India Today Conclave: जलवायु परिवर्तन पर बोलीं भूमि पेडनेकर- स्वच्छ हवा, जीने योग्य जलवायु हमारा मूल अधिकार

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के दूसरे दिन मंच पर प्रकृति और जलवायु की बात हुई. क्लाइमेट चेंज पर अभिनेत्री भूमि पेडनेकर, बर्जिस ड्राइवर, नेहा नाइकवाडे, वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर ऐश्वर्या श्रीधर और प्रिया अग्रवाल हब्बर ने अपने विचार रखे. उन्होंने बताया के वे इस दिशा में काम क्यों कर रहे हैं और कैसे पर्यावरण को बेहतर किया जा सकता है.

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भूमि पेडनेकर, अभिनेत्री भूमि पेडनेकर, अभिनेत्री

aajtak.in

  • मुंबई,
  • 05 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 7:12 PM IST

India Today Conclave Mumbai: इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के दूसरे दिन बिजनेस, कला, लेखक, फिल्म जगत की दिग्गज हस्तियां अपने विचारों के साथ कार्यक्रम में हिस्सा लिया. शनिवार को इंडिया टुडे के इस मंच पर प्रकृति और जलवायु की बात हुई.
 
GreenSpeak नाम के कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए मंच पर मौजूद थीं अभिनेत्री भूमि पेडनेकर (Bhumi Pednekar), अरबन प्लानर और यूएन इंडिया x पर्पज़ और 'We the Change' कैंपेनर बर्जिस ड्राइवर (Berjis Driver), क्लाइमेट डेटा प्रोग्राम और क्लाइमेट कलेक्टिव की लीड, यूएन यूथ क्लाइमेट लीडर नेहा नाइकवाडे (Neha Naikwade), वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर, पर्यावरण संरक्षणवादी और डॉक्यूमेंट्री फिल्म मेकर ऐश्वर्या श्रीधर (Aishwarya Sridhar) और वेदांता लिमिटेड की नॉन एग्ज़िक्यूटिव डायरेक्टर प्रिया अग्रवाल हब्बर.

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'स्वच्छ खाना, स्वच्छ हवा, जीने योग्य जलवायु हमारा मूल अधिकार है'

भूमि पेडनेकर जलवायु परिवर्तन पर चलाई जा रही मुहिम में क्यों और कैसे शामिल हुईं, इसपर उन्होंने कहा कि मैंने इस मामले में थोड़ी स्वार्थी हूं. मैं कई रात सो नहीं पाई थी, मैं सोचती थी और मुझे चिंता होती थी कि मेरा और मेरे अपनों का आने वाला समय कैसा होगा. क्या इसके लिए हम जो कर रहे हैं क्या काफी है? लोग जलवायु परिवर्तन पर यकीन नहीं करते, वे इसका मजाक उड़ाते हैं. इसलिए मैंने सोचा कि ऐसा कुछ किया जाए कि जहां मैं कुछ कर सकूं. इससे जुड़े लोगों के साथ काम कर सकूं और मैंने ऐसा ही किया.

ये एक फैक्ट है कि लोगों को पता ही नहीं है कि क्या हो रहा है. हमें इस बारे में लोगों को जागरुक करना होगा. ये हमारी जिम्मेदारी है कि हमारी आने वाली पीढ़ी को भी वैसा ही अच्छा जीवन मिले जैसा हमने जिया है. स्वच्छ खाना, स्वच्छ हवा, स्वच्छ जलवायु हमारा मूलभूत अधिकार है. इस यात्रा पर चलने का सिर्फ यही कारण था कि मैं अपने लोगों से प्यार करती हूं, इस पृथ्वी से प्यार करती हूं. भूमि कहती हैं कि हमें समझना पड़ेगा कि जलवायु परिवर्तन बहुत गंभीर है. आपके पास पैसा है तो भी आप नहीं बचेंगे. हमारे पास कोई च्वाइस नहीं है!

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मंच पर भूमि पेडनेकर और प्रिया अग्रवाल हब्बर 

'इंडस्ट्री और एक्टिविस्ट्स को साथ काम करने की ज़रूरत' 

वेदांता की नॉन एग्ज़िक्यूटिव डायरेक्टर प्रिया अग्रवाल हब्बर का कहना है कि इंडस्ट्री और इस दिशा में काम करने वालों को एक साथ मिलकर काम करना होगा. हम माइनिंग करते हैं. अगर सही टेक्नोलॉजी और सही रिसर्च करके माइनिंग की जाए तो इससे कई प्रजातियां बचाई जा सकती हैं. सब प्लानिंग के साथ हो जिससे पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे तभी आगे बढ़ा जा सकता है. 

उन्होंने कहा कि बदलाव लाने के लिए हमें अपने जीवन को सरल करना होगा. रोटी कपड़ा मकान से पहले लोगों को शिक्षित करने की ज़रूरत है. तभी वे जान पाएंगे कि सब इतना महंगा क्यों है, पर्यावरण क्यों बदल रहा है.

'हमें खुद को बचाना है हमें अपने परिवार को बचाना है'

वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर, पर्यावरण संरक्षणवादी और डॉक्यूमेंट्री फिल्म मेकर ऐश्वर्या श्रीधर का कहना है कि वन्य जीवन बहुत बड़ा है. जलवायु परिवर्तन की बात करें तो ऐसे समुदाय हैं जो जलवायु परिवर्तन की वजह से विलुप्त होने के कगार पर हैं. तो मैं पर्यावरण और खुद के रिश्ते पर सवाल उठाती हूं कि हम ऐसे समाज क्यों नहीं बना सकते जहां हम सभी के साथ, प्रकृति के साथ मिलकर रह सकें. आज इस बात को महसूस करना बहुत जरूरी है कि हमें अपनी पृथ्वी को सिर्फ इसलिए नहीं बचाना है क्योंकि वो हमारी ग्रह है या हमें जानवरों को नहीं बचाना है, हमें खुद को बचाना है हमें अपने परिवार को बचाना है. लोग जलवायु परिवर्तन की वजह से मर रहे हैं. 

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उन्होंने कहा कि ऐसी 3 चीजें हैं जिन्हें करके कोई भी इस दिशा में अपना योगदान दे सकता है. प्लास्टिक का इस्तेमाल बंद कर दें. रीसाइकिल और रीयूज़ करें, तीसरा अपने जीवनशैली में बदलाव करके, दुनिया को बेहतर बनाया जा सकता है. वहीं नेहा नाइकवाड़े ने युवाओं को इस दिशा में काम करने की सलाह दी. उनका कहना था कि यह एक मौका है. यहीं से शुरुआत करो. यहीं से बदलाव की कोशिश करो, खुद को शिक्षित करो, सोचो कि कैसे पर्यावरण के लिए तकनीक का इस्तेमाल हो सकता है, लोगों को जागरुक करो.


 

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