अनुच्छेद 370 में संशोधन के बाद पाकिस्तान ने एक बार फिर भारत के खिलाफ एक नए मसले पर आपत्ति जताई है. मंगलावर को भारत और पाकिस्तान के सिंधु आयोग के आयुक्तों की हुई बैठक के दौरान पाकिस्तान ने जम्मू कश्मीर में पाकल दुल और लोउर कलनाई पनबिजली संयंत्रों के डिजाइन को लेकर आपत्ति जताई. हालांकि भारत ने इन परियोजनाओं के डिजाइन को जायज ठहराया है. अनुच्छेद 370 में फेरबदल के बाद पाकिस्तान ने इस परियोजना को लेकर अधिक जानकारी मांगी थी.
दोनों देशों के बीच इस बैठक में सिंधु जल संधि के तहत कई मामलों पर चर्चा की गई. यह बैठक दो साल बाद आयोजित की गई है. इससे पहले ये बैठक साल 2018 में हुई थी. इस बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल के नेतृत्व में भारत के सिंधु आयोग के आयुक्त यूके सक्सेना ने किया. उनके साथ केंद्रीय जल आयोग, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण एवं राष्ट्रीय जल विद्युत ऊर्जा निगम के सलाहाकर भी मौजूद थे.
पाकुल दुल परियोजना (1000 मेगावाट) कश्मीर के किश्तवाड़ में चिनाब नदी की सहायक नदी मरुसूदर पर प्रस्तावित है जबकि लोअर कलनाई किश्तवाड़ और डोडा जिले में प्रस्तावित है. पाकिस्तान की तरफ से सोमवार की शाम आए प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व सिंधु कमिश्नर सैय्यद मुहम्मद मेहर अली शाह ने किया. अगस्त 2019 में कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने के बाद से दोनों देशों के आयुक्तों के बीच यह पहली बैठक थी. यह बैठक इस लिहाज से भी काफी अहम है क्योंकि हाल ही में दोनों देश की आर्मी ने सीमा पर सीजफायर नियमों से सख्ती से पालन करने का ऐलान किया है. साल 2019 में जम्मू कश्मीर और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया है.
भारत ने इन इलाकों में कई हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट को मंजूरी दी है. जिनमें दुरबुक श्योक (19 मेगावाट क्षमता), शांकू (18.5 मेगावाट क्षमता), नीमू चिलिंग (24 मेगावाट क्षमता), रोंगदो(12 मेगावाट क्षमता), रत्न नाग (10.5 मेगावाट क्षमता) और कारगिल में मांगदम सांगरा (19 मेगावाट क्षमता), कारगिल हंडरमैन (25 मेगावाट क्षमता) व तमाश (12 मेगावाट क्षमता) शामिल हैं.
सूत्रों की मानें तो पाकिस्तान ने इन परियोजनाओं को लेकर भारत से और जानकारी मांगी थी. बता दें कि सिंधु जल समझौते के तहत दोनों देशों के आयोगों के बीच साल में कम से कम एक बार बैठक का प्रावधान है. यह बैठक बारी-बारी से भारत और पाकिस्तान में होती है. पिछले साल कोरोना वायस महामारी के चलते यह बैठक रद्द कर दी गई थी.
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