सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश पीबी सावंत का पुणे में निधन, इस कारण से आए थे चर्चा में

जस्टिस पीबी सावंत महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के बाद महाराष्ट्र के राज्यपाल पर दिए गए अपने बयान के कारण चर्चा में आए थे, जब उन्होंने कहा था कि 'राज्यपाल ने महाराष्ट्र में स्थितियां खराब कर दी हैं, राज्यपाल ने जो किया वो असंवैधानिक है.'

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जस्टिस पीबी सावंत (फाइल फोटो) जस्टिस पीबी सावंत (फाइल फोटो)

पंकज खेळकर

  • पुणे ,
  • 15 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 4:17 PM IST
  • पुणे स्थित अपने आवास पर हुआ निधन
  • कल सुबह करीब दस बजे होगा अंतिम संस्कार
  • पांच महीने से बीमार थे जस्टिस पीबी सावंत

सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जस्टिस पीबी सावंत का आज पुणे स्थित उनके आवास पर निधन हो गया है. उनके परिवार वालों के मुताबिक वे पिछले पांच महीने से बीमार चल रहे थे. 90 साल से अधिक उम्र के पीबी सावंत का अंतिम संस्कार 16 फरवरी यानी कल सुबह करीब 10 बजे होगा. बीते दिनों जस्टिस पीबी सावंत महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के बाद महाराष्ट्र के राज्यपाल पर दिए गए अपने बयान के कारण चर्चा में आए थे जब उन्होंने कहा था कि 'राज्यपाल ने महाराष्ट्र में स्थितियां खराब कर दी हैं, राज्यपाल ने जो किया वो असंवैधानिक है.''

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सावंत ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के बारे में बोलते हुए कहा था कि ''चुनावों के बाद सबसे पहले विधानसभा का गठन किया जाता है. विधायकों की शपथ दिलवाई जाती है. विधायक फिर विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव करते हैं. फिर सबसे बड़ी पार्टी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करते हैं. लेकिन यहां तो सबसे पहले देवेंद्र फडणवीस को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित कर लिया गया.''

आपको बता दें कि पीबी सावंत ने उन चार सिटिंग जजों का भी समर्थन किया था और उनके समर्थन में खुला पत्र भी लिखा था जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पर आरोप लगाते हुए प्रेस कांफ्रेंस की थी. इन चार जजों का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट का प्रशासन अच्छे से काम नहीं कर रहा है. अगर ऐसा ही चलता रहा तो लोकतांत्रिक परिस्थितयों के लिए सही नहीं रहेगा. इनके समर्थन में जिन पूर्व जजों ने एक खुला पत्र लिखा था उसमें पीबी सावंत भी थे.

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उस खुले पत्र में पूर्व जजों ने कहा था कि पिछले दिनों कुछ जजों ने कहा था कि CJI मुकदमों की सुनवाई के लिए बेंच बनाने में अपने चहेते कनिष्ठ जजों को प्राथमिकता देते हैं और वरिष्ठ जजों की उपेक्षा करते हैं. पत्र लिखने वाले इन पूर्व जजों ने कहा था कि वे प्रेस कांफ्रेंस करने वाले चार जजों का समर्थन करते हैं. मुकदमों की सुनवाई के लिए बेंच बनाने के CJI के अधिकार को और अधिक पारदर्शी होना चाहिए.

 

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