केरल के एक निजी अस्पताल में झारखंड से आए माता-पिता द्वारा छोड़ी गई 23 दिन की नवजात बच्ची को अब राज्य सरकार का संरक्षण मिलेगा. केरल की स्वास्थ्य, महिला एवं बाल विकास मंत्री वीणा जॉर्ज ने शुक्रवार को इस मामले में त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. उन्होंने महिला एवं बाल विकास विभाग को आवश्यक कदम उठाने को कहा है, ताकि बच्ची को उचित देखभाल मिल सके.
दरअसल, यह मामला झारखंड के एक दंपति से जुड़ा है. वे कोट्टायम के एक मछली फार्म में काम कर रहे थे. जब महिला गर्भवती थी, तो वे अपने घर झारखंड लौट रहे थे, लेकिन रास्ते में ही उसकी तबीयत बिगड़ गई. ट्रेन में हालत गंभीर होने के बाद उन्हें नजदीकी अस्पताल ले जाया गया, जहां उसने एक बच्ची को जन्म दिया.
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नवजात का वजन एक किलोग्राम से भी कम था, जिसके कारण उसे विशेष देखभाल के लिए एक निजी अस्पताल के नवजात गहन चिकित्सा कक्ष (NICU) में भर्ती कराया गया. इलाज के दौरान ही उसके माता-पिता अचानक लापता हो गए. अस्पताल प्रशासन ने उन्हें खोजने की कोशिश की, लेकिन उनसे कोई संपर्क नहीं हो पाया.
राज्य सरकार ने दिए निर्देश
सरकारी बयान के अनुसार, महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी अस्पताल जाकर बच्ची की स्थिति का जायजा लेंगे और आगे की व्यवस्था करेंगे. सरकार ने स्पष्ट किया है कि यदि माता-पिता वापस लौटते हैं और बच्ची को स्वीकार करने के इच्छुक होते हैं, तो उन्हें सौंप दिया जाएगा. लेकिन अगर वे उसे अपनाने से इनकार करते हैं, तो बाल कल्याण समिति (CWC) कानूनी प्रक्रिया के तहत बच्ची की देखभाल सुनिश्चित करेगी.
अस्पताल प्रशासन के सामने चुनौतियां
इसके अलावा, एर्नाकुलम जनरल अस्पताल के अधीक्षक को निर्देश दिया गया है कि नवजात को उचित चिकित्सा सुविधा मिले और उसे किसी भी तरह की परेशानी न हो. अस्पताल प्रशासन के अनुसार, बच्ची को विशेष देखभाल की आवश्यकता है, क्योंकि उसका जन्म कम वजन के साथ हुआ था. NICU में भर्ती रहने के दौरान माता-पिता का गायब होना अस्पताल के लिए चिंता का विषय बन गया था. अब सरकार के हस्तक्षेप के बाद उम्मीद की जा रही है कि बच्ची को उचित देखभाल मिलेगी और उसके भविष्य के लिए कानूनी प्रक्रिया अपनाई जाएगी.
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