Parliament Winter Session Live Updates: संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा है. सदन में बिलों पर चर्चाएं जारी हैं. इस बीच SIR, BLO की मौतों का मुद्दा, इंडिगो संकट और प्रदूषण का मुद्दा हावी रहा. अब सोमवार से संसद में वंदे मातरम् पर चर्चा होनी है. पीएम मोदी सदन में चर्चा की शुरुआत करेंगे तो वहीं राज्यसभा में अमित शाह इस मुद्दे पर बोलेंगे. इस चर्चा के दौरान संसद सत्र हंगामेदार रहने के आसार हैं.
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा- वंदे मातरम् सिर्फ़ एक गीत नहीं, बल्कि वह क्रांतिकारी आह्वान है जिसने अंग्रेजी हुकूमत, गुलामी और आक्रांताओं के खिलाफ संघर्ष में करोड़ों भारतीयों को एकजुट किया था.”साथ ही कांग्रेस और राहुल गांधी पर तीखा प्रहार करते हुए शहजाद ने कहा, “देश देखना चाहेगा कि अगर राहुल गांधी इस चर्चा में हिस्सा ले रहे हैं तो क्या वे सबसे पहले अपने परिवार द्वारा इस गीत के साथ किए गए अपराध के लिए देश से माफी मांगेंगे? पीएम नेहरू इस गीत के विरोधी थे. तुष्टिकरण और वोटबैंक की राजनीति को तरजीह देते हुए उन्होंने इसके खिलाफ अभियान चलाया और कहा कि इसमें सांप्रदायिक रंग है। कांग्रेस आज भी यही तुष्टिकरण और वोटबैंक की राजनीति करती है, जहाँ वे वोट के लिए राष्ट्रीय अस्मिता पर हमला करते हैं। पहले इन्होंने CWC की बैठक में वंदे मातरम को बाँटा, फिर देश को बाँटा, और अब जाति के नाम पर देश को बाँट रहे हैं.”
वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने पर लोकसभा में होने वाली विशेष चर्चा को लेकर भाजपा की राज्यसभा सांसद सुधा मूर्ति ने खुशी जताई है. उन्होंने कहा, “मैं इसमें हिस्सा ले रही हूं और मुझे इसकी बहुत प्रसन्नता है. यह सिर्फ़ एक गीत नहीं है; यह लोगों के अंदर देशभक्ति की भावना जगाता है. यह गीत 150 साल पहले रचा गया था, स्वतंत्रता से पहले का है, इसलिए इस गीत ने सबको एकजुट किया था.”सुधा मूर्ति का यह बयान उस समय आया है जब वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ पर संसद में हो रही चर्चा को लेकर विपक्षी दलों की ओर से तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं.
वंदे मातरम के 150 वर्ष पर संसद में होने वाली चर्चा को लेकर कांग्रेस सांसद सुखदेव भगत ने गहरी आपत्ति जताई है. उन्होंने कहा, “आज प्रधानमंत्री इस पर चर्चा करेंगे, लेकिन राज्यसभा सचिवालय का बुलेटिन पार्ट-2, क्रमांक 65855, राज्यसभा सदस्यों का हैंडबुक साफ-साफ कहता है कि संसद के अंदर वंदे मातरम गाना सदन की मर्यादा के खिलाफ है. क्या यह बड़ी विरोधाभास नहीं लगता?”सुखदेव भगत ने आगे कहा, “चर्चा होना तो ठीक है... लेकिन हमारे प्रधानमंत्री जब राष्ट्रगान बजता है तो वहां खड़े होकर चलते फिरते दिखते हैं. वंदे मातरम से डरने की कोई बात नहीं, यह हमारा गर्व है, लेकिन जिस तरह इसके शब्दों का इस्तेमाल किया जा रहा है, उसे राजनीतिक रंग दे दिया गया है. यह उचित नहीं है.”उन्होंने अपील की कि “आज संसद में आरोप-प्रत्यारोप करने के बजाय हमारी कहानी, हमारे वीरता की चर्चा होनी चाहिए. ”कांग्रेस सांसद के इस बयान से कल होने वाली विशेष चर्चा में सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोंक-झोंक की आशंका और बढ़ गई है.
‘वंदे मातरम’ के 150 वर्ष पर संसद में होने वाली विशेष चर्चा को लेकर समाजवादी पार्टी के सांसद राजीव राय ने तीखा पलटवार किया है. उन्होंने कहा, “वंदे मातरम की चर्चा तो ठीक है, लेकिन साथ ही उन लोगों पर भी बहस होनी चाहिए जिन्होंने क्विट इंडिया मूवमेंट का विरोध करते हुए अंग्रेजों को चिट्ठियां लिखीं और उसे कुचलने की मांग की. जब देश के स्वतंत्रता सेनानी आजादी की लड़ाई लड़ रहे थे, तब मुस्लिम लीग के साथ सरकार में बैठकर अंग्रेजों की चापलूसी करने वालों पर भी चर्चा होनी चाहिए. माफी मांगने वालों पर भी चर्चा होनी चाहिए. ”राजीव राय ने आगे कहा, “आज जो सत्ता में हैं, वही देश की जनभावनाओं को कुचल रहे हैं. ”समाजवादी पार्टी के इस बयान से ‘वंदे मातरम’ के 150वें वर्ष पर होने वाली संसदीय चर्चा में राजनीतिक रंग और गहरा हो गया है. इस विशेष चर्चा में अब दोनों पक्षों के बीच तीखी बहस की पूरी संभावना है.
बीजेपी सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कहा- 'उन्होंने सभी दलों से अपील की कि “बीते समय की गलतियों को पीछे छोड़कर, पक्षपात से ऊपर उठकर, कट्टरवादी विचारधारा और वोट की राजनीति से परे रहते हुए सभी दल मिलकर वंदे मातरम के 150वें वर्ष के इस उत्सव में अपनी सहमति व्यक्त करें और राष्ट्रीय विकास तथा राष्ट्रीय एकता की भावना को और मजबूत करें. ”इस विशेष चर्चा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन को देश भर में बड़ी उत्सुकता से देखा जा रहा है.
लोकसभा में ‘वंदे मातरम’ के 150 वर्ष पूरे होने पर विशेष चर्चा आयोजित की जाएगी. इस अवसर पर भाजपा के वरिष्ठ सांसद एवं राज्यसभा सदस्य सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि संसद में इस विषय पर चर्चा होगी और हमें प्रधानमंत्री का संबोधन भी सुनने को मिलेगा. देश उत्साह और उत्सुकता से उनके विचार सुनने को आतुर है. त्रिवेदी ने कहा, “21वीं सदी के प्रथम चतुर्थांश में आज देश का युवा वही ऊर्जा और प्रेरणा जरूर समझेगा जो स्वतंत्रता संग्राम के दौरान मिली थी. उस समय संघर्ष राजनीतिक स्वतंत्रता का था, आज का संघर्ष सामाजिक और सांस्कृतिक स्वतंत्रता का है. ”