पश्चिम बंगाल के पूर्व बर्दवान जिले के जमालपुर से विधायक आलोक मांझी ने कहा विधायक हैं तो क्या हुआ, मैं किसान का बेटा हूं. जो खाना पकाती है, वो अपने बाल भी बांधती हैं. एक विधायक भी किसान है. जैसे वह विधानसभा में जाते हैं. उसी तरह वह जमीन पर जाते हैं और धान की कटाई भी करते हैं. पूर्व बर्दवान जिले के जमालपुर के विधायक आलोक कुमार मांझी सिर पर लाल रंग की गमछा बांधकर अपनी खेत में धान बचाने के लिए उतर गए.
वह प्राकृतिक आपदा से प्रभावित एक किसान हैं. उन्हें विधायक पद के लिए मानदेय मिलता है. इन विधायक की कृषि में विशेष रुचि है. उनके कहने के अनुसार , बचपन से लेकर वयस्क होने तक उन्होंने अपने पिता को यह कृषि कार्य करते देखा है. पिता ने बचपन से ही कृषि कार्य पर निर्भर रहकर अपने बेटे-बेटियों को बड़ी कठिनाई से पालन-पोषण किया है.
किसान की पीड़ा को समझने खेत पहुंचे आलोक मांझी
आलोक मांझी ने आगे कह ये विधायक बेटा भूला नहीं है, तो विधायक आलोक मांझी किसान की पीड़ा को समझने के लिए खेत में जा पहुंचे. उन्होंने कहा कि भले ही महीने के पैसे मिल जाए, लेकिन अगर आपको अपनी फसल की रखवाली के लिए खेत में जाना पड़े, तो इसमें हर्ज क्या है? बता दें कि चक्रवात तूफान मिचौंग के प्रभाव से असामयिक बारिश के कारण खेती को गहरा झटका लगा है.
दो दिनों से लगातार हुई बारिश से जिले भर में धान को व्यापक नुकसान हुआ है. पश्चिम बंगाल के पूर्व बर्दवान जिला स्थित दक्षिण दामोदर क्षेत्र में आमान धान के साथ सुगंधित चावल गोविंद भोग धान की खेती विशेष रूप से प्रभावित है. कृषि विभाग के सूत्रों के मुताबिक इस इलाके में कोई भी किसान 10 फीसदी फसल भी घर नहीं ले जा सकता. जमालपुर विधायक आलोक कुमार मांझी का घर खंडघोष के शंकरपुर इलाके में है. इस क्षेत्र के कई मौजा क्षतिग्रस्त हो गए हैं. उन्होंने कहा कि इनमें खंडघोष के शंकरपुर में सबसे अधिक जमीन क्षतिग्रस्त हुई है.
3 बीघे जमीन पर चावल और 10 कट्ठा जमीन पर आलू की खेती
अग्रहायण माह में ऐसी बारिश में धान काटकर घर लाने से पहले ही भीग गया है. लक्ष्मी को घर ले जाने से पहले खेत का धान खेत में ही बर्बाद हो गई. अपनी आंखों के सामने अपनी जमीन का धान में पानी भरता देख विधायक खुद को रोक नहीं सके. उन्होंने कहा कि वे भले ही विधायक हैं, लेकिन किसान के बेटे हैं. जो आमतौर पर राजनीतिक क्षेत्र में छाए रहते हैं. वे एक अलग भूमिका में नजर आए.
विधायक आलोक कुमार मांझी ने कहा, शंकरपुर में उन्होंने अपने परिवार की 3 बीघे जमीन पर गोविंद भोग चावल और 10 कट्ठा जमीन पर आलू की खेती की है. जैसे धान बर्बाद होने वाला है, वैसे ही आलू के बीज भी नष्ट हो जाएगे. पांच अन्य किसानों की तरह विधायक आलोक कुमार मांझी भी मुआवजे की आस में राज्य सरकार पर निर्भर रहते हैं.
सुजाता मेहरा