लिट्टी की माला पहनकर गाजीपुर बॉर्डर पहुंचा गोरखपुर का किसान, दिया ये संदेश

लिट्टी की माला पहनने को लेकर संजय यादव ने कहा कि यह नुमाइश नहीं, विरोध प्रकट करने का तरीका है. लिट्टी की माला इसकी कीमत बताने के लिए पहनी है. उन्होंने कहा कि ये तीनों कानून बने रहे तो रोटी महंगी हो जाएगी.

Advertisement
लिट्टी की माला पहनकर पहुंचे गोरखपुर के संजय यादव लिट्टी की माला पहनकर पहुंचे गोरखपुर के संजय यादव

कुमार कुणाल

  • नई दिल्ली,
  • 05 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 11:39 PM IST
  • किसान आंदोलन में दिख रहे अजब-गजब रंग
  • गोरखपुर के संजय यादव ने पहनी लिट्टी की माला

कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी है. किसान दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं, वहीं इस प्रदर्शन के दौरान कई रंग भी देखने को मिल रहे हैं. दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन में शामिल होने के लिए एक किसान लिट्टी की माला पहनकर पहुंचा. गोरखपुर के संजय यादव शुक्रवार को लिट्टी की माला पहनकर गाजीपुर बॉर्डर पहुंचे.

Advertisement

लिट्टी की माला पहनने को लेकर संजय यादव ने कहा कि यह नुमाइश नहीं, विरोध प्रकट करने का तरीका है. लिट्टी की माला इसकी कीमत बताने के लिए पहनी है. उन्होंने कहा कि ये तीनों कानून बने रहे तो रोटी महंगी हो जाएगी. अनाज पूंजीपतियों के हाथ में चला जाएगा. संजय यादव ने कहा कि ये तीनों कानून वापस लिए जाने चाहिए और न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी मिलनी चाहिए.

संजय यादव ने कहा कि उन्होंने ऐसा तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध के लिए किया है. वे शहरों में रहने वाली जनता को यह संदेश देना चाहते हैं कि जब अनाज का भंडारण होगा तो वह महंगा हो जाएगा और इसका असर उनपर भी पड़ेगा जो लोग आज मुंह नहीं खोल रहे. उन्होंने कहा कि जैसे मां से बेटे का संबंध होता है, वैसे ही जनता का सरकार से है.

Advertisement

गौरतलब है कि कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसान ये कानून वापस लेने की मांग पर अड़े हैं. किसान और सरकार के बीच कई दौर की बातचीत हो गई, लेकिन इसका समाधान नहीं हो सका. सरकार ने किसानों को ये कानून डेढ़ साल के लिए सस्पेंड करने का प्रस्ताव भी दिया था. सरकार के प्रस्ताव को किसानों ने खारिज कर दिया था. बता दें कि किसान संगठनों ने 6 फरवरी को देशभर में चक्का जाम का आह्वान किया है. हालांकि, राकेश टिकैत ने कहा है कि यूपी और उत्तराखंड में चक्का जाम नहीं किया जाएगा. दोनों प्रदेशों के किसान जिलाधिकारियों को केवल ज्ञापन देंगे.

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement