समाज को जाति-धर्म के आधार पर बांटने की साजिश चल रही है, हम सबको ऐसी हरकत को परास्त करना होगा: PM मोदी

पीएम मोदी ने कहा, "हमारे संत-महात्माओं ने हर युग में मनुष्यों को जीवन के उद्देश्यों से साक्षात्कार कराया है. संत-महात्माओं का हमारे समाज को बहुत बड़ा योगदान रहा है. जब किसी उद्देश्य की पूर्ति करनी होती है, तो पूरा समाज एकजुट हो जाता है, तो वो जरूर पूरा होता है."

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नरेंद्र मेोदी नरेंद्र मेोदी

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 11 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 2:22 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने श्री स्वामीनारायण मंदिर, वडताल की 200वीं वर्षगांठ के मौके पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कार्यक्रम को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने कहा, "जाति, धर्म, भाषा, ऊंच-नीच, पुरुष-महिला, गांव-शहर के आधार पर समाज को बांटने की साजिश चल रही है. यह जरूरी है कि हम राष्ट्रीय दुश्मनों की इस कोशिश की गंभीरता को समझें, संकट को समझें और हम सबको मिलकर ऐसी हरकत को परास्त करना होगा. हमें मिलकर काम करना होगा, हमें मजबूत, सक्षम और शिक्षित युवा तैयार करने होंगे."

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उन्होंने आगे कहा कि जब मैं गुजरात में था, तो संतों का सानिध्य और सत्संग मेरे लिए सहज उपलब्ध रहता था. मेरे लिए सौभाग्य का पल होता था, मैं भी उस पल को जी भर के जीता था. स्वामी नारायण भगवान की कृपा से आज भी किसी न किसी रूप में कई अवसरों पर संतों के आशीर्वाद का सौभाग्य मिलता रहा है.

'जब-जब भी मुश्किल समय आया'

नरेंद्र मोदी ने कहा, "मैं हृदय से आप सबके बीच ही हूं. मेरा मन अभी पूरी तरह से वडताल धाम में ही है. जब-जब भी मुश्किल समय आया है, कोई न कोई संत, महात्मा उसी काल में अवतरित हुआ. भगवान स्वामी नारायण का आगमन एक ऐसे समय में हुआ था, जब देश कमजोर हो चुका था. अपने आप में विश्वास खो चुका था." 

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पीएम मोदी ने आगे कहा कि हमारे संत-महात्माओं ने हर युग में मनुष्यों को जीवन के उद्देश्यों से साक्षात्कार कराया है. संत-महात्माओं का हमारे समाज को बहुत बड़ा योगदान रहा है. जब किसी उद्देश्य की पूर्ति करनी होती है, तो पूरा समाज एकजुट हो जाता है, तो वो जरूर पूरा होता है. पहले कई उदाहरण हैं, हमने ये करके दिखाया है. हमारे संतों ने करके दिखाया, हमारे समाज ने करके दिखाया, हमारे धार्मिक संस्थानों ने करके दिखाया है. आज एक बहुत बड़ा उद्देश्य उभर कर सामने आया है. पूरा देश लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रहा है.

उन्होंने आगे कहा कि मुझे खुशी है कि आप सब संतों और भक्तों ने कभी निराश नहीं किया. मेरी हर बात को अपनी स्वयं की जिम्मेजारी मान लिया और उसे जी जान से पूरा करने में लगे रहे. 

 

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