अगले साल 2025 में देश में जनगणना की शुरुआत हो सकती है जो 2026 तक चलेगी. इस बार की जनगणना का स्वरूप पिछली यानी 2011 की जनगणना से काफी अलग होगा. लोगों से कुछ नए सवाल पूछे जा सकते हैं. संभावना है कि लोगों से उनके संप्रदाय के बारे में भी पूछा जा सकता है. साथ ही इस बार जनगणना में टेक्नोलॉजी का प्रमुखता से इस्तेमाल किया जाएगा जिसमें डिजिटल डेटा और जनगणना ऐप शामिल हैं. आइए जानते हैं कि जनगणना 2025 में इस बार क्या-क्या नया होगा.
साल 2022 में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ई-जनगणना का ऐलान किया था. उन्होंने कहा था कि इस बार की जनगणना पूरी तरह इलेक्ट्रॉनिक होगी और '100 प्रतिशत' सटीक होगी. उन्होंने कहा था कि ये जनगणना अगले 25 साल के लिए विकास योजना तैयार करने में मददगार होगी.
कैसे होगी ई-जनगणना?
इसका मतलब है कि अगले साल देश में ई-जनगणना होगी. अब सवाल यह है कि ई-जनगणना क्या है और कैसे होगी? ई-जनगणना में एक सॉफ्टवेयर बनेगा, जिसमें जनगणना से जुड़े सारे आंकड़े रहेंगे. एक मोबाइल ऐप भी बनाई जाएगी, जिसकी मदद से लोग घर बैठे ही अपना डेटा अपडेट कर सकेंगे. देश की आधी आबादी यानी 50 प्रतिशत लोग खुद-ब-खुद अपना डेटा ऐप की मदद से भर सकेंगे.
क्या हैं ई-जनगणना के फायदे?
ई-जनगणना के कई फायदे हैं. जैसे, जन्म से मृत्यु तक की तारीख जनगणना से जुड़ी होगी. बच्चे के जन्म के साथ ही तारीख जनगणना कार्यालय में दर्ज हो जाएगी और जब वो 18 साल का होगा, तो उसे ऑटोमैटिकली वोटिंग का अधिकार मिल जाएगा और जब उसकी मौत होगी, तो उसका डेटा अपने आप डिलीट हो जाएगा.
इसके अलावा अगर आप किसी दूसरे शहर में रहने के लिए घर खरीदते हैं तो आपको अपने आप ही उस शहर में वोटिंग का अधिकार मिल जाएगा. सरकार को भी अगले 25 साल के लिए नीतियां बनाने में आसानी होगी.
संप्रदाय को लेकर भी हो सकता है सवाल
अब तक जनगणना में धर्म और वर्ग पूछा जाता रहा है. साथ ही सामान्य, अनुसूचित जाति और जनजाति की गणना होती है, लेकिन इस बार लोगों से यह भी पूछा जा सकता है कि वे किस संप्रदाय के अनुयायी हैं. उदाहरण के तौर पर अनुसूचित जाति में वाल्मीकि, रविदासी जैसे अलग-अलग संप्रदाय हैं.
इस्लाम में शिया और सुन्नी शामिल हैं, जबकि जातियों में ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य जैसे समूह शामिल हैं. यानी धर्म, वर्ग के साथ संप्रदाय के आधार पर भी जनगणना की मांग पर सरकार विचार कर रही है. सूत्रों के मुताबिक जातिवार जनगणना होने की स्थिति में पहली बार देश में मुसलमानों और अन्य मतों के अनुयायियों की भी जातियां गिनी जाएंगी.
जनगणना कब से हो रही है?
हमारे देश में 1865 से जनगणना होनी शुरू हुई है. 1865 से 1941 तक जनगणना अंग्रेजों के शासन में हुई. आजादी के बाद 1951 से हर 10 साल के अंतर पर जनगणना हो रही है. आजादी के बाद से अब तक 7 बार जनगणना हो चुकी है. आखिरी बार 2011 में जनगणना हुई थी. इसके बाद 2021 में जनगणना होनी थी, लेकिन कोरोना महामारी के कारण इसे टाल दिया गया था.
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