प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कोलकाता में एक बड़े फर्जी दस्तावेज रैकेट का पर्दाफाश करते हुए एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है, जो खुद को बांग्लादेशी नागरिक बता रहा था, लेकिन जांच में उसके दावों पर संदेह पैदा हुआ है. आरोपी की पहचान आजाद मलिक के रूप में हुई थी, लेकिन जांच में उसका असली नाम आजाद हुसैन सामने आया.
ईडी ने उसे 15 अप्रैल को पश्चिम बंगाल से गिरफ्तार किया था. सूत्रों के मुताबिक, आजाद के पास से कुछ अहम दस्तावेज और ऑडियो क्लिपिंग्स बरामद हुई हैं, जो उसकी पहचान और गतिविधियों पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं.
यह भी पढ़ें: 'भारत ही मेरा घर, मैं वापस नहीं जाना चाहती', बुलंदशहर में पति के साथ रह रही पाकिस्तानी महिला की अपील
आजाद को मंगलवार को कोलकाता के बैंकशाल कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसे 8 मई तक ईडी की हिरासत में भेज दिया गया है. ईडी ने उसके खिलाफ विदेशी अधिनियम, 1946 की धारा 14 और 14ए के तहत एफआईआर दर्ज की है.
जांच में सामने आया है कि आजाद पिछले 12 वर्षों से भारत में अवैध रूप से रह रहा था और बांग्लादेशी घुसपैठियों के लिए फर्जी भारतीय दस्तावेज- जैसे आधार, पैन और वोटर आईडी तैयार कराने का काम करता था. इसके बदले में वह मोटी रकम वसूलता था.
यह भी पढ़ें: 'भारत ही मेरा घर, मैं वापस नहीं जाना चाहती', बुलंदशहर में पति के साथ रह रही पाकिस्तानी महिला की अपील
एजेंसी अब यह पता लगाने में जुटी है कि आजाद ने अब तक कितने लोगों को फर्जी पहचान दस्तावेज दिलाने में मदद की है और उसके नेटवर्क में कौन-कौन शामिल है? ईडी की यह कार्रवाई अवैध प्रवास और फर्जी दस्तावेजों के बढ़ते खतरे के मद्देनजर एक बड़ी कामयाबी मानी जा रही है.
अनुपम मिश्रा