मीडिया में जो दिखाया जाता है, उससे केस की मेरिट अलग हो सकती है: CJI चंद्रचूड़

CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि मीडिया में जो दिखाया जाता है, केस की मेरिट उससे अलग हो सकती है. उन्होंने कहा कि मामले की सुनवाई के दौरान हम अपने विवेक का इस्तेमाल करते हैं और मामले की मेरिट के आधार पर बिना पक्षपात किए सुनवाई करते हैं.

Advertisement
Chief Justice of India Dhananjaya Yeshwant Chandrachud (File Photo) Chief Justice of India Dhananjaya Yeshwant Chandrachud (File Photo)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 05 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 10:04 AM IST

भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने सोमवार को कहा कि जो मीडिया में दिखाया जाता है, उससे केस की मेरिट अलग हो सकती है. ये बात उन्होंने उमर खालिद से जुड़ी सुनवाई में हो रही देरी के बारे में पूछे गए सवाल पर कही. उमर खालिद जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र हैं और दंगे के आरोप में दिल्ली की जेल में बंद है.

Advertisement

CJI ने कहा कि मामले की सुनवाई के दौरान हम अपने विवेक का इस्तेमाल करते हैं और मामले की मेरिट के आधार पर बिना पक्षपात किए सुनवाई करते हैं. उन्होंने कहा कि मीडिया में कुछ खास मामले महत्व रखते हैं, फिर उसी के आधार पर कोर्ट की आलोचना की जाती है.

जमानत से जुड़े मामलों को दी गई प्राथमिकता
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि CJI के रूप में कार्यभार संभालने के बाद, मैंने जमानत से जुड़े मामलों को प्राथमिकता देने का फैसला किया क्योंकि इनका संबंध व्यक्तिगत स्वतंत्रता से है. इसके साथ ये निर्णय लिया गया कि शीर्ष अदालत की प्रत्येक पीठ को कम से कम 10 जमानत मामलों की सुनवाई करनी चाहिए.

9 नवंबर 2022 से 1 नवंबर 2024 के बीच सुप्रीम कोर्ट में 21000 जमानत के मामले दायर किए गए. इस दौरान 21358 मामलों का निपटारा किया गया. CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि इसी दौरान मनी लॉन्ड्रिंग के 967 मामलों में से 901 मामले का निपटारा किया गया. मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में दर्जन भर मामले ऐसे थे जिनके राजनीतिक संबंध थे, ऐसे मामलों के कुछ पहलुओं को मीडिया में तूल दिया जाता है.

Advertisement

'बेल रूल है और जेल अपवाद है'
एक कार्यक्रम में बात करते हुए CJI ने कहा कि मैंने A To Z अर्णब गोस्वामी से जुबैर तक, सब को बेल दी है और यही मेरी फिलॉसफी है. उन्होंने कहा कि इस सिद्धांत का पालन किया जाना चाहिए कि 'बेल रूल है और जेल अपवाद है', लेकिन अभी तक ये निचली अदालतों में लागू नहीं हुआ है.

दबाव समूह अपने हित में फैसले करवाना चाहते हैं
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि ऐसे दबाव समूह हैं, जो मीडिया का इस्तेमाल कर के अपने हित में फैसले करवाना चाहते हैं. CJI ने कहा कि जब आप चुनावी बांड पर निर्णय लेते हैं तो आप बहुत स्वतंत्र होते हैं, लेकिन अगर फैसला सरकार के पक्ष में जाता है तो आप स्वतंत्र नहीं होते हैं. ये मेरी स्वतंत्रता की परिभाषा नहीं है.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement