केजरीवाल को जमानत मिलने के बाद भी लटका रहेगा दिल्ली मेयर का चुनाव?

2024 में जिस मेयर का चुनाव अप्रैल में ही हो जाना चाहिए था, वो मई में भी नही हो पाएगा. अरविंद केजरीवाल को 2 जून को सरेंडर करना होगा. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में ग्रीष्मकालीन छुट्टियां हो रही हैं, उसके बाद अदालत जुलाई में ही खुलेगी.

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अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो- पीटीआई) अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो- पीटीआई)

राम किंकर सिंह

  • नई दिल्ली,
  • 10 मई 2024,
  • अपडेटेड 5:08 PM IST

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 1 जून तक सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिल गई है. उनके चुनाव प्रचार पर कोई पाबंदी नहीं है. अरविंद केजरीवाल को अब 2 जून को सरेंडर करना होगा. हालांकि अंतरिम जमानत मिलने के बाद भी केजरीवाल सरकारी कामकाज में दखल नहीं देंगे और फाइलों पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने जमानत के साथ ही कुछ शर्तें भी लगाई हैं. जिसके तहत वह (केजरीवाल) अपनी ओर से दिए गए बयान से बाध्य होंगे कि वह आधिकारिक फाइलों पर तब तक हस्ताक्षर नहीं करेंगे, जब तक कि दिल्ली के उपराज्यपाल की मंजूरी/अनुमोदन प्राप्त करने के लिए यह आवश्यक न हो. 

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बता दें कि साल 2024 में जिस मेयर का चुनाव अप्रैल में ही हो जाना चाहिए था, वो मई में भी नही हो पाएगा. अरविंद केजरीवाल को 2 जून को सरेंडर करना होगा. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में ग्रीष्मकालीन छुट्टियां हो रही हैं, उसके बाद अदालत जुलाई में ही खुलेगी.

लंबे समय के लिए अटका मेयर चुनाव 

दिल्ली नगर निगम में इस साल शैली ओबेरॉय की जगह पर नए मेयर का चुनाव होना था. आम आदमी पार्टी और बीजेपी ने मेयर और डिप्टी मेयर के उम्मीदवारों का नामांकन भी करवा दिया, लेकिन पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति न  होने की वजह से चुनाव टल गया.  

एलजी ने लौटा दी थी फाइल 

दिल्ली के LG विनय कुमार सक्सेना ने पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति न करने की वजह बताते हुए फाइल लौटा दी थी. उन्होंने कहा था कि पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति वाली फाइल पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का रिकमेंडेशन नहीं था, क्योंकि तब वह तिहाड़ जेल में बंद थे. सवाल उठता है कि अब अरविंद केजरीवाल बाहर हैं, तो क्या यह चुनाव हो पाएगा? इसका जवाब है बिल्कुल नहीं. इसके पीछे वजह सुप्रीम कोर्ट का वह आदेश है, जिसमें सिर्फ चुनाव प्रचार की ही इजाजत दी गई है. अरविंद केजरीवाल बतौर मुख्यमंत्री कोई भी काम नहीं कर सकते. ऐसे में जब तक सीएम की तरफ से रिकमेंडेशन नहीं मिलेगा, तब तक मेयर का चुनाव नहीं हो पाएगा. 

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पीठासीन अधिकारी करवाता है नए मेयर का चुनाव

चुनाव की तारीख तय होते ही निगम सचिव कार्यालय पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति के लिए फाइल आगे बढ़ाता है, जो निगम आयुक्त कार्यालय से होते हुए दिल्ली शहरी विकास विभाग के पास और अंत में एलजी ऑफिस जाती है. दिल्ली नगर निगम का अधिनियम 77 ये कहता है कि मेयर, डिप्टी मेयर का चुनाव कराने की जिम्मेदारी पीठासीन अधिकारी की होती है, तत्कालीन मेयर अगर अगले मेयर चुनाव में दोबारा प्रत्याशी नहीं हैं, तो ऐसे में निगम में परंपरा रही है कि पूर्व मेयर को ही पीठासीन अधिकारी नियुक्त किया जाता है. इस बार आम आदमी पार्टी की तरफ से पीठासीन अधिकारी के लिए जिन पार्षदों का नाम भेजा गया, एलजी ने उसे लौटा दिया क्योंकि मुख्यमंत्री का रिकमेंडेशन नहीं था. 

कोर्ट ने इन शर्तों पर दी केजरीवाल को जमानत

(A) केजरीवाल को 50 हजार रुपये के जमानत बॉन्ड के साथ इतनी ही राशि की जमानत भी जमा करनी होगी.

(B) वह (केजरीवाल) मुख्यमंत्री कार्यालय और दिल्ली सचिवालय नहीं जा सकेंगे. 

(C) वह (केजरीवाल) अपनी ओर से दिए गए बयान से बाध्य होंगे कि वह आधिकारिक फाइलों पर तब तक हस्ताक्षर नहीं करेंगे, जब तक कि दिल्ली के उपराज्यपाल की मंजूरी/अनुमोदन प्राप्त करने के लिए यह आवश्यक न हो. 

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(D) वह (केजरीवाल) वर्तमान मामले में अपनी भूमिका के संबंध में कोई टिप्पणी नहीं करेंगे. 

(E) वह किसी भी गवाह के साथ बातचीत नहीं करेंगे और  मामले से जुड़ी किसी भी आधिकारिक फाइल तक उनकी पहुंच नहीं होगी.

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