बिहार, हरियाणा हो राजस्थान, छत्तीसगढ़ हो या मध्य प्रदेश... प्रधान पति, सरपंच पति और मुखिया पति का अलग ही रौब होता है. जिनकी पत्नी प्रधान या सरपंच होती हैं, उनकी अलग ही ठसक होती है. पंचायत से जुड़े आम जनता के काम हों या सरकारी दफ्तर, हर जगह ये प्रधान पति ही जरूरी काम निपटाते नजर आते हैं. यहां तक कि 15 अगस्त को महिला प्रधान की जगह प्रधान पति की झंडारोहण करते तस्वीरें भी आती रही हैं. केंद्र सरकार अब इस प्रधान पति, सरपंच पति और मुखिया पति की संस्कृति पर नकेल कसने की तैयारी में है.

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पंचायती राज मंत्रालय ने प्रधान पति की संस्कृति को लेकर एक कमोटी का गठन किया था. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 2023 में गठित सुशील कुमार कमेटी ने पंचायती राज मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. पूर्व खान सचिव सुशील कुमार की अगुवाई वाली कमेटी ने इस तरह के मामलों में कठोर दंड का प्रावधान करने की सिफारिश की है. कमेटी ने कहा है कि महिला पंचायत प्रतिनिधियों के कामकाज में उनके पति या अन्य पुरुष रिश्तेदारों का दखल रोकने के लिए ऐसा करना जरूरी है. इससे पुरुष रिश्तेदारों की ओर से महिला प्रधान की शक्तियों का दुरुपयोग रुक सकेगा.

महिला लोकपाल की नियुक्ति का दिया सुझाव

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सुशील कुमार कमेटी ने पंचायतों में महिलाओं की वास्तविक भागीदारी बढ़ाने के लिए कई सुझाव भी दिए हैं. कमेटी ने सिफारिश की है कि पंचायतों के कामकाज की निगरानी के लिए महिला लोकपाल की नियुक्ति की जाए. इससे पंचायतों में महिलाओं की वास्तविक भागीदारी बढ़ेगी. इस कमेटी के प्रमुख सुझाव...

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 -महिला लोकपाल की नियुक्ति.
-महिला प्रधानों को ग्राम सभा में सार्वजनिक कार्यक्रम कर पद की शपथ दिलाई जाए
-महिला नेताओं (पंचायत स्तर की) का अलग संगठन बने
-जेंडर रिसोर्स सेंटर्स की स्थापना की जाए जिनका काम ट्रेनिंग, कानूनी सलाह देना हो
-स्थानीय भाषा में ट्रेनिंग की सुविधा दी जाए
-महिला पंचायत प्रतिनिधियों की ट्रेनिंग में अंतरराष्ट्रीय विकास एजेंसियों के साथ ही महिला विधायकों और सांसदों का भी सहयोग लिया जाए

पंचायत की बैठकों की हो वीडियो रिकॉर्डिंग

सुशील कुमार की अगुवाई वाली कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में पंचायत की बैठकों की वीडियो रिकॉर्डिंग कराने की भी सिफारिश की है. कमेटी ने महिला पंचायत प्रतिनिधियों को कानूनी पहलुओं की जानकारी देने के लिए एक एआई प्लेटफॉर्म विकसित करने,  काम में सहायता के लिए WhatsApp ग्रुप बनाने का भी सुझाव दिया है. गौरतलब है कि ग्राम से लेकर जिला तक, देश में करीब 32 लाख 29 हजार निर्वाचित प्रतिनिधि हैं. इनमें महिलाओं की संख्या करीब 15 ला 3 हजार है जो 47 के करीब है.

कमेटी ने कैसे तैयार की रिपोर्ट

महिला पंचायत प्रतिनिधि की शक्तियों का उनके पतियों या अन्य पुरुष रिश्तेदारों की ओर से दुरुपयोग किए जाने को लेकर 2023 में सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर हुई थी. इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने जो आदेश दिया था, उसके अनुपालन में पंचायती राज मंत्रालय ने पूर्व खान सचिव सुशील कुमार की अगुवाई में एक कमेटी का गठन किया था. इस कमेटी एक दर्जन से अधिक राज्यों में जाकर जमीनी हकीकत देखी, महिला पंचायत प्रतिनिधियों से बातचीत की और उसके आधार पर रिपोर्ट तैयार कर अब मंत्रालय को भी सौंप दी है.

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