72% घटी भर्तियां, हजारों हुए बेरोजगार... भारत के IT सेक्टर में नौकरियों पर गंभीर संकट

भारत का आईटी सेक्टर आज गंभीर संकट से जूझ रहा है. नई भर्तियां घट रही हैं, जबकि अनुभवी पेशेवरों को अचानक कंपनियां बाहर का रास्ता दिखा रही हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि संकट से उबरने के लिए कौशल विकास और प्रशिक्षण पर जोर देना होगा.

Advertisement
भारत के आईटी सेक्टर में नौकरियों का संकट. (photo: Representational) भारत के आईटी सेक्टर में नौकरियों का संकट. (photo: Representational)

आजतक ब्यूरो

  • नई दिल्ली,
  • 15 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 9:54 PM IST

भारत का आईटी सेक्टर जो देश की अर्थव्यवस्था का एक मजबूत स्तंभ है, लेकिन आज ये सेक्टर गंभीर संकट से जूझ रहा है. यहां नई भर्तियां घट रही हैं, जबकि लंबे वक्त से नौकरी करने वाले अनुभवी पेशेवरों को अचानक कंपनियां बाहर का रास्ता दिखा रही हैं. आइए समझते हैं कि ये समस्या इतनी गंभीर क्यों है.

भारतीय आईटी सेक्टर दुनिया का सबसे बड़ा रोजगार देने वाले सेक्टरों में से एक है, जहां वर्तमान में 73 लाख से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं. यह सेक्टर देश की जीडीपी में 7% से अधिक का योगदान देता है. 2025 में आईटी सेवाओं का निर्यात 224 अरब डॉलर (लगभग 19.70 लाख करोड़ रुपये) तक पहुंच गया जो सेक्टर की वैश्विक महत्व को दर्शाता है. लेकिन इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में टॉप छह आईटी फर्मों में नई भर्तियां पिछली तिमाही की तुलना में 72% की गिरावट दर्ज की गई है.

Advertisement

नई पीढ़ी के लिए पैदा हो रहा है संकट

वहीं, कोविड-19 पूर्व स्तर की तुलना में एंट्री लेवल भर्तियां 50% कम हो चुकी हैं. सरल शब्दों में कहें तो जहां पहले बड़ी टेक कंपनियां 100 नए बेरोजगार युवाओं को एंट्री लेवल पर नौकरी दे रही थीं, अब वहां केवल 50 को ही नौकरी मिल रही है. इससे नई पीढ़ी के लिए नौकरी का संकट पैदा हो रहा है.

साथ ही चिंता की बात ये है कि पुरानी नौकरियों पर भी छंटनी का साया मंडरा रहा है. 2025 में ही इंटेल, माइक्रोसॉफ्ट और मेटा जैसी बड़ी कंपनियों ने वैश्विक स्तर पर 60,000 से अधिक कर्मचारियों को निकाल दिया, जिसका असर भारत पर भी पड़ा.

TCS ने निकाले 12000 कर्मचारी

इसके अलावा देश की सबसे बड़ी आईटी कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) ने जुलाई में 12,000 कर्मचारियों (कुल वर्कफोर्स का 2%) को निकाल दिया.

Advertisement

वर्कफोर्स रिसर्च फर्म एक्सफेनो के अनुसार, पिछले 12 महीनों में टॉप सात आईटी कंपनियों से 15 साल से अधिक अनुभव वाले 7,800 सीनियर प्रोफेशनल्स को नौकरी से निकाला दिया है.

आईटी कर्मी ने बयां किया दर्द

दरअसल, महीना दो महीना नहीं, बल्कि चौदह सालों तक आईटी कंपनी ने अपनी सेवाएं देने वाले एक शख्स ने अपनी पहचान छिपाने की शर्त पर आजतक को बताया कि वह चेन्नई में एक प्रमुख आईटी कंपनी में 14 साल तक एक प्रोजेक्ट मैनेजर के रूप में काम कर रहा था. वह प्रोजेक्ट दो हफ्ते में पूरा होने वाला था, लेकिन प्रोजेक्ट के बीच में ही कंपनी ने निकाल दिया.

उन्होंने अपना दर्द साझा करते हुए बताया कि कंपनी ने अचानक मोबाइल, स्मार्टवॉच और लैपटॉप जब्त कर लिए और कंपनी ने कहा कि 10 दिनों में नया प्रोजेक्ट न मिला तो इस्तीफा दे दो.

वहीं, हैदराबाद की एक कंपनी में काम करने वाले आईटी प्रोफेशनल्स ने बताया, हम लोगों से अचानक कहा कि आप अब कहीं और जॉब खोज लीजिए.

यूनियन ऑफ आईटी एम्प्लॉयी के महासचिव एलागुनांबी वेलकिन कहते हैं, 'ये छंटनी केवल आंकड़ों में नहीं, बल्कि पूरे परिवारों की जिंदगी बर्बाद कर रही है.' एक प्रभावित युवा ने कहा, 'नौकरी गई तो परिवार का भविष्य अंधेरे में डूब गया. बच्चों की पढ़ाई, घर का खर्च- सब कुछ अधर में लटक गया.'

Advertisement

क्या है छंटनी का कारण?

तो सवाल है कि आईटी सेक्टर में नौकरियों पर संकट के पीछे कई कारक हैं, जिसमें सबसे बड़ा है जियो पॉलिटिक्स में उथल-पुथल, रूस-यूक्रेन युद्ध, इजरायल-गाजा संघर्ष और अमेरिका के ट्रंप प्रशासन द्वारा लगाए गए 25% टैरिफ ने ग्लोबल अर्थव्यवस्था को हिला दिया है.

इंफोसिस के सह-संस्थापक और एक्सिलर वेंचर्स के चेयरमैन क्रिस गोपालकृष्णन कहते हैं, 'आईटी सेवाएं चीन के अलावा सभी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं से आती हैं। जब ग्लोबल इकॉनमी में हलचल होती है, तो भारतीय आईटी प्रभावित होता है.' अमेरिका जो आईटी निर्यात का 50% हिस्सा है, वहां अनिश्चितता ने क्लाइंट्स के बजट कटौती को बढ़ावा दिया.

दूसरा बड़ा कारण है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का तेजी से हो रहा विकास है. हर तीन-चार महीने में AI के नए वर्जन आ रहे हैं जो रूटीन टास्क को ऑटोमेट कर रहे हैं.

नैसकॉम के पूर्व अध्यक्ष राजीव चंद्रशेखर इंडिया टुडे/आजतक से बातचीत में कहते हैं, 'एआई के आने से पहले ही बड़े पैमाने पर ऑटोमेशन चल रहा था. एआई ने बस उस प्रक्रिया में तेजी ला दी है और उन कामों में भी घुस गई है जिनका ऑटोमेशन नहीं हो रहा था या जिस पर विचार नहीं किया गया था.'

आईटी एक्सपर्ट सागर बख्शी का मानना है, 'एआई जॉब्स को ट्रांसफॉर्म कर रहा है, नष्ट नहीं. लेकिन स्किल गैप की वजह से कई भूमिकाएं खत्म हो रही हैं.'

Advertisement

एक्सेसिबल माइंड्स के सीईओ हिमांशु सिंह कहते हैं, 'एआई से कोडिंग से लेकर कस्टमर सपोर्ट तक सब प्रभावित हो रहा है.'

ढलता जा रहा है भारत का आईटी सेक्टर?

भारत का आईटी सेक्टर हमेशा बदलावों के साथ ढलता रहा है. नैसकॉम के प्रेसिडेंट राजेश नांबियार ने इंडिया टुडे से बातचीत में कहा कि संकट दूर करने के लिए पहली बात सबको लगातार हुनर विकसित करना होगा. एक हुनर से दूसरे हुनर में प्रशिक्षित होना जरूरी है.

दूसरी बात- कंपनियों को अपनी अनूठी जरूरतों के मुताबिक बदलाव करना होगा.

तीसरा, जहां युवा तैयार हो रहे हैं, यानी कॉलेज और यूनिवर्सिटी में, वहां नई ट्रेनिंग का ढांचा देना होगा. सरकार को भी स्किल के क्षेत्र में समय की मांग के मुताबिक हर जगह बदलाव लाना होगा.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement