विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. ने 14 टीवी पत्रकारों की लिस्ट जारी की है. कहा गया है कि इनके टीवी शो में उनके मीडिया प्रतिनिधि या प्रवक्ता हिस्सा नहीं लेंगे. इसपर अब राजनीति और विरोध तेज हो गया है. बीजेपी ने इसकी निंदा की है, वहीं न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन (NBDA) ने गठबंधन से इस फैसले को वापस लेने की मांग की है.
14 टीवी पत्रकारों की ये लिस्ट I.N.D.I.A. गठबंधन की तरफ से बुधवार को जारी की गई है. ये लिस्ट गठबंधन की कॉर्डिनेशन कमेटी की मीटिंग के बाद सामने आई थी. मीटिंग में तय किया गया था कि कमेटी अपना मीडिया ग्रुप तय करेगी. साथ ही ये भी फैसला लेगी कि किन टीवी एंकर्स के शो में I.N.D.I.A. गठबंधन के प्रतिनिधि शामिल नहीं होंगे.
अपने इस फैसले पर बोलते हुए कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा, 'हमने कुछ एंकर्स की लिस्ट बनाई है. उनके टीवी शो और इवेंट का बहिष्कार किया जाएगा. हम उनकी नफरत भरी चीजों को आगे नहीं बढ़ाना चाहते जो समाज को खराब कर रही हैं.'
पवन खेड़ा ने आरोप लगाया है कि इन टीवी शोज में उनके नेताओं के खिलाफ हेडलाइंस और मीम्स बनाए जाते हैं. बयानों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया जाता है. खेड़ा ने आगे कहा कि हम इस फैसले को लेते हुए दुखी हैं. हम इनमें से किसी एंकर को नफरत नहीं करते हैं. लेकिन हम अपने देश को, भारत को इससे ज्यादा प्यार करते हैं.
aajtak.in उन पत्रकारों की लिस्ट यहां प्रकाशित नहीं कर रहा है, क्योंकि हम इस बैन का समर्थन नहीं करते हैं.
बीजेपी ने कांग्रेस के इस फैसले की निंदा की है. सत्ताधारी पार्टी ने आरोप लगाया कि मीडिया को धमकाने का कांग्रेस का इतिहास रहा है. बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा, 'इतिहास में ऐसे कई मौके आए हैं जब कांग्रेस ने मीडिया पर पाबंदी लगाई है. नेहरू ने बोलने की आजादी पर अंकुश लगाया था और उनकी निंदा करने वालों को गिरफ्तार करवाया था. इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाया था. राजीव गांधी ने मीडिया को सरकार के अधीन करने की कोशिश की थी, लेकिन विफल रहे. सोनिया गांधी की UPA ने सोशल मीडिया हैंडल्स को बैन करवाया था क्योंकि कांग्रेस को उनके विचार पसंद नहीं थे.'
बीजेपी के साथ-साथ समाचार प्रसारक संघ ने भी I.N.D.I.A. गठबंधन के फैसले को गलत माना है. न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन (NBDA) ने गठबंधन से इस फैसले को वापस लेने को कहा है.
NBDA ने लिखा, 'I.N.D.I.A. मीडिया कमेटी के फैसले ने खतरनाक मिसाल पेश की है.' NBDA ने आगे लिखा है कि ये बैन लोकतंत्र के लोकाचार के खिलाफ है और असहिष्णुता का संकेत देता है. NBDA ने विपक्षी गठबंधन से इस फैसले को वापस लेने की गुहार लगाई है.
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