संसद के शीतकालीन सत्र में विपक्ष लगातार कई मुद्दे उठा रहा है. बीते चार दिनों में शुरुआती दो दिन हंगामेदार रहे थे, लेकिन बुधवार और गुरुवार के सत्र शांति पूर्ण ढंग से चले. बुधवार को जहां केन्द्रीय उत्पाद शुल्क संशोधन अधिनियम 2025 लोकसभा से पास हुआ तो गुरुवार को इसकी चर्चा राज्यसभा में चली. वहीं गुरुवार को संसद में स्वास्थ्य सुरक्षा से राष्ट्रीय सुरक्षा सेस बिल 2025 पर चर्चा के साथ समाप्त हुई. इस बिल पर आगे आज भी चर्चा जारी रहेगी. यहां मिलते रहेंगे संसद से जुड़े पल-पल के अपडेट्स
इंडिगो एयरलाइंस के ऑपरेशन में आई दिक्कत से आम से लेकर खास तक को परेशानियों का सामना करना पड़ रह है. शुक्रवार को यह मुद्दा संसद में भी उठा. सांसद प्रमोद तिवारी ने इस मसले को उठाते हुए मोनोपोली को क्राइसिस के लिए जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा कि सांसदों को अपने क्षेत्र में जाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि इस मामले में एविएशन मिनिस्टर जवाब दे सकते हैं.
संसद के शीतकालीन सत्र का शुक्रवार को पांचवा दिन है. लोकसभा में जैसे ही स्पीकर ओम बिड़ला अपनी सीट पर पहुंचे, विपक्षी सांसदों ने नारेबाजी शुरू कर दी. सांसद टी आर बालू समेत कई विपक्षी नेता इंडिगो संकट को लेकर नारेबाजी करने लगे औ वी वांट जस्टिस के नारे लगाने लगे. इस दौरान लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने 'बिग नो' कहा और बोले कि अभी प्रश्नकाल चलने दीजिए, बाकी सारे मुद्दे इसके बाद के लिए हैं. आप सभी को प्रश्नकाल के बाद मौका दिया जाएगा. संसद में लगातार हंगामा हो रहा है और नारे लग रहे हैं. इस बीच प्रश्नों के जवाब दिए जा रहे हैं. शोर-शराबे के बीच संसद का प्रश्नकाल जारी है.
लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने इंडिगो के ऑपरेशन में आ रही दिक्कतों और फ्लाइट कैंसल होने को लेकर केंद्र की आलोचना की और कहा कि यह 'मोनोपोली मॉडल' की वजह से हो रहा है. सोशल मीडिया 'एक्स' पर पोस्ट शेयर करते हुए उन्होंने एयरलाइंस में हाल की दिक्कतों के लिए एविएशन सेक्टर में मोनोपॉली को जिम्मेदार ठहराया और बाजार में 'फेयर कॉम्पिटिशन' की मांग की. उन्होंने आगे लिखा कि इंडिगो की नाकामी इस सरकार के मोनोपॉली मॉडल की कीमत है. एक बार फिर, आम भारतीय इसकी कीमत देरी, कैंसलेशन और लाचारी के रूप में चुका रहे हैं. भारत हर सेक्टर में फेयर कॉम्पिटिशन का हकदार है, मैच-फिक्सिंग मोनोपॉली का नहीं.
प्रियंका चतुर्वेदी ने इंडिगो संकट को “जनहित का अति आवश्यक एवं तत्काल मुद्दा” बताया है. उन्होंने लिखा, “हजारों यात्री एयरपोर्ट पर फंसे रहे, हवाई अड्डों का सामान्य संचालन प्रभावित हुआ और बार-बार हो रही इस तरह की बड़ी गड़बड़ी से यात्रियों की सुरक्षा एवं सुविधा पर सवाल उठ रहे हैं. सरकार को तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए, जवाबदेही तय करनी चाहिए और भविष्य में ऐसी स्थिति न आए, इसके लिए ठोस उपाय करने चाहिए.”इस बीच गुरुवार को इंडिगो ने नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) से अपनी A320 बेड़े के लिए संशोधित फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (FDTL) के कुछ प्रावधानों से 10 फरवरी 2026 तक अस्थायी छूट मांगी है.
एयरलाइन ने आश्वासन दिया है कि 10 फरवरी 2026 तक संचालन पूरी तरह सामान्य और स्थिर हो जाएगा.DGCA की अध्यक्षता में इंडिगो के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ हुई समीक्षा बैठक में पाया गया कि यह संकट मुख्य रूप से संशोधित FDTL नियमों के दूसरे चरण (1 नवंबर 2025 से लागू) के कार्यान्वयन में संक्रमणकालीन चुनौतियों, क्रू प्लानिंग में कमी और सर्दी के मौसम के कारण हुआ है.DGCA ने सुरक्षा मानकों में कोई समझौता न करते हुए यात्रियों की असुविधा कम करने के लिए इंडिगो की छूट की मांग पर विचार करने की बात कही है.इंडिगो के इस संकट ने एक बार फिर देश की सबसे बड़ी एयरलाइन की परिचालन क्षमता और नई थकान-नियंत्रण नियमों के क्रियान्वयन पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
शिवसेना (UBT) की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने शुक्रवार को राज्यसभा में नियम 180 के तहत नोटिस देकर नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू से इंडिगो एयरलाइंस के संचालन में भारी व्यवधान और देशभर में यात्रियों को हो रही गंभीर असुविधा पर सदन में बयान देने की मांग की है.सांसद ने अपने नोटिस में कहा है कि इंडिगो की उड़ानें पिछले कई दिनों से बड़े पैमाने पर रद्द हो रही हैं. रोजाना करीब 170-200 उड़ानें रद्द की जा रही हैं, जो सामान्य से कहीं ज्यादा है. बुधवार को तो 70 से ज्यादा उड़ानें रद्द हुईं और कई उड़ानों में 7 घंटे तक की देरी हुई. मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद समेत देश के प्रमुख हवाई अड्डों पर यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा. मुंबई-मालदीव जैसी अंतरराष्ट्रीय उड़ानें भी प्रभावित हुईं.
गुरुवार को पहले संसद ने केंद्रीय उत्पाद शुल्क (संशोधन) विधेयक, 2025 को मंजूरी दी, जिसे राज्यसभा ने लोकसभा को लौटा दिया. राज्यसभा में चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सिगरेट पर उच्च शुल्क राज्यों के साथ साझा किया जाएगा.
शीतकालीन सत्र के पांचवें दिन (5 दिसंबर) केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू 8 दिसंबर से प्रारंभ होने वाले सप्ताह के लिए सरकारी कार्यों पर बयान देंगे. निजी सदस्य विधेयकों में, सांसद डी रविकुमार संभवतः संविधान (संशोधन) विधेयक, 2024 (नए अनुच्छेद 21बी का संदेशन) पेश करेंगे, जो सुरक्षित, स्वस्थ और टिकाऊ जलवायु के अधिकार को पेश करने का उद्देश्य रखता है, तथा अनुच्छेद 129 के लिए नए अनुच्छेद के प्रतिस्थापन के लिए संविधान (संशोधन) विधेयक, 2024. राज्यसभा में, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल रबर बोर्ड के सदस्य के चुनाव के लिए प्रस्ताव पेश करने वाले हैं, जबकि एल मुरुगन 8 दिसंबर से प्रारंभ होने वाले सप्ताह के लिए सरकारी कार्यों पर बयान देंगे.गुरुवार को पहले संसद ने केंद्रीय उत्पाद शुल्क (संशोधन) विधेयक, 2025 को मंजूरी दी, जिसे राज्यसभा ने लोकसभा को लौटा दिया. राज्यसभा में चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सिगरेट पर उच्च शुल्क राज्यों के साथ साझा किया जाएगा.
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को विधेयक के पीछे के तर्क को विस्तार से बताते हुए कहा, “सेस लगाया जा रहा है क्योंकि जीएसटी प्रणाली उपभोग पर कर लगाती है, और आज भी पान मसाला पर जीएसटी के तहत 28 प्रतिशत प्लस मुआवजा सेस लगता है. चूंकि मुआवजा सेस समाप्त होने वाला है, वह हिस्सा 40 प्रतिशत सेस में स्थानांतरित हो जाएगा. हालांकि, पान मसाला के कई प्रकार अभी भी कर के दायरे में नहीं आते क्योंकि जीएसटी उपभोग के आधार पर लगाया जाता है. जीएसटी के तहत उत्पादन क्षमता या उत्पादन पर कोई कर नहीं लगता. इसलिए तंबाकू पर जीएसटी लगता है और हाल ही में उत्पाद शुल्क के दायरे में लाया गया था.”
उन्होंने आगे कहा कि उत्पाद शुल्क उत्पादन पर कर लगाता है, लेकिन पान मसाला को उत्पादन के आधार पर कर नहीं लगाया जा सकता क्योंकि यह उत्पाद शुल्क योग्य उत्पाद के रूप में वर्गीकृत नहीं है. “इसलिए, सिगरेट को उत्पाद शुल्क के दायरे में लाया गया और आदर्श रूप से पान मसाला को भी शामिल किया जाना चाहिए था, लेकिन इसे जोड़ा नहीं जा सकता क्योंकि यह उत्पाद शुल्क की श्रेणी में नहीं है. इसलिए, सिगरेट पर अब उत्पाद शुल्क लगता है, जैसा कि होना चाहिए, जिसमें 40% से अधिक कर लगता है, ताकि वे सस्ते में उपलब्ध न हों, लेकिन पान मसाला को इस तरह कर नहीं लगाया जा सकता. इसलिए, नई कानून के माध्यम से सरकार उत्पादन-आधारित कर सेस के रूप में लगा रही है.”
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण शुक्रवार को संसद के चल रहे शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा में स्वास्थ्य सुरक्षा एवं राष्ट्रीय सुरक्षा सेस विधेयक, 2025 को आगे विचार और पारित करने के लिए प्रस्तुत करेंगी. विधेयक का उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा पर व्यय पूरा करने के लिए संसाधनों को बढ़ाना और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए सेस लगाना है, जो निर्दिष्ट वस्तुओं के निर्माण या उत्पादन के लिए स्थापित मशीनों या अन्य प्रक्रियाओं पर लगाया जाएगा, तथा इससे जुड़े या संबद्ध मामलों के लिए. यह विधान जीएसटी शासन के तहत मौजूदा मुआवजा सेस के समाप्त होने के बाद पान मसाला पर सेस लगाने का प्रावधान करता है. वह हिस्सा अब 40 प्रतिशत सेस में स्थानांतरित हो जाएगा.
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के बयान पर बिहार भाजपा अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने कहा, “राहुल गांधी को अपनी आदतें सुधारनी होंगी. सबसे पहले राहुल गांधी को देश की चिंता करनी चाहिए; उनकी देश की इमेज अच्छी नहीं है और जनता यह बात समझती है..... इसलिए राहुल गांधी विदेशी डेलिगेशन से मिलकर क्या करेंगे? बस देश की शिकायत करेंगे. जब वे विदेश जाते हैं तो देश की बुराई करते हैं.... ऐसे लोगों को राजनीति में रहने का हक नहीं है, विपक्ष का नेता बनना तो दूर की बात है.”