कर्नाटक: पद्मश्री डॉ. सुब्बन्ना अय्यप्पन की संदिग्ध परिस्थिति में मौत, कावेरी नदी में तैरता मिला शव

मशहूर वैज्ञानिक और पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित डॉ. सुब्बन्ना अय्यप्पन संदिग्ध परिस्थिति में मृत पाए गए हैं. 10 मई को कावेरी नदी के पास साईं आश्रम, श्रीरंगपट्टण में उनका शव मिला है. पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है. 'नीली क्रांति' के लिए 2022 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया था.

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पद्मश्री सम्मानित वैज्ञानिक की रहस्यमयी मौत पद्मश्री सम्मानित वैज्ञानिक की रहस्यमयी मौत

सगाय राज

  • मैसूर,
  • 13 मई 2025,
  • अपडेटेड 1:06 AM IST

Padma Shri awardee scientist dead: पूर्व भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के महानिदेशक और पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित डॉ. सुब्बन्ना अय्यप्पन संदिग्ध परिस्थिति में मृत पाए गए हैं. शनिवार, 10 मई को कर्नाटक में कावेरी नदी के पास साईं आश्रम, श्रीरंगपट्टण में एक शव देखा गया, जिसके बाद पुलिस को सूचना दी गई थी. पुलिस ने शव को अपने कब्जे में लिया और उसकी पहचान की.  

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7 मई से लापता थे डॉ. सुब्बन्ना अय्यप्पन 

डॉ. सुब्बन्ना अय्यप्पन अपनी पत्नी के साथ मैसूर में रहते थे. उनकी दो बेटियां भी हैं. 7 मई से ही अय्यप्पन के लापता होने के बात सामने आई थी. अय्यप्पन का स्कूटर भी कावेरी नदी के किनारे मिली. 

श्रीरंगपट्टण पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया और जांच शुरू कर दी है. पुलिस उनकी मौत के कारणों का पता लगाएगी. 

डॉ. सुब्बन्ना अय्यप्पन कौन थे?

डॉ. सुब्बन्ना अय्यप्पन मशहूर वैज्ञानिक ते जिन्हें 'नीली क्रांति' के लिए 2022 में पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा गया. अय्यप्पन ने मत्स्य पालन की ऐसी तकनीक विकसित की, जिसने पूरे भारत में मछली पालन करने के पुराने तरीकों को बदल दिया. उनके काम ने ग्रामीणों के जीवन में खुशहाली लाई, खाद्य सुरक्षा मजबूत किया और तटीय तथा आंतरिक क्षेत्रीय उत्पादन बढ़ाने में महत्वपूर्ण रहा. 

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कर्नाटक के चामराजनगरके येलांडूर में 10 दिसंबर 1955 में अय्यप्पन का जन्म हुआ था. उन्होंने 1975 में बैचलर ऑफ फिशरीज साइंस की पढ़ाई की. फिर 1977 में मास्टर ऑफ फिशरीज साइंस की डिग्री मंगलूरु से प्राप्त की. इसके बाद बेंगलुरु के कृषि विश्वविद्यालय से 1988 में पीएचडी की. 

उनका करियर काफी लंबा रहा. वो मुंबई में सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फिशरीज एजुकेशन (CIFE) और भुवनेश्वर में सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फ्रेशवाटर एक्वाकल्चर (CIFA) के निदेशक के तौर पर काम किए. इतना ही नहीं वो हैदराबाद के संस्थापक मुख्य कार्यकारी  और राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (NFDB) के अधिकारी भी रहे थे. उन्होंने कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (DARE) के सचिव के पद पर भी काम किया. वे राष्ट्रीय परीक्षण एवं कैलिब्रेशन प्रयोगशालाओं के मान्यता बोर्ड (NABL) के अध्यक्ष और केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय (CAU), इम्फाल के कुलपति भी रहे.

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