मनी लॉन्ड्रिंग केस: ईडी की चार्जशीट में VIVO का नाम, भारत से 1 लाख करोड़ बाहर भेजने का आरोप

ईडी की जांच में पता चलाहै कि चीनी फोन निर्माता कंपनी ने 2014 में प्रवेश के बाद विभिन्न भारतीय शहरों में 19 और कंपनियां स्थापित की थीं. इन कंपनियों में चीनी नागरिक निदेशक या शेयरधारक थे और भारत में वीवो मोबाइल्स की पूरी आपूर्ति श्रृंखला को नियंत्रित करते थे. 

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ईडी ने चाइनीज मोबाइल निर्माता कंपनी वीवो के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग केस में चार्जशीट दायर कर दी है. ईडी ने चाइनीज मोबाइल निर्माता कंपनी वीवो के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग केस में चार्जशीट दायर कर दी है.

मुनीष पांडे

  • नई दिल्ली,
  • 07 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 2:19 PM IST

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने चीनी फोन निर्माता कंपनी वीवो के खिलाफ अपनी मनी लॉन्ड्रिंग जांच में चार्जशीट दायर कर दिया है. ईडी ने वीवो पर मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) की आपराधिक धाराओं के तहत आरोप लगाए हैं. चार्जशीट में कहा गया है कि वीवो ने 2014 से 2021 के बीच 1 लाख करोड़ रुपये भारत के बाहर भेजने के लिए शेल कंपनियों का इस्तेमाल किया. 

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ईडी ने इस मामले में गत अक्टूबर में लावा इंटरनेशनल कंपनी के एमडी हरिओम राय, चीनी नागरिक गुआंगवेन उर्फ ​​एंड्रयू कुआंग और चार्टर्ड अकाउंटेंट नितिन गर्ग और राजन मलिक को गिरफ्तार किया था. केंद्रीय एजेंसी ने 2022 में अपनी जांच शुरू की थी और पिछले साल जुलाई में वीवो-इंडिया और उससे जुड़े लोगों के यहां छापा मारा था. ईडी ने अपनी कार्रवाई के बाद चीनी नागरिकों और कई भारतीय कंपनियों से जुड़े एक बड़े मनी लॉन्ड्रिंग रैकेट का भंडाफोड़ करने का दावा किया था.

ईडी ने दिल्ली की एक विशेष अदालत के समक्ष दायर की चार्जशीट

दिल्ली की एक विशेष अदालत के समक्ष बुधवार को दायर आरोप पत्र में, ईडी ने हरिओम राय, गुआंगवेन क्यांग उर्फ ​​​​एंड्रयू कुआंग, नितिन गर्ग और राजन मलिक को अवैध तरीके से बड़ी रकम भारत से विदेश भेजने के आरोप में नामित किया है. ईडी की जांच में पता चलाहै कि चीनी फोन निर्माता कंपनी ने 2014 में प्रवेश के बाद विभिन्न भारतीय शहरों में 19 और कंपनियां स्थापित की थीं. इन कंपनियों में चीनी नागरिक निदेशक या शेयरधारक थे और भारत में वीवो मोबाइल्स की पूरी आपूर्ति श्रृंखला को नियंत्रित करते थे. 

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अक्टूबर में दायर अपने रिमांड एप्लीकेशन में ईडी ने आरोप लगाया था कि वीवो ने पूरे देश में एक विस्तृत चीन-नियंत्रित नेटवर्क स्थापित करने के लिए भारत में प्रवेश करके सरकार को धोखा दिया था. और भारत की आर्थिक संप्रभुता के लिए हानिकारक गतिविधियों को अंजाम दिया था. एफडीआई नीति 2020 के तहत, भारत सरकार ऑटोमेटिक रूट के तहत निवेश की अनुमति देती है. इसके लिए किसी पूर्व अनुमति की आवश्यकता नहीं है और न्यूनतम निगरानी की जरूरत होती है. कृषि, विनिर्माण, हवाई अड्डे, ई-कॉमर्स, फार्मास्यूटिकल्स, रेलवे बुनियादी ढांचे जैसे क्षेत्रों में 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति है.

वीवो ने 'होलसेल कैश एंड कैरी बिजनेस' की आड़ में स्वामित्व छुपाया

चार्जशीट में ईडी ने 2014 से 2018 के बीच वीवो द्वारा एफडीआई मानदंडों के उल्लंघन का आरोप लगाया है. इसमें कहा गया है कि भारत के एफडीआई नियमों का फायदा उठाते हुए, वीवो ने 'होलसेल कैश एंड कैरी बिजनेस' की आड़ में अपना स्वामित्व छुपाया. ईडी ने आरोप पत्र में कहा है कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग जांच से पता चला है कि वीवो ने 2014 के बाद से भारत के बाहर 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक की रकम अपने द्वारा किराए पर ली गई कुछ 'ट्रेडिंग कंपनियों' को भेजी ताकि इन भारतीय कंपनियों पर वीवो चाइना के नियंत्रण की बात सरकारी प्राधिकारियों के की नजर में न आए.

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वीवो ने 2014 से 2020 तक शून्य मुनाफा दिखाया, आयकर नहीं चुकाया

ईडी ने कहा है कि वीवो ने 2014 से 2020 तक शून्य मुनाफा दिखाया और भारत में कोई आयकर नहीं चुकाया. प्रवर्तन निदेशालय ने कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय द्वारा दर्ज की गई एक शिकायत के बाद 2022 में वीवो के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जांच शुरू की थी. मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स ने ईडी के पास अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि जीपीआईसीपीएल और उसके शेयरधारकों ने 2014 में भारत में इसके इनकॉर्पोरेशन के समय 'जाली' पहचान दस्तावेजों और नकली पते का इस्तेमाल किया था.

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