Indian Railways: ट्रेनों के लगातार कैंसिलेशन से यात्री हलकान, रेलवे की फॉग सेफ डिवाइस साबित हो रहीं नाकाम?

कोहरे का असर ट्रेनों के परिचालन पर दिखाई देने लगा है. कोहरे के चलते हर साल की तरह इस साल भी दिसंबर के पहले सप्ताह में ट्रेनों की लेटलतीफी शुरू हो गई है. जिसके चलते यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

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Trains cancel due to fog (File Photo) Trains cancel due to fog (File Photo)

उदय गुप्ता

  • चंदौली,
  • 06 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 1:50 PM IST

Fog Safe Device Effect: साल के आखिरी महीने का पहला सप्ताह चल रहा है और एक तरफ जहां पारा के लुढ़कने की शुरुआत हो चुकी है. वहीं, दूसरी तरफ कोहरा भी अपना असर दिखाने लगा है. हालांकि, अभी बहुत ज्यादा घना कोहरा नहीं पड़ रहा है. लेकिन बावजूद इसके कोहरे का असर ट्रेनों के परिचालन पर दिखाई देने लगा है. कोहरे के चलते हर साल की तरह इस साल भी दिसंबर के पहले सप्ताह में ट्रेनों की लेटलतीफी शुरू हो गई है. जिसके चलते यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

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दिल्ली हावड़ा रेल रूट के सर्वाधिक व्यस्ततम रेलवे स्टेशनों में शुमार पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन की बात करें तो यहां से गुजरने वाली आधा दर्जन से ज्यादा ट्रेनें घंटों की देरी से चल रही हैं, इसके पीछे कोहरे को वजह बताया जा रहा है. दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन से होकर गुजरने वाली गंगा सतलज एक्सप्रेस एक तरफ जहां 8 घंटे से ज्यादा की देरी से चल रही है. वहीं, महानंदा एक्सप्रेस 4 घंटे, मगध एक्सप्रेस दो घंटे, रांची आनंद विहार स्वर्ण जयंती एक्सप्रेस ढाई घंटे, हावड़ा मुंबई मेल 2 घंटे, नेताजी एक्सप्रेस 1 घंटे, हावड़ा से चलकर जोधपुर जाने वाली जोधपुर एक्सप्रेस एक घंटे, दिल्ली से चलकर तिनसुकिया की तरफ जाने वाली ब्रह्मपुत्र मेल 2 घंटे और इंदौर से चलकर पटना जाने वाली इंदौर पटना एक्सप्रेस 2 घंटे की देरी से चल रही है. इसके साथ अन्य कई ट्रेनें भी हैं, जिनके परिचालन पर कोहरे का असर दिखाई दे रहा है.

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तो क्या बेअसर साबित हो रही है फॉग सेफ डिवाइस!

भारतीय रेलवे ने एक तरफ जहां घने कोहरे की आशंका को देखते हुए हर बार की तरह इस बार भी दिसंबर से फरवरी तक के बीच सैकड़ों ट्रेनों को कैंसिल कर दिया है. वहीं, दूसरी तरफ कोहरे के दौरान ट्रेनों को सुरक्षित और समयबद्ध तरीके से चलाने के लिए पूर्वोत्तर रेलवे और पूर्व मध्य रेल के अधिकार क्षेत्र में चलने वाली सैकड़ों ट्रेनों में फॉग सेफ डिवाइस लगाई गई है. ताकि कोहरे के दौरान ट्रेनों को चलाने में लोको पायलट को आसानी हो. लेकिन जिस तरह से कोहरे के चलते ट्रेनों की लेटलतीफी शुरू हो गई है. उससे अब इस बात की चर्चा भी उठने लगी है कि क्या फॉग सेफ डिवाइस पूरी तरह से कारगर नहीं है?

यात्रियों के मन में भी इस तरह के सवाल उठने लगे हैं कि अगर फॉग सेफ डिवाइस को कोहरे के दौरान ट्रेनों में इंस्टॉल किया गया है. तो इसके बावजूद ट्रेनों के परिचालन मे लेटलतीफी क्यों शुरू हो गई है. लेकिन फॉग सेफ डिवाइस की कार्यप्रणाली को लेकर इससे सम्बंधित रेल अधिकारियों का कुछ और ही कहना है. दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन के चीफ क्रू कंट्रोलर सुमित भट्टाचार्य बताते हैं कि फॉग सेफ डिवाइस एक सहायक यंत्र है जो कोहरे के दौरान लोको पायलट को ट्रेन चलाने में मदद करता है. सुमित भट्टाचार्य आगे बताते हैं कि फॉग सेफ डिवाइस सिर्फ सिग्नल के लोकेशन को बताता है ना कि सिग्नल की स्थिति बताता है. यानी फॉग सेफ डिवाइस की मदद से लोको पायलट को सिर्फ यह जानकारी मिलती है कि अब आगे सिग्नल आने वाला है.

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सिग्नल लाल है या हरा है इसकी जानकारी फॉग सेफ डिवाइस नहीं देता है. लिहाजा ट्रेन के इंजन में फॉग सेफ डिवाइस लगने से ट्रेन की स्पीड पर कोई फर्क नहीं पड़ता. जिसकी वजह से घने कोहरे में ट्रेनों को उनकी निर्धारित सामान्य गति से चला पाना मुमकिन नहीं हो पाता. जिसकी वजह से ट्रेनों की समयबद्धता प्रभावित होती है.

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