बेंगलुरु के एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर 4 जून 2025 को रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) की IPL 2025 जीत के जश्न के दौरान मची भगदड़ ने 11 लोगों की जान ले ली और 50 से अधिक लोग घायल हो गए. इस त्रासदी ने एक बार फिर देश में भीड़ प्रबंधन (क्राउड मैनेजमेंट) की नाकामी की कलाई खोल दी है. ये कोई पहली घटना नहीं है, पिछले कुछ सालों में देश के अलग-अलग हिस्सों में भगदड़ की कई घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें सैकड़ों लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. फिर चाहे वह धार्मिक आयोजन हों, रेलवे स्टेशन हों या फिर खेल के मैदान, प्रशासन की लापरवाही और भीड़ नियंत्रण में कमी के कारण ये त्रासदियां बार-बार हो रही हैं. राज्यों का नाम बदलता है, मरने वालों के आंकड़े अलग-अलग होते हैं.
दिल्ली पुलिस के पूर्व एसीपी वेद प्रकाश कहते हैं कि भीड़ को नियंत्रित करने के लिए और ऐसी घटनाओं से बचने के लिए नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी ने 2014 में विस्तृत गाइडलाइंस यानी दिशा-निर्देश जारी किए थे. इसके इतर राज्यों के पास अपनी गाइडलाइंस भी होती है जो जगह है और परिस्थितियों को देखकर भीड़ को नियंत्रित करने के लिए अनुकूल होती है. इतना ही नहीं पुलिस की साधारण ट्रेनिंग में भी क्राउड कंट्रोल मैनेजमेंट यानी भीड़ नियंत्रण व्यवस्था की बकायदा ट्रेनिंग होती है.
वहीं, पिछले कुछ सालों में देश भर में कई बड़ी भगदड़ की घटनाएं हुई हैं. जो प्रशासनिक नाकामी का सबूत देती हैं.
तीन साल में 8 घटनाएं
बता दें कि पिछले तीन सालों के अंदर भगदड़ की आठ बड़ी घटनाएं हुई हैं, जहां मरने वालों का आंकाड़ा अलग-अलग है. राज्य अलग-अलग हैं, लेकिन अगर कुछ सामान्य है तो वो है प्रशासन और सरकार की लापरवाही, जहां क्राउड मैनेजमेंट सिस्टम यानी भीड़ नियंत्रण करने की व्यवस्था चरमरा गई. जिसके चलते मासूम लोगों को अपनी जान गवां पड़ी.
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत में हो रही लगातार भीड़ अव्यवस्था की घटनाओं के चलते छवि ऐसी बन रही है कि हम बड़े आयोजन करने में नाकामयाब हैं.
NDRF के पूर्व DIG सुजीत गुलेरिया का कहना है कि भीड़ प्रबंधन एक मैथमेटिकल कैलकुलेशन है और इसके लिए लगातार ट्रेनिंग हॉर्मोन रही होती रही है, यहां तक कि नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी के दिशा-निर्देश भी मौजूद हैं जो चिन्नास्वामी स्टेडियम में हुआ ऐसी घटनाओं के पहले प्लानिंग प्रेपरेशन और भीड़ का अंदाजा लगाना होता है. पुलिस और सिविल ऐडमिनिस्ट्रेशन कि साधारण ट्रेनिंग का हिस्सा होता है. क्राउड मैनेजमेंट सिस्टम सिर्फ़ NDMA ही नहीं में नहीं, बल्कि राज्यों के पास भी भीड़ नियंत्रण संबंधी गाइडलाइंस मौजूद है, लेकिन नियमों का पालन नहीं होता.
उन्होंने कहा कि कब तक हम सिर्फ पुरानी घटनाओं से सीखते रहेंगे, क्योंकि अब सीखने का नहीं करने का समय है. जिसके बारे में गाइड लाइंस बनी हुई है, लेकिन कमी होती है ठोस कदम उठाने की और ऐसे में अकाउंट बिल भी तय होनी चाहिए और लापरवाह प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ़ कार्रवाई होनी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों.
दिल्ली पुलिस के पूर्व असिस्टेंट कमिश्नर ऑफ पुलिस वेदभूषण बताते हैं कि जब पुलिस और प्रशासन को अंदाजा था कि कार्यक्रम क्या है और किस तरह की भीड़ आ सकती है तब चिकचिक 3 लेकर के पर्याप्त एंबुलेंस की व्यवस्था और शारीरिक रूप से दिव्यांगों के लिए पर्याप्त व्यवस्था के साथ साथ क्राउड मैनेजमेंट सिस्टम को इफेक्टिव दिल्ली तरीक़े से लागू न करना सबसे बड़ी नाकामयाबी है, जिसके चलते ये घटना हुई.
वहीं, नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (NDMA) ने 2014 में भीड़ प्रबंधन के लिए विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए थे, जिनका मकसद बड़े आयोजनों में भीड़ को नियंत्रित कर अनहोनी को रोकना था. पर ये गाइडलाइन कागजों में सिमटी एक व्यवस्था बन कर रह गई है.
NDMA की गाइडलाइंस
NDMA की गाइडलाइंस सिर्फ शब्दों में नहीं, बल्कि डिजाइन और नक्शों के जरिए भी समझाने की कोशिश की गई है. ताकि भीड़ अगर आती है तो दूसरी तरफ से निकलने का मार्ग हो, ताकि लोग एक जगह इकट्ठा न हो और भगदड़ की स्थिति ना हो.
नलिनी शर्मा / आशुतोष मिश्रा